My opinion my investigation
अगर, आपको सच कहने, सुनने या पढने की आदत नहीं है तो माफ किजिएगा यह आपके लिए नहीं है...
सोमवार, मई 30, 2011
हरियाणा में 87 फीसदी पुरुष उड़ाते हैं धूएं के छल्ले
- प्रदेश की 53 फीसदी महिलाएं भी करती हैं तम्बाकू का सेवन
- तम्बाकू का सेवन हर रोज 2200 लोगों को खींचता है मौत की ओर
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 30 मई : तम्बाकू लोगों की जान का दुश्मन साबित हो रहा है। जानकर हैरानी होती है कि देश के तेजी से विकसित होते हरियाणा प्रदेश में करीब 87 प्रतिशत लोग धूएं के छल्ले उड़ाते हैं। इस काम में महिलाएं भी शायद पीछे नहीं रहना चाहती नहीं नहीं तो और क्या कारण हो सकता है कि हरियाणा की 53 फीसदी महिलाएं भी तम्बाकू का सेवन करती हैं। प्रदेश के इकलौते पीजीआई के क्षय एवं छाती रोग विभागाध्यक्ष डॉ. के.बी. गुप्ता एक इंटरनैशनल संस्था के सर्वे में उभरी इस चौकाने वाली हकीकत को बेहद खतरनाक बताते हुए कहते हैं कि तम्बाकू का सेवन लोगों को मौत की ओर ढकेल रहा है और अज्ञानतावश वे धीरे-धीरे गंभीर बीमारियों का शिकार होते जा रहे हैं। वहीं हरियाणा की एकमात्र हैल्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. एस.एस. सांगवान कहते हैं कि वर्तमान माहौल में यहां-वहां सड़क पर अक्सर युवा धूएं के छल्ले उड़ाते हुए नजर आते हैं। शायद, आधुनिकता का प्रतीक मान कर और एक दूसरे की होड़ में हमारी युवा पीढ़ी बीड़ी-सिगरेट, तंबाकू, हुक्का, गुटका व पान खाने से गुरेज नहीं कर रही। लेकिन, लोगों को यह बात समझ लेनी होगी कि वे ऐसा करते हुए खुद-ब-खुद मौत को दावत दे रहे हैं लिहाजा अनेक बीमारियों के जनक तम्बाकू के सेवन से लोगों को परहेज कर लेना चाहिए। वहीं, डाक्टर के.बी. गुप्ता के मुताबिक विश्वभर में तंबाकू सेवन करने वालों की संख्या में दिन प्रतिदिन भारी ईजाफा हो रहा है। विश्वभर में इस आदत से ग्रस्त लोगों की संख्या जितनी बढ़ती जा रही है उतने ही अधिक लोग मौत का शिकार बन रहे हैं। उससे अधिक लोग नकारा जीवन व्यतीत करने के लिए मजबूर हो जाते हैं और तरह-तरह की गंभीर बिमारियों के शिकार हो रहे हैं। वे कहते हैं कि हरियाणा में तंबाकू सेवन करने वाले पुरुष व महिलाओं की संख्या में बढोतरी होना बेहद चिंता की बात है क्योंकि यहां पर 87 प्रतिशत पुरुष व 53 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू का सेवन करते हैं। इस पर विस्तार से जानकारी देते हुए डाक्टर गुप्ता कहते हैं कि धूम्रपान व तंबाकू सेवन बीमारियों की जड़ है। बीड़ी, सिगरेट के धुंए के कारण पीने वाला खुद को कैंसर जैसी दर्जनों बिमारियों को दावत देता ही है इसके साथ ही अपने आसपास बैठे लोगों को भी मौत के मुंह में भेज रहा है। विश्वभर में मृत्यृ एवं अनेक रोगों का मुख्य कारण तंबाकू सेवन माना गया है। उदाहरण के तौर पर एलर्जी, दमा, संास की बीमारी, टीबी, मृत शिशु पैदा होना, खाज, खुजली, निकोटिन से होने वाली बीमारियां कैंसर, हार्ट अटैक, एजांइना सीने में दर्द, गला सांस की नली, ब्लड़ प्रेशर, स्ट्रोक मास्तिष्क आघात, पेट की बीमारियां ऐसीडीटी आदि बीमारियां इसी की देन हैं।
किशोर अवस्था में होती है शुरूआत
- विश्वभर में हर साल मरते हैं 50 लाख लोग
देवेंद्र दांगी।
रोहतक 30 मई : पीजीआई के डाक्टर के.बी. गुप्ता बताते हैं कि धूम्रपान की शुरूआत किशोरावस्था से होती है, बच्चे अक्सर बड़ों की देखादेखी या अपने आप को बड़ा साबित करने के लिए धूम्रपान एवं नशा करते हैं। वे बताते हैं कि महिलाओं में गर्भावस्था में धूम्रपान करने से बच्चा कम वजन का पैदा होता है, बच्चों में सक्रमंण रोग, श्वास रोग, मानसिक विकार तथा मृत्यु की अधिक संभावना रहती है। उन्होंने बताया कि विश्वभर में धूमपान एवं तंबाकू सेवन से प्रतिवर्ष लगभग 50 लाख लोगों की मौत होती है और प्रत्येक आठ सैकेंड में एक मौत तंबाकू के सेवन के कुप्रभावों के कारण होती है। भारत में प्रतिदिन करीब 2200 लोगों की मृत्यु तंबाकू संबधित कारणों से होती है तथा 15 वर्ष से अधिक उम्र के 40 से 60 प्रतिशत वर्ष पुरूष, 2 से 15 प्रतिशत शहरी स्त्रियां और 20 से 50 प्रतिशत ग्रामीण स्त्रियां सेवन करती हैं। कैंसर से होने वाली 30 प्रतिशत मौत सिगरेट के सेवन से होती है, व्यस्क पुरूषों व महिलाओं में धूम्रपान सेवन से प्रजनन क्षमता एवं गुणवात्ता पर भी असर पड़ सकता है। आज धूम्रपान के कारण करीब 70 लाख लोग क्रोनिक पल्मोनरी आक्सट्रक्टिव बीमारी से ग्रसित हैं जो धू्रमपान के सेवन से होती है। धूम्रपान में करीब 4 हजार विभिन्न प्रकार के रसायन मौजूद होते हंै जिनमें से 60 रसायन कैंसर पैदा करने की क्षमता रखते हैं। धूम्रपान से निकलने वाले धुए में पाए जाने वाला बैजोपाइरीन नामक तत्व काफी खतरनाक होता है और कैंसर पैदा करने वाले पायरोलिटिक पदार्थ होते हैं।
जिन्दगी चाहिए तो करो तम्बाकू से कर तौबा : डॉ. सांगवान
प्रदेश की एकमात्र हैल्थ यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. एस.एस. सांगवान कहते हैं कि जिन्दगी के लिए तम्बाकू से तौबा कर लेनी चाहिए। वे बताते हैं कि उन्होंने पीजीआई कैंपस में पहले ही बीड़ी, सिगरेट पीना निषेध कर रखा है। डॉ. एस.एस. सांगवान ने आमजन से भी अपील करते हुए कहा कि तंबाकू व धू्रमपान का सेवन न करें। यह न केवल धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों के लिए हानिकारक है बल्कि उसके आसपास रहने वाले व्यक्तिे को भी पैसिव स्मोकिंग का शिकार बना डालता है। डॉ. सांगवान ने बताया कि रोहतक स्थित हरियाणा के एकमात्र पीजीआई संस्थान के जी ब्लाक में प्रत्येक सोमवार एवं वीरवार को एंटी स्मोङ्क्षकंग क्लीनिक भी क्षय एवं छाती रोग विभाग द्वारा चलाया जाता है जहां बीड़ी सिगरेट छोडऩे के लिए लोगों को प्रेरित किया जाता है।
विशेष सहयोग :
श्रीमति सीमा दहिया,
पब्लिक रिलेशन ऑफिसर,
पीजीआईएमएस, रोहतक।
श्री राजेश भड़,
पब्लिक रिलेशन ऑफिस,
पीजीआई, रोहतक।
गुरुवार, अप्रैल 28, 2011
Three senior officials summoned for not furnishing info
Devender Dangi
Chandigarh, April 27, 2011
The State Information Commission Haryana has summoned three senior officials of Haryana Government, including the SPIO (State Public Information Officer)-cum-Superintendent, General Administration Department Haryana, the SPIO-cum-Under Secretary to Govt. Haryana, Personal Department, Haryana and First Appellate Authority cum Special Secretary, Personal Department, for allegedly not providing entire sought information to a Right to information (RTI) activist. The commission has also directed them to appear before its bench on May 18 next when the appeal will be taken up for hearing.
Subhash, the RTI activist and state coordinator of Haryana Suchna Adhikar Manch, informed that he had filed an application with requisite fees on May 20, 2010 before the office of Chief Secretary Haryana to get the information under the RTI act regarding those IAS, IPS, IRS, HCS and HPS cadre officers who have been re-employed in various departments of the state government during the past 10 years,
“I wanted to know that how many IAS, IPS, IRS, HCS and HPS cadre officers have retired in the state during the time span of January 2000 to March 2010. The additional queries also include how many among them have been reemployed, is there any norm prescribed for providing reemployment to administrative officers after their superannuation and how many new posts have been created to adjust the officers?,” said Subhash, adding that taking action on the application, the chief secretary office directed the SPIO-cum-deputy secretary (DS), Personnel Department, Haryana, for making the sought information available to the applicant under Section 6 (3) of the RTI Act.
The Personnel Department on June 22 had furnished him a list of 86 IAS and 41 HCS officers who got superannuation during the past 10 years, but did not provide any input about their re-employment saying that it had not further information in this regard except this, he maintained.
“Thereafter, I made an appeal before the first appellate officer (FAO) and asked for getting the information from the department concerned, besides initiating appropriate official action against the SPIO-cum-deputy secretary of the Personnel Department. Then the FAO directed the finance commissioner-cum-principal secretary to the Finance Department, Haryana, for furnishing me the information,” said Subhash.
He maintained that the finance commissioner on August 19 wrote again to the SPIO of the Home and Personnel Department for making available the information to the applicant as the information was concerned with their departments, but to no avail.
“Ultimately, I had to move an application before the State Information Commission which taking action on my appeal has now issued notices to the three officials of Haryana government under section 19 (3) of the RTI act for not providing me the entire sought information,” said Subash, adding that the commission had also warned the officials that the appeal would be heard and decided on merits in case they or their representatives failed to appear on the fixed date.
(EoM)
Chandigarh, April 27, 2011
The State Information Commission Haryana has summoned three senior officials of Haryana Government, including the SPIO (State Public Information Officer)-cum-Superintendent, General Administration Department Haryana, the SPIO-cum-Under Secretary to Govt. Haryana, Personal Department, Haryana and First Appellate Authority cum Special Secretary, Personal Department, for allegedly not providing entire sought information to a Right to information (RTI) activist. The commission has also directed them to appear before its bench on May 18 next when the appeal will be taken up for hearing.
Subhash, the RTI activist and state coordinator of Haryana Suchna Adhikar Manch, informed that he had filed an application with requisite fees on May 20, 2010 before the office of Chief Secretary Haryana to get the information under the RTI act regarding those IAS, IPS, IRS, HCS and HPS cadre officers who have been re-employed in various departments of the state government during the past 10 years,
“I wanted to know that how many IAS, IPS, IRS, HCS and HPS cadre officers have retired in the state during the time span of January 2000 to March 2010. The additional queries also include how many among them have been reemployed, is there any norm prescribed for providing reemployment to administrative officers after their superannuation and how many new posts have been created to adjust the officers?,” said Subhash, adding that taking action on the application, the chief secretary office directed the SPIO-cum-deputy secretary (DS), Personnel Department, Haryana, for making the sought information available to the applicant under Section 6 (3) of the RTI Act.
The Personnel Department on June 22 had furnished him a list of 86 IAS and 41 HCS officers who got superannuation during the past 10 years, but did not provide any input about their re-employment saying that it had not further information in this regard except this, he maintained.
“Thereafter, I made an appeal before the first appellate officer (FAO) and asked for getting the information from the department concerned, besides initiating appropriate official action against the SPIO-cum-deputy secretary of the Personnel Department. Then the FAO directed the finance commissioner-cum-principal secretary to the Finance Department, Haryana, for furnishing me the information,” said Subhash.
He maintained that the finance commissioner on August 19 wrote again to the SPIO of the Home and Personnel Department for making available the information to the applicant as the information was concerned with their departments, but to no avail.
“Ultimately, I had to move an application before the State Information Commission which taking action on my appeal has now issued notices to the three officials of Haryana government under section 19 (3) of the RTI act for not providing me the entire sought information,” said Subash, adding that the commission had also warned the officials that the appeal would be heard and decided on merits in case they or their representatives failed to appear on the fixed date.
(EoM)
शुक्रवार, अप्रैल 22, 2011
Body of youth recovered from a mobile shop
Devender Dangi
Rohtak / Jhajjar, April 22, 2011
The local police has recovered body of a 22-year-old youth from a mobile shop located at Super Market near Bus stand here today. The youth, identified as Manish, was missing since last night and belonged to Jahangirpur village here.
The police has registered a case of murder against the deceased’s friend Rajesh of Kot village and two other youths in this regard on the complaint of the deceased’s brother Rakesh but the exact reason behind the murder is yet to be ascertained.
Jhajjar SP Sourav Singh said the postmortem reports suggested that the youth had died of strangulation. “We are investigating the case from various angles as the preliminary inquiry indicates multiple reasons involved in the crime,” said the SP, adding that Rajesh had been arrested while hunt was on to nab two other accused as well.
Manish had made a call to his kin yesterday evening for informing that he is right now at the mobile shop in Jhajjar and would get late in coming to home. Thereafter neither Manish returned to home nor he made any contact with the kin, said Sourav Singh.
(EoM)
Rohtak / Jhajjar, April 22, 2011
The local police has recovered body of a 22-year-old youth from a mobile shop located at Super Market near Bus stand here today. The youth, identified as Manish, was missing since last night and belonged to Jahangirpur village here.
The police has registered a case of murder against the deceased’s friend Rajesh of Kot village and two other youths in this regard on the complaint of the deceased’s brother Rakesh but the exact reason behind the murder is yet to be ascertained.
Jhajjar SP Sourav Singh said the postmortem reports suggested that the youth had died of strangulation. “We are investigating the case from various angles as the preliminary inquiry indicates multiple reasons involved in the crime,” said the SP, adding that Rajesh had been arrested while hunt was on to nab two other accused as well.
Manish had made a call to his kin yesterday evening for informing that he is right now at the mobile shop in Jhajjar and would get late in coming to home. Thereafter neither Manish returned to home nor he made any contact with the kin, said Sourav Singh.
(EoM)
गुरुवार, अप्रैल 21, 2011
Information Commission issues notice to SPIO for not furnishing info
Devender Dangi
Rohtak, April 21,2011
The State Information Commission Haryana has served a notice on State Information Public Office (SPIO) of Development and Panchayat, Haryana for allegedly not furnishing the sought information under the Right to Information (RTI) Act to a RTI activist. The Commission also directed the SPIO to file his written reply to the points raised by the complaint in its complaint.
Subhash, coordinator of Haryana Suchna Adhikar Manch, had sought information from the Development and Panchayat department regarding a government order in which Sarpanches were appointed as the Public Information Officer (PIO) but the department did not supply him the required information even after six months of the demand. He had submitted the application with requisite fees to Public Information Officer, Chief Secretary Haryana, RTI cell, on September 24 last year.
“I wish to know that can any public representative be appointed as Public Information Officer (PIO), if yes, then under which rules Sarpanches of village panchayats across the state have been appointed as PIOs ? If Sarpanches can do the work of the PIOs then why Chairman of Zila Parishad and MLAs are not the PIO of their area concerned? Can any illiterate person become the PIO as so many sarpanches are illiterate in the state?,” informed Subhash, adding that he waited for the reply for nearly three months but nothing came from the authorities concerned.
Then, he had to file first appeal against the SPIO of the Development and Panchayat department on December 6, 2010 demanding an official action against him but the First Appellate Authorities also did not took it seriously, said the coordinator.
“Later, I knocked at the door of the State Information Commission which taking my second appeal seriously issued a notice under section 18(2) of the Right to Information Act, 2005 to the SPIO of the Development and Panchayat, Haryana, for not supplying me the sought information,” said Subhash, adding that the SPIO had also been directed to appear before the commission on August 4 next for presenting his comments in this regard.
(EoM)
Rohtak, April 21,2011
The State Information Commission Haryana has served a notice on State Information Public Office (SPIO) of Development and Panchayat, Haryana for allegedly not furnishing the sought information under the Right to Information (RTI) Act to a RTI activist. The Commission also directed the SPIO to file his written reply to the points raised by the complaint in its complaint.
Subhash, coordinator of Haryana Suchna Adhikar Manch, had sought information from the Development and Panchayat department regarding a government order in which Sarpanches were appointed as the Public Information Officer (PIO) but the department did not supply him the required information even after six months of the demand. He had submitted the application with requisite fees to Public Information Officer, Chief Secretary Haryana, RTI cell, on September 24 last year.
“I wish to know that can any public representative be appointed as Public Information Officer (PIO), if yes, then under which rules Sarpanches of village panchayats across the state have been appointed as PIOs ? If Sarpanches can do the work of the PIOs then why Chairman of Zila Parishad and MLAs are not the PIO of their area concerned? Can any illiterate person become the PIO as so many sarpanches are illiterate in the state?,” informed Subhash, adding that he waited for the reply for nearly three months but nothing came from the authorities concerned.
Then, he had to file first appeal against the SPIO of the Development and Panchayat department on December 6, 2010 demanding an official action against him but the First Appellate Authorities also did not took it seriously, said the coordinator.
“Later, I knocked at the door of the State Information Commission which taking my second appeal seriously issued a notice under section 18(2) of the Right to Information Act, 2005 to the SPIO of the Development and Panchayat, Haryana, for not supplying me the sought information,” said Subhash, adding that the SPIO had also been directed to appear before the commission on August 4 next for presenting his comments in this regard.
(EoM)
रविवार, अप्रैल 17, 2011
कनिष्ठा ने जगाई बदलाव की उम्मीद
- मिस इंडिया की कामयाबी के बाद सबसे कम लिंग अनुपात के लिए देशभर में नंबर-वन झज्जर जिले के लोगों की मानसिकता में आने लगा है बदलाव
Devender Dangi
Rohtak / jhajjar : रातों-रात स्टार बनीं हरियाणा के ऐतिहासिक जिले झज्जर के छोटे से गांव कासनी की हाई-प्रोफाइल बेटी कनिष्ठा धनकर को फेमिना मिस इंडिया-2011 के रूप में मिली शानदार कामयाबी बिगड़ते लिंग अनुपात के मामले में देशभर में पिछड़े इस जिले के बाशिंदों की, बेटियों के प्रति सदियों पुरानी संकीर्ण सोच को बदलने में नि:संदेह मील का पत्थर साबित होगी और आखिरकार उन्हें भू्रण हत्या सरीखी सामाजिक बुराई को छोडऩा ही होगा।
यह हम नहीं, कनिष्ठा की कामयाबी को देखकर न केवल इस गांव, बल्कि सम्पूर्ण झज्जर जिले के लोग कह रहे हैं। उनका मानना है कि कनिष्ठा ने मिस इंडिया का खिताब जीतकर बेटियों के प्रति बनी उनकी रूढ़ीवादी मानसिकता पर एक जबरदस्त प्रहार किया हैं। यही वजह है कि अपनी पोती कनिष्ठा की जीत से प्रफुल्लित दादी मां चावली कहती हैं कि कनिष्ठा ने राष्ट्रीय स्तर पर गांव का नाम रोशन कर साबित कर दिया है कि आधुनिक समय में बेटे व बेटियों में कोई फर्क नहीं है। बेटियां भी वो सभी काम कर सकती हैं जो एक बेटा करने में सक्षम हैं। लिहाजा, मेरा भरोसा है कि कनिष्ठा मिस इंडिया के बाद अब मिस वल्र्ड का खिताब भी अपने नाम करेगी। उम्र के अंतिम पड़ाव पर पहुंची चावली कहती हैं कि वह अपनी पोती का गांव आने का बेसब्री से इंतजार कर रही है क्योंकि उसने वो कर दिखाया है, जो उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।
नेवी से कमांडर रिटायर्ड कनिष्ठा के दादा मातूराम धनकर का मनाना है कि चारों तरफ से वाहवाही लूटकर उनकी पोती उस रूढ़ीवादी धारणा को पूरी तरह से खारिज कर दिया है, जिसमें बेटियों को समाज के लिए अभिशाप की संज्ञा दी गई थी। महान उपलब्धि के लिए कनिष्ठा व उसके परिजनों को बधाई देते हुए गांव के सरपंच कूड़ेराम कहते हैं कि कनिष्ठा ने मिस इंडिया बनकर खासकर उन लोगों के समक्ष एक मिसाल पेश की है जो बेटियों की तुलना में बेटों को ज्यादा महत्व देते हुए गर्भ में ही बेटियों की हत्या करवाने का जुर्म करते हैं। उनका कहना है कि कनिष्ठा ने ऐसे लोगों को यह अहसास बखुबी करवा दिया है कि वे दिन चले गए जब बेटियों को पराया धन कहा जाता था, आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से पीछे नहीं है।
सरपंच कूड़ेराम का कहना है कि गांव में आने पर कनिष्ठा को विशेष तौर पर सम्मानित किया जाएगा इसलिए नहीं कि उसने मिस इंडिया का खिताब जीता है, बल्कि इसलिए भी कि उसने ऐसा करके यहां के लोगों की मानसिकता में बदलाव की बहुप्रतिक्षित प्रक्रिया का भी आगाज कर दिया है। गांव के युवा कृष्ण व मुकेश का कहना है कि बेशक गांव के बुजुर्ग लोगों को कनिष्ठा की कामयाबी की ऊंचाई के बारे में अधिक जानकारी न हों मगर बताने पर वह यह कहने से नहीं हिचक रहे हैं कि बेटियों को भी बेटों की तरह की अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के पर्याप्त अवसर प्रदान किए जाने चाहिएं। एक अन्य युवक बिजेंद्र धनकर का कहना है कि अब समय आ गया है कि बेटियों को भी बेटों की भांति ट्रीट किया जाए क्योंकि बेटियां ही समाज से उस कलंक को मिटा सकती है जो पुरुष प्रधान समाज ने बेटियों को अभिशाप बताकर उस पर लगाया है।
Devender Dangi
Rohtak / jhajjar : रातों-रात स्टार बनीं हरियाणा के ऐतिहासिक जिले झज्जर के छोटे से गांव कासनी की हाई-प्रोफाइल बेटी कनिष्ठा धनकर को फेमिना मिस इंडिया-2011 के रूप में मिली शानदार कामयाबी बिगड़ते लिंग अनुपात के मामले में देशभर में पिछड़े इस जिले के बाशिंदों की, बेटियों के प्रति सदियों पुरानी संकीर्ण सोच को बदलने में नि:संदेह मील का पत्थर साबित होगी और आखिरकार उन्हें भू्रण हत्या सरीखी सामाजिक बुराई को छोडऩा ही होगा।
यह हम नहीं, कनिष्ठा की कामयाबी को देखकर न केवल इस गांव, बल्कि सम्पूर्ण झज्जर जिले के लोग कह रहे हैं। उनका मानना है कि कनिष्ठा ने मिस इंडिया का खिताब जीतकर बेटियों के प्रति बनी उनकी रूढ़ीवादी मानसिकता पर एक जबरदस्त प्रहार किया हैं। यही वजह है कि अपनी पोती कनिष्ठा की जीत से प्रफुल्लित दादी मां चावली कहती हैं कि कनिष्ठा ने राष्ट्रीय स्तर पर गांव का नाम रोशन कर साबित कर दिया है कि आधुनिक समय में बेटे व बेटियों में कोई फर्क नहीं है। बेटियां भी वो सभी काम कर सकती हैं जो एक बेटा करने में सक्षम हैं। लिहाजा, मेरा भरोसा है कि कनिष्ठा मिस इंडिया के बाद अब मिस वल्र्ड का खिताब भी अपने नाम करेगी। उम्र के अंतिम पड़ाव पर पहुंची चावली कहती हैं कि वह अपनी पोती का गांव आने का बेसब्री से इंतजार कर रही है क्योंकि उसने वो कर दिखाया है, जो उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था।
नेवी से कमांडर रिटायर्ड कनिष्ठा के दादा मातूराम धनकर का मनाना है कि चारों तरफ से वाहवाही लूटकर उनकी पोती उस रूढ़ीवादी धारणा को पूरी तरह से खारिज कर दिया है, जिसमें बेटियों को समाज के लिए अभिशाप की संज्ञा दी गई थी। महान उपलब्धि के लिए कनिष्ठा व उसके परिजनों को बधाई देते हुए गांव के सरपंच कूड़ेराम कहते हैं कि कनिष्ठा ने मिस इंडिया बनकर खासकर उन लोगों के समक्ष एक मिसाल पेश की है जो बेटियों की तुलना में बेटों को ज्यादा महत्व देते हुए गर्भ में ही बेटियों की हत्या करवाने का जुर्म करते हैं। उनका कहना है कि कनिष्ठा ने ऐसे लोगों को यह अहसास बखुबी करवा दिया है कि वे दिन चले गए जब बेटियों को पराया धन कहा जाता था, आज बेटियां किसी भी क्षेत्र में बेटों से पीछे नहीं है।
सरपंच कूड़ेराम का कहना है कि गांव में आने पर कनिष्ठा को विशेष तौर पर सम्मानित किया जाएगा इसलिए नहीं कि उसने मिस इंडिया का खिताब जीता है, बल्कि इसलिए भी कि उसने ऐसा करके यहां के लोगों की मानसिकता में बदलाव की बहुप्रतिक्षित प्रक्रिया का भी आगाज कर दिया है। गांव के युवा कृष्ण व मुकेश का कहना है कि बेशक गांव के बुजुर्ग लोगों को कनिष्ठा की कामयाबी की ऊंचाई के बारे में अधिक जानकारी न हों मगर बताने पर वह यह कहने से नहीं हिचक रहे हैं कि बेटियों को भी बेटों की तरह की अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के पर्याप्त अवसर प्रदान किए जाने चाहिएं। एक अन्य युवक बिजेंद्र धनकर का कहना है कि अब समय आ गया है कि बेटियों को भी बेटों की भांति ट्रीट किया जाए क्योंकि बेटियां ही समाज से उस कलंक को मिटा सकती है जो पुरुष प्रधान समाज ने बेटियों को अभिशाप बताकर उस पर लगाया है।
सोमवार, मार्च 21, 2011
Two brothers stabbed to death, mother hurt by neighbors
Devinder Dangi
Rohtak, March 21
An old enmity between two families in Dairy Mohalla here turned bloody on the occasion of Holi on Sunday when two brothers were stabbed to death by the rival groups in broad day light. Mother of the youths also suffered serious injuries in the assault, who has been struggling for life at the PGIMS here. The deceased have been identified as Anil Kumar and Kailash alias Kala.
The police has registered a case of murder against Sunder Lal and his sons- Sandeep and Pradeep- who are the neighbours of the victims, in this connection and launched a hunt to nab them who are absconding since after the incident.
According to reports, the incident took place when the trio victims were sitting outside their house to enjoy Holi being played by the children over there. They were suddenly attacked with swords and axes by the neighbours. The assailants fled the spot after perpetrating the crime while Kailash reportedly died on the spot. Anil and his mother Phoolwati in a critical condition were rushed to the PGIMS where Anil succumbed to his injuries later.
The City Police, on getting information, rushed to the spot and took stock of the situation. Later, bodies of the brothers were handed over to their kin after getting their postmortem done from the PGIMS.
“Raids are being carried out at the possible hideout of Sunder Lal and his sons- Sandeep and Pradeep- against whom a case of murder has been registered under various sections of the IPC,” said the City Police SHO, Ramesh Alawadi, adding that the families were nursing a grudge against each other since some times.
(EoM)
Rohtak, March 21
An old enmity between two families in Dairy Mohalla here turned bloody on the occasion of Holi on Sunday when two brothers were stabbed to death by the rival groups in broad day light. Mother of the youths also suffered serious injuries in the assault, who has been struggling for life at the PGIMS here. The deceased have been identified as Anil Kumar and Kailash alias Kala.
The police has registered a case of murder against Sunder Lal and his sons- Sandeep and Pradeep- who are the neighbours of the victims, in this connection and launched a hunt to nab them who are absconding since after the incident.
According to reports, the incident took place when the trio victims were sitting outside their house to enjoy Holi being played by the children over there. They were suddenly attacked with swords and axes by the neighbours. The assailants fled the spot after perpetrating the crime while Kailash reportedly died on the spot. Anil and his mother Phoolwati in a critical condition were rushed to the PGIMS where Anil succumbed to his injuries later.
The City Police, on getting information, rushed to the spot and took stock of the situation. Later, bodies of the brothers were handed over to their kin after getting their postmortem done from the PGIMS.
“Raids are being carried out at the possible hideout of Sunder Lal and his sons- Sandeep and Pradeep- against whom a case of murder has been registered under various sections of the IPC,” said the City Police SHO, Ramesh Alawadi, adding that the families were nursing a grudge against each other since some times.
(EoM)
मंगलवार, मार्च 01, 2011
Head of land mafia arrested in Haryana
Devinder Dangi
Tuesday, 01 March 2011
Rohtak : In a special campaign against the land mafia, Haryana police has succeed in arresting a head of land mafia namely Ramesh Lohar, a resident of Bohar village in district Rohtak and eight members of the gang and a case has been registered against under section 447, 147, 149, 384 and 506 of IPC.
While giving this information Tuesday, a spokesman of Police Department said that a special team constituted by Inspector General of police, Rohtak Range V. Kamaraja arrested eight members of this gang two days back when they had gone to take illegal possession of a plot at Ekta Colony in Rohtak. Those arrested included Mehar Singh alias Soni of village Sunariyan, Sunil and Bijender both residents of village Dighal in district Jhajjar, Amit of village Rabad, Amit of village Rabhda, Ajit of village Ladot in district Jhajjar, Sumit Sharma a resident of village Girawad in district Sonepat, Navin of Shrinagar Colony and Sunny a resident of Janata Colony.
The spokesman said that during the interrogation they revealed that Ramesh was the leader of their gang who had demanded a sum of Rs. 9 lakh from the plot owner in lieu of vacating their possession of the plot. Ramesh had sent all of them to Ekta Colony to encroach upon the plot. He said that raids were being conducted by the police at their possible hideouts to nab the other accomplices of Ramesh Lohar Gang and they would be arrested soon.
He said that V. Kamaraja had issued a stern warning to the property dealers that in case he received a complaint against any of them about illegally taking possession of a plot or piece of plot, stern action would be taken against them. He also urged the people to immediately inform the police if anyone occupied or try to occupy their land and plot illegally. The name of the complainant would be kept secret, he added.
Tuesday, 01 March 2011
Rohtak : In a special campaign against the land mafia, Haryana police has succeed in arresting a head of land mafia namely Ramesh Lohar, a resident of Bohar village in district Rohtak and eight members of the gang and a case has been registered against under section 447, 147, 149, 384 and 506 of IPC.
While giving this information Tuesday, a spokesman of Police Department said that a special team constituted by Inspector General of police, Rohtak Range V. Kamaraja arrested eight members of this gang two days back when they had gone to take illegal possession of a plot at Ekta Colony in Rohtak. Those arrested included Mehar Singh alias Soni of village Sunariyan, Sunil and Bijender both residents of village Dighal in district Jhajjar, Amit of village Rabad, Amit of village Rabhda, Ajit of village Ladot in district Jhajjar, Sumit Sharma a resident of village Girawad in district Sonepat, Navin of Shrinagar Colony and Sunny a resident of Janata Colony.
The spokesman said that during the interrogation they revealed that Ramesh was the leader of their gang who had demanded a sum of Rs. 9 lakh from the plot owner in lieu of vacating their possession of the plot. Ramesh had sent all of them to Ekta Colony to encroach upon the plot. He said that raids were being conducted by the police at their possible hideouts to nab the other accomplices of Ramesh Lohar Gang and they would be arrested soon.
He said that V. Kamaraja had issued a stern warning to the property dealers that in case he received a complaint against any of them about illegally taking possession of a plot or piece of plot, stern action would be taken against them. He also urged the people to immediately inform the police if anyone occupied or try to occupy their land and plot illegally. The name of the complainant would be kept secret, he added.
शुक्रवार, फ़रवरी 11, 2011
एनकाउंटर के बाद भी जिंदा है कुख्यात बदरी
- हरियाणा पुलिस की फास्ट वर्किंग की खुली पोल
देवेंद्र दांगी, रोहतक :
हरियाणा पुलिस के माथे पर बल पड़े हुए हैं। उसे चाहिए कुख्यात सरगना राजेश उर्फ बदरी, जो अब तक कितनी ही हत्याओं के अलावा लूटपाट की भी अनेक वारदातों को अंजाम दे चुका है। पुलिस ने उसके सिर पर लाखों का ईनाम भी रखा है। जो कोई भी पुलिस को बदरी के बारे में सुराग देगा हरियाणा पुलिस उसे मालामाल कर देगी।
पढ़कर हैरान न हों क्योंकि यह बात हम कतई नहीं कह रहे। दरअसल, आपकी ही तरह हम भी इस बात को बखुबी जानते हैं कि राजेश बदरी अब इस दुनियां में नहीं है लेकिन, हैरत की बात तो यह है कि बदरी को एनकाउंटर में मार गिराने वाली हरियाणा पुलिस खुद इस बात से अनजान है कि बदरी मर चुका है। अगर, पुलिस अनजान नहीं होती तो फिर ऐसे कौन से कारण हो सकते हैं कि मौत के बाद भी किसी की तलाश में पुलिस मारी-मारी फिरती रहे।
जी हां, फास्ट एंड फेयर वर्किंग का दावा ठोकते नहीं थकने वाली हरियाणा पुलिस के लिए कुख्यात सरगना राजेश उर्फ बदरी मौत के बाद भी मोस्ट वांटेड है। यकीन न आए तो हरियाणा पुलिस की वेबसाइट पर लॉगइन करके भी देख सकते हैं। वेबसाइट पर बने पब्लिक इंफोर्मेशन कालम के नीचे बने हरियाणा मोस्ट वांटेड के लिंक पर माउस क्लिक करें तो उन अपराधियों की सूची कम्प्यूटर सक्रिन पर दिखाई देती है, जो बेहद खतरनाक अपराधी हैं और हरियाणा पुलिस जिन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाने की गरज में आम आदमी का साथ चाहती है।
गुजरे वक्त में कुख्यात सरगना रहा राजेश उर्फ बदरी अपनी मौत के कई रोज गुजर जाने के बाद आज भी इस सूची में उपस्थिति दर्ज कराते हुए इस बात की पोल खोल रहा है कि हरियाणा पुलिस की वर्किंग कितनी फास्ट है। हरियाणा मोस्ट वांटेड कालम में मोस्ट वांटेड अपराधियों की कुल संख्या 190 बताते हुए 19 पेज पर इनके बारे में तमाम विवरण दिया गया है।
राजेश बदरी की जन्म कुंडली पहले ही पन्ने के क्रमांक नंबर 7 पर देते हुए उसके खिलाफ विभिन्न जिलों में दर्ज एफ.आई.आर. का भी विवरण दिया गया है और यह भी लिखा गया है कि क्राइम करने में उसकी मॉडस आपरेंडी क्या रही है। वेबसाइट की जानकारी को हकीकत मानें तो स्ट्रांग बॉडी और 0 फुट 0 इंच हाइट का यह कुख्यात बदमाश बेहद खतरनाक है, जिसकी तलाश अभी तक चल रही है लेकिन, हरियाणा पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद वह हाथ नहीं आ पाया है।
देवेंद्र दांगी, रोहतक :
हरियाणा पुलिस के माथे पर बल पड़े हुए हैं। उसे चाहिए कुख्यात सरगना राजेश उर्फ बदरी, जो अब तक कितनी ही हत्याओं के अलावा लूटपाट की भी अनेक वारदातों को अंजाम दे चुका है। पुलिस ने उसके सिर पर लाखों का ईनाम भी रखा है। जो कोई भी पुलिस को बदरी के बारे में सुराग देगा हरियाणा पुलिस उसे मालामाल कर देगी।
पढ़कर हैरान न हों क्योंकि यह बात हम कतई नहीं कह रहे। दरअसल, आपकी ही तरह हम भी इस बात को बखुबी जानते हैं कि राजेश बदरी अब इस दुनियां में नहीं है लेकिन, हैरत की बात तो यह है कि बदरी को एनकाउंटर में मार गिराने वाली हरियाणा पुलिस खुद इस बात से अनजान है कि बदरी मर चुका है। अगर, पुलिस अनजान नहीं होती तो फिर ऐसे कौन से कारण हो सकते हैं कि मौत के बाद भी किसी की तलाश में पुलिस मारी-मारी फिरती रहे।
जी हां, फास्ट एंड फेयर वर्किंग का दावा ठोकते नहीं थकने वाली हरियाणा पुलिस के लिए कुख्यात सरगना राजेश उर्फ बदरी मौत के बाद भी मोस्ट वांटेड है। यकीन न आए तो हरियाणा पुलिस की वेबसाइट पर लॉगइन करके भी देख सकते हैं। वेबसाइट पर बने पब्लिक इंफोर्मेशन कालम के नीचे बने हरियाणा मोस्ट वांटेड के लिंक पर माउस क्लिक करें तो उन अपराधियों की सूची कम्प्यूटर सक्रिन पर दिखाई देती है, जो बेहद खतरनाक अपराधी हैं और हरियाणा पुलिस जिन्हें सलाखों के पीछे पहुंचाने की गरज में आम आदमी का साथ चाहती है।
गुजरे वक्त में कुख्यात सरगना रहा राजेश उर्फ बदरी अपनी मौत के कई रोज गुजर जाने के बाद आज भी इस सूची में उपस्थिति दर्ज कराते हुए इस बात की पोल खोल रहा है कि हरियाणा पुलिस की वर्किंग कितनी फास्ट है। हरियाणा मोस्ट वांटेड कालम में मोस्ट वांटेड अपराधियों की कुल संख्या 190 बताते हुए 19 पेज पर इनके बारे में तमाम विवरण दिया गया है।
राजेश बदरी की जन्म कुंडली पहले ही पन्ने के क्रमांक नंबर 7 पर देते हुए उसके खिलाफ विभिन्न जिलों में दर्ज एफ.आई.आर. का भी विवरण दिया गया है और यह भी लिखा गया है कि क्राइम करने में उसकी मॉडस आपरेंडी क्या रही है। वेबसाइट की जानकारी को हकीकत मानें तो स्ट्रांग बॉडी और 0 फुट 0 इंच हाइट का यह कुख्यात बदमाश बेहद खतरनाक है, जिसकी तलाश अभी तक चल रही है लेकिन, हरियाणा पुलिस के तमाम प्रयासों के बावजूद वह हाथ नहीं आ पाया है।
गलती को सुधारा जाएगा : जैदी
कायदे से राजेश उर्फ बदरी का नाम मोस्ट वांटेड क्रिमिनल्ज की लिस्ट से अब तक डीलिट हो जाना चाहिए था लेकिन, गलती से ऐसा नहीं हो पाया है। यह कहना है हरियाणा पुलिस हैडक्वार्टर में तैनात डिप्टी डायरेक्टर लायजन एंड पब्लिक रिलेशन ऑफिसर सरदार ए. एस. जैदी का। उन्होंने कहा कि इस चूक को तुरंत प्रभाव से ठीक किया जाएगा। पुलिस की कौशिश रहती है कि पब्लिक तक सटीक जानकारी पहुंचाई जाए।
शांति के कबूतर उड़ाने वालों के लिए खतरे की घंटी
- रोहतक-झज्जर-सोनीपत में बढ़ रहे हैं फिरौती के मामले
- अमीरी बढऩे के साथ अपराध दर में भी हुआ है इजाफा
देवेंद्र दांगी, रोहतक : हरियाणा में पिछले कुछ सालों के दौरान धनवानों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। उसी रफ्तार से दिल्ली के साथ लगते एनसीआर में आने वाले प्रदेश के इलाके में एक्सटार्सन के मामलों में भी इजाफा हुआ है। हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि सभी जिलों में ही फिरौती के मामले बढ़े हों। कुछ जिलों में इस अपराध में कमी दर्ज हुई है लेकिन, रोहतक झज्जर एवं सोनीपत आदि जिलों में फिरौती के मामलों में दो गुणा से भी अधिक बढ़त होना समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है। राज्य सरकार भले ही कानून-व्यवस्था के दुरुस्त होने का दावा ठोकती रहे मगर हकीकत यही है कि दिल्ली के नजदीक ललते हरियाणा के जिलों में फिरौती की वारदात अंजाम दी जा रही हैं। पुलिस के तमाम प्रयास के बावजूद बदमाशों के हौसले पस्त होने की बजाय आज भी बुलंद हैं। इस हकीकत को अधिकारी वर्ग बेशक अपनी जुबान से स्वीकार न भी करे लेकिन, पुलिस का रिकार्ड तो सच बोल ही रहा है। इस रिकार्ड के मुताबिक रोहतक पुलिस रेंज के अंतर्गत आने वाले झज्जर, रोहतक, सोनीपत, पानीपत एवं करनाल जिलों 2009 में फिरौती के कुल 26 केस रजिस्टर हुए थे जो 2010 में बढ़कर 36 हो गए। इसमें सबसे चौकाने वाली बात जो है वह है मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा के गृह जिले रोहतक एवं साथ लगते झज्जर तथा सोनीपत जिलों की स्थिति। इन तीनों ही जिलों में बीते साल फिरौती के मामलों में खासा इजाफा दर्ज किया गया है, जिसको लेकर खाकी वर्दी वालों को चिंतन की बेहद आवश्यकता है। वर्ष 2009 में रोहतक में कुल 6 केस फिरौती के दर्ज हुए थे जो अगले साल बढ़कर 12 हो गए। यानी पहले से दो गुनी वारदात यहां अंजाम दी गईं। इसी तरह से बात यदि, झज्जर जिले की करें तो बेशक, सेज की एवज में हुई भू-अधिग्रहण के मुआवजे से अनेक किसान करोड़पति बन गए हैं लेकिन, फिरौती के मामलों में वहां रोहतक से भी अधिक तेजी आई है। झज्जर वह जिला है जहां करीब-करीब तीन गुणा तक एक्सटार्सन केस अधिक दर्ज हुए हैं। साल 2009 में झ्ज्जर में महज 5 केस रजिसटर हुए थे जबकि बीते साल इनकी संख्या 13 तक पहुंच गई है। इस इलाके में फिरौती के मामलों में खासी बढ़ोतरी वाकई में शांति के कबूतर उड़ाने वालों के चेहरों का रंग भी उड़ाने लगी है। बात पानीपत एवं करनाल की करें तो वहां पर फिरौती के मामलों में कमी दर्ज होना अमन की चाह रखने वालों के लिए राहत भरी खबर कही जा सकती है लेकिन एनसीआर में आने वाले सोनीपत, झज्जर एवं रोहतक में बज रही खतरे की घंटी पर खाकी वर्दी वालों को कान धरने की बेहद जरूरत है।
रोहतक पुलिस रेंज के आईजी वी. कामराज हकीकत को स्वीकारते तो हैं मगर, उनका कहना है कि स्थिति इतनी भी खराब नहीं है। उनका कहना है कि अपराध पर काबू पाने के प्रयास गंभीरता से किए जा रहे हैं। काफी हद तक पुलिस को कामयाबी हासिल भी हुई है लेकिन, अभी बहुत सा काम किया जाना बाकी है। पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार लाते हुए अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा है। इसके लिए नई-नई प्लानिंग भी की जाती हैं।
- अमीरी बढऩे के साथ अपराध दर में भी हुआ है इजाफा
देवेंद्र दांगी, रोहतक : हरियाणा में पिछले कुछ सालों के दौरान धनवानों की संख्या में बढ़ोतरी हुई है। उसी रफ्तार से दिल्ली के साथ लगते एनसीआर में आने वाले प्रदेश के इलाके में एक्सटार्सन के मामलों में भी इजाफा हुआ है। हालांकि, ऐसा भी नहीं है कि सभी जिलों में ही फिरौती के मामले बढ़े हों। कुछ जिलों में इस अपराध में कमी दर्ज हुई है लेकिन, रोहतक झज्जर एवं सोनीपत आदि जिलों में फिरौती के मामलों में दो गुणा से भी अधिक बढ़त होना समाज के लिए चिंता का विषय बन गया है। राज्य सरकार भले ही कानून-व्यवस्था के दुरुस्त होने का दावा ठोकती रहे मगर हकीकत यही है कि दिल्ली के नजदीक ललते हरियाणा के जिलों में फिरौती की वारदात अंजाम दी जा रही हैं। पुलिस के तमाम प्रयास के बावजूद बदमाशों के हौसले पस्त होने की बजाय आज भी बुलंद हैं। इस हकीकत को अधिकारी वर्ग बेशक अपनी जुबान से स्वीकार न भी करे लेकिन, पुलिस का रिकार्ड तो सच बोल ही रहा है। इस रिकार्ड के मुताबिक रोहतक पुलिस रेंज के अंतर्गत आने वाले झज्जर, रोहतक, सोनीपत, पानीपत एवं करनाल जिलों 2009 में फिरौती के कुल 26 केस रजिस्टर हुए थे जो 2010 में बढ़कर 36 हो गए। इसमें सबसे चौकाने वाली बात जो है वह है मुख्यमंत्री चौधरी भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा के गृह जिले रोहतक एवं साथ लगते झज्जर तथा सोनीपत जिलों की स्थिति। इन तीनों ही जिलों में बीते साल फिरौती के मामलों में खासा इजाफा दर्ज किया गया है, जिसको लेकर खाकी वर्दी वालों को चिंतन की बेहद आवश्यकता है। वर्ष 2009 में रोहतक में कुल 6 केस फिरौती के दर्ज हुए थे जो अगले साल बढ़कर 12 हो गए। यानी पहले से दो गुनी वारदात यहां अंजाम दी गईं। इसी तरह से बात यदि, झज्जर जिले की करें तो बेशक, सेज की एवज में हुई भू-अधिग्रहण के मुआवजे से अनेक किसान करोड़पति बन गए हैं लेकिन, फिरौती के मामलों में वहां रोहतक से भी अधिक तेजी आई है। झज्जर वह जिला है जहां करीब-करीब तीन गुणा तक एक्सटार्सन केस अधिक दर्ज हुए हैं। साल 2009 में झ्ज्जर में महज 5 केस रजिसटर हुए थे जबकि बीते साल इनकी संख्या 13 तक पहुंच गई है। इस इलाके में फिरौती के मामलों में खासी बढ़ोतरी वाकई में शांति के कबूतर उड़ाने वालों के चेहरों का रंग भी उड़ाने लगी है। बात पानीपत एवं करनाल की करें तो वहां पर फिरौती के मामलों में कमी दर्ज होना अमन की चाह रखने वालों के लिए राहत भरी खबर कही जा सकती है लेकिन एनसीआर में आने वाले सोनीपत, झज्जर एवं रोहतक में बज रही खतरे की घंटी पर खाकी वर्दी वालों को कान धरने की बेहद जरूरत है।
रोहतक पुलिस रेंज के आईजी वी. कामराज हकीकत को स्वीकारते तो हैं मगर, उनका कहना है कि स्थिति इतनी भी खराब नहीं है। उनका कहना है कि अपराध पर काबू पाने के प्रयास गंभीरता से किए जा रहे हैं। काफी हद तक पुलिस को कामयाबी हासिल भी हुई है लेकिन, अभी बहुत सा काम किया जाना बाकी है। पुलिस की कार्यप्रणाली में सुधार लाते हुए अपराधियों को सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा है। इसके लिए नई-नई प्लानिंग भी की जाती हैं।
सोमवार, फ़रवरी 07, 2011
...इन्हें मंजूर नहीं प्रेम पर पहरेदारी
प्रेमी संग लड़कियों के फरार होने के मामलों में हुआ इजाफा
देवेंद्र दांगी, रोहतक : खाप पंचायतें बेशक कोई भी फरमान सुनाती रहें और समाज के ठेकेदार पुरातन परम्पराओं की दुहाई देते न थके मगर, कड़वी सच्चाई यही है कि आज का युवा किसी भी किस्म का बंधन स्वीकारने के मूड में हरगिज भी नहीं है। प्रेम करने वालों की सरेआम हत्या के मामले बेशक आए रोज मीडिया की सुर्खियां बनते हों मगर, प्यार करने वालों को इसकी कोई खास परवाह नहीं है। खापों के खौफ और ऑनर किलिंग के साए में भी प्रेमी-प्रेमिकाएं जमकर प्यार की पींग बढ़ा रहे हैं और हरियाणा पुलिस का रिकार्ड खुद इस बात को साबित करता है कि युवा वर्ग को प्यार पर पहरा अब किसी भी सूरत में मंजूर नहीं।
रिकार्ड उठाकर देखें तो मालूम पड़ता है कि साल-दर-साल युवक-युवतियों के घर से भागकर प्रेम विवाह रचाने के मामलों में निरंतर इजाफा हुआ है और यह सिलसिला गुजरे बरस भी यूं ही बदस्तूर रहा। बीते साल भी लड़के-लड़कियों के घर से भागने के अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और यही क्रम इस बार भी जारी है। समूचे प्रदेश को छोड़ यहां पर हम महज रोहतक पुलिस रेंज के अंतर्गत आने वाले झज्जर, सोनीपत, पानीपत, रोहतक एवं करनाल जिलों के सूरत-ए-हाल पर नजर डालें तो मालूम पड़ता है कि लड़कियों को भगा ले जाने के करीब दो दर्जन मामले अधिक रजिस्टर किए गए हैं।
साल 2009 में आई.पी.सी. की धारा 363/366 के अंतर्गत रोहतक रेंज में कुल 228 केस विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज किए गए थे, जिनकी संख्या बीते साल में बढकर 248 पहुंच गई। यानी गुजरे साल में लड़कियों के घर से भागने के 20 मामले अधिक दर्ज हुए हैं। मामले की गहराई से पड़ताल यदि की जाए तो अहसास होता है कि बेशक, लड़कियों के परिजनों की तरफ से पुलिस में शिकायत देते हुए उनकी कम उम्र का हवाला देकर बहला-फुसला कर भगा ले जाने का आरोप लड़कों पर लगाया गया हो लेकिन, इसकी हकीकत यही है कि बहलाने-फुसलाने भर से कोई लड़की अपने परिवार को छोड़कर किसी लड़के के साथ नहीं गई बल्कि उसने सबकुछ देख एवं सोच-समझकर ही यह कदम उठाया होगा। वरना, घरों से गायब होने के बाद उनके प्रेम को शादी की कानूनी मोहर हासिल नहीं हुई होती।
वैसे, पुलिस रिकार्ड की बात करें तो सोनीपत एवं झज्जर तथा पानीपत आदि वे प्रमुख जिले हैं, जहां पर प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिकाओं को भगा ले जाने के मामलों में खासा इजाफा हुआ है। झज्जर में साल 2009 में ऐसे 25 मामले दर्ज हुए थे वहीं बीते साल यह आंकड़ा बढ़कर 44 पहुंच गया। यानी एक साल के अंतराल में प्रेमी-प्रेमिका के घर से भागने के 19 मामले ज्यादा प्रकाश में आए। केवल मात्र 365 दिनों के अंतराल में यह आंकड़ा एक लिहाज से काफी अंतर वाला कहा जा सकता है। इसी तरह से सोनीपत जिले की बात यदि करें तो दो साल में यहां पर भी काफी फर्क महसूस किया जा सकता है। साल 2009 में सोनीपत में इस तरह के दर्ज मामलों की संख्या 57 थी जो 2010 में बढ़कर 75 पहुंच गई। एक साल के अंतराल में यहां पर भी लड़के-लड़कियों के घर से भाग जाने के 18 मामले अधिक दर्ज किए गए हैं।
सोनीपत एवं झज्जर के माफिक पानीपत जिले में भी लड़कियों के भगा ले जाने के अधिक केस दर्ज हुए हैं। पानीपत में एक साल के अंतराल में हालांकि, 10 केस ही अधिक प्रकाश में आए हैं लेकिन, ये मामले इस बात को साबित करने को काफी हैं कि प्रेम किसी के रोके कहां रुकता है, उसे कोई बंधन या परम्परा कहां रोक पाई हैं? प्रेम तो निश्चल बहती उस पवित्र धारा का नाम है जिसे समुद्र में मिलकर शांत हो जाना है फिर बेशक, ऑनर किलिंग का भूत प्रेमियों पीछे लगा रहे या खाप पंचायतें तुगलकी फरमान ही क्यों न सुनाती रहें।
देवेंद्र दांगी, रोहतक : खाप पंचायतें बेशक कोई भी फरमान सुनाती रहें और समाज के ठेकेदार पुरातन परम्पराओं की दुहाई देते न थके मगर, कड़वी सच्चाई यही है कि आज का युवा किसी भी किस्म का बंधन स्वीकारने के मूड में हरगिज भी नहीं है। प्रेम करने वालों की सरेआम हत्या के मामले बेशक आए रोज मीडिया की सुर्खियां बनते हों मगर, प्यार करने वालों को इसकी कोई खास परवाह नहीं है। खापों के खौफ और ऑनर किलिंग के साए में भी प्रेमी-प्रेमिकाएं जमकर प्यार की पींग बढ़ा रहे हैं और हरियाणा पुलिस का रिकार्ड खुद इस बात को साबित करता है कि युवा वर्ग को प्यार पर पहरा अब किसी भी सूरत में मंजूर नहीं।
रिकार्ड उठाकर देखें तो मालूम पड़ता है कि साल-दर-साल युवक-युवतियों के घर से भागकर प्रेम विवाह रचाने के मामलों में निरंतर इजाफा हुआ है और यह सिलसिला गुजरे बरस भी यूं ही बदस्तूर रहा। बीते साल भी लड़के-लड़कियों के घर से भागने के अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और यही क्रम इस बार भी जारी है। समूचे प्रदेश को छोड़ यहां पर हम महज रोहतक पुलिस रेंज के अंतर्गत आने वाले झज्जर, सोनीपत, पानीपत, रोहतक एवं करनाल जिलों के सूरत-ए-हाल पर नजर डालें तो मालूम पड़ता है कि लड़कियों को भगा ले जाने के करीब दो दर्जन मामले अधिक रजिस्टर किए गए हैं।
साल 2009 में आई.पी.सी. की धारा 363/366 के अंतर्गत रोहतक रेंज में कुल 228 केस विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज किए गए थे, जिनकी संख्या बीते साल में बढकर 248 पहुंच गई। यानी गुजरे साल में लड़कियों के घर से भागने के 20 मामले अधिक दर्ज हुए हैं। मामले की गहराई से पड़ताल यदि की जाए तो अहसास होता है कि बेशक, लड़कियों के परिजनों की तरफ से पुलिस में शिकायत देते हुए उनकी कम उम्र का हवाला देकर बहला-फुसला कर भगा ले जाने का आरोप लड़कों पर लगाया गया हो लेकिन, इसकी हकीकत यही है कि बहलाने-फुसलाने भर से कोई लड़की अपने परिवार को छोड़कर किसी लड़के के साथ नहीं गई बल्कि उसने सबकुछ देख एवं सोच-समझकर ही यह कदम उठाया होगा। वरना, घरों से गायब होने के बाद उनके प्रेम को शादी की कानूनी मोहर हासिल नहीं हुई होती।
वैसे, पुलिस रिकार्ड की बात करें तो सोनीपत एवं झज्जर तथा पानीपत आदि वे प्रमुख जिले हैं, जहां पर प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिकाओं को भगा ले जाने के मामलों में खासा इजाफा हुआ है। झज्जर में साल 2009 में ऐसे 25 मामले दर्ज हुए थे वहीं बीते साल यह आंकड़ा बढ़कर 44 पहुंच गया। यानी एक साल के अंतराल में प्रेमी-प्रेमिका के घर से भागने के 19 मामले ज्यादा प्रकाश में आए। केवल मात्र 365 दिनों के अंतराल में यह आंकड़ा एक लिहाज से काफी अंतर वाला कहा जा सकता है। इसी तरह से सोनीपत जिले की बात यदि करें तो दो साल में यहां पर भी काफी फर्क महसूस किया जा सकता है। साल 2009 में सोनीपत में इस तरह के दर्ज मामलों की संख्या 57 थी जो 2010 में बढ़कर 75 पहुंच गई। एक साल के अंतराल में यहां पर भी लड़के-लड़कियों के घर से भाग जाने के 18 मामले अधिक दर्ज किए गए हैं।
सोनीपत एवं झज्जर के माफिक पानीपत जिले में भी लड़कियों के भगा ले जाने के अधिक केस दर्ज हुए हैं। पानीपत में एक साल के अंतराल में हालांकि, 10 केस ही अधिक प्रकाश में आए हैं लेकिन, ये मामले इस बात को साबित करने को काफी हैं कि प्रेम किसी के रोके कहां रुकता है, उसे कोई बंधन या परम्परा कहां रोक पाई हैं? प्रेम तो निश्चल बहती उस पवित्र धारा का नाम है जिसे समुद्र में मिलकर शांत हो जाना है फिर बेशक, ऑनर किलिंग का भूत प्रेमियों पीछे लगा रहे या खाप पंचायतें तुगलकी फरमान ही क्यों न सुनाती रहें।
शनिवार, फ़रवरी 05, 2011
अमन-चैन के 185 दुश्मन
- मोस्ट वांटेड बदमाशों में रोहतक की है टॉप पॉजिशन
चंडीगढ़ : आम जनमानस के चैन की नींद की गारंटी लेने वाले खाकी वर्दी वाले खुद चैन से नहीं सो पा रहे हैं। दरअसल, उनकी नींद उड़ा रखी है उन 185 शातिर मोस्ट वांटेड अपराधियों ने जो आए रोज संगीन वारदातों को अंजाम देते हुए कानून-व्यवस्था के लिए चुनौति पेश कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि प्रदेश में यह हालात हाल-फिलहाल बनें हो बल्कि कई अपराधी तो ऐसे हैं, जिनकी तलाश में पुलिस एक दशक से भी अधिक वक्त से खाक छानती फिर रही है मगर, वे इतने तेजतर्रार हैं कि कानून के लम्बे कहे जाने वाले हाथों को अपने गिरेबान के नजदीक तो दूर, परछाई तक भी नहीं पहुंचने दे रहे। हालांकि, अथाह प्रयासों की बदौलत हरियाणा पुलिस ने लाखों का ईनाम सिर पर लिए सालों से आजाद घूम रहे कुख्यात सरगना राजेश उर्फ बदरी उर्फ ताऊ का राजस्थान में एनकाउंटर कर कुछ राहत जरूर महसूस की है लेकिन, हकीकत यही है कि बदरी जैसे और भी न जाने कितने ही शातिर किस्म के अपराधी आज भी खाकी के सीने पर मूंग दल रहे हैं। बदरी को ठिकाने लगाने के बाद हालांकि हरियाणा पुलिस उसके संपर्कों को टटोलने में जुट गई है और हो सकता है कि निकट भविष्य में कुछ कामयाबी पुलिस के हाथ लगे भी लेकिन, जब तक ये 185 क्रिमिनल सलाखों से बाहर हैं, पुलिस ही क्यों, आम जनमानस की रातों की नींद एवं दिन का चैन यूं ही उड़ा रहेगा। हरियाणा पुलिस ने इन अपराधियों को पकडऩे के वास्ते आम आदमी का साथ लेने की गरज में बाकायदा इंटरनेट पर इनके बारे में तमाम जानकारी उनके फोटोग्राफ्स के साथ अपलोड़ की हुई हैं मगर, अभी तक के हालात को देखते हुए कहने में कोई दो राय नहीं कि हाइटैक युग में किसी भी मोस्ट वांटेड अपराधी को पकड़वाने में पुलिस को आम जनमानस से वह सहयोग नहीं मिल पाया है, जिसकी उम्मीद कानून के रखवालों को सालों-साल से है। दूसरे शब्दों में यदि कहें तो आम जनमानस दरअसल, पुलिस को दोष तो जरूर देता है मगर बात जब उसकी खुद की जिम्मेदारी की आती है तो अपने आप को अमनपसंद कहलवाना पसंद करने वाला कोई भी शख्स वर्दी वालों को कॉप्रेट करने की बजाय उनसे दूर ही भागता नजर आता है। यह भी एक प्रमुख कारण है कि आज भी 185 मोस्ट वांटेड अपराधी विकास की राह पर दौड़ रहे हरियाणा की फिजां में खून के छींटे उड़ा रहे हैं। हरियाणा पुलिस की वेबसाइट पर अपलोड की गई सूचनाएं खंगाली तो आश्चर्य हुआ कि प्रदेश को नंबर वन बनाने के प्रयासों में जुटे रा'य के मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गृह जिला मोस्ट वांटेड अपराधियों के मामले में टॉप पोजिशन पर है। वेबसाइट के मुताबिक रोहतक में फिलहाल 24 मोस्ट वांटेड हैं। दूसरे नंबर पर झज्जर एवं रेवाड़ी संयुक्त रूप से हैं। इन दोनों ही जिलों में 19-19 मोस्ट वांटेड हैं। एजुकेशन सिटी के तौर पर विकसित कर दिल्ली के साथ लगते जिस सोनीपत के स्वर्णिम भविष्य की बात रा'य सरकार करते नहीं थकती, वह 14 मोस्ट वांटेड के साथ तीसरे नंबर पर है। वहीं प्रदेश के पश्चिमी हिस्से पर आबाद फतेहाबाद में भी 11 मोस्ट वांटेड अपराधी खुले घूम रहे हैं। हरियाणा पुलिस के आईजी क्राइम वन आलोक कुमार राय कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हो, बल्कि समय-समय पर खास ऑपरेशन चलाया जाता है और मौका मिलते ही बदमाशों को काबू कर सलाखों के पीछे पहुंचाया जाता है। राय कहते हैं कि इस मामले में पब्लिक से सहयोग न के बराबर मिलता है जबकि सच्चाई यह भी है कि बिना पब्लिक के सहयोग के किसी भी स्तर पर कोई मुहीम सफल नहीं हो सकती लिहाजा, समाज हित में लोगों को पुलिस का सहयोग करना चाहिए। इसके लिए जरूरी नहीं कि लोग खुलकर सामने आएं, कोई भी आदमी असामाजिक तत्वों के बारे में पुलिस को सूचना दे सकता है, उसका नाम एवं पता पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा।
कहां कितने मोस्ट वांटेड
रोहतक 24
रेवाड़ी 19
झज्जर 19
पानीपत 4
सोनीपत 14
करनाल 5
कैथल 1
कुरुक्षेत्र 7
महेंद्रगढ़ 8
मेवात 4
पलवल 11
पंचकुला 7
अम्बाला 5
भिवानी 4
फरीदाबाद 8
फतेहाबाद 11
हिसार 4
जींद 8
सिरसा 1
यमुनानगर 9
राजकीय रेलवे पुलिस 3
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चंडीगढ़ : आम जनमानस के चैन की नींद की गारंटी लेने वाले खाकी वर्दी वाले खुद चैन से नहीं सो पा रहे हैं। दरअसल, उनकी नींद उड़ा रखी है उन 185 शातिर मोस्ट वांटेड अपराधियों ने जो आए रोज संगीन वारदातों को अंजाम देते हुए कानून-व्यवस्था के लिए चुनौति पेश कर रहे हैं। ऐसा नहीं है कि प्रदेश में यह हालात हाल-फिलहाल बनें हो बल्कि कई अपराधी तो ऐसे हैं, जिनकी तलाश में पुलिस एक दशक से भी अधिक वक्त से खाक छानती फिर रही है मगर, वे इतने तेजतर्रार हैं कि कानून के लम्बे कहे जाने वाले हाथों को अपने गिरेबान के नजदीक तो दूर, परछाई तक भी नहीं पहुंचने दे रहे। हालांकि, अथाह प्रयासों की बदौलत हरियाणा पुलिस ने लाखों का ईनाम सिर पर लिए सालों से आजाद घूम रहे कुख्यात सरगना राजेश उर्फ बदरी उर्फ ताऊ का राजस्थान में एनकाउंटर कर कुछ राहत जरूर महसूस की है लेकिन, हकीकत यही है कि बदरी जैसे और भी न जाने कितने ही शातिर किस्म के अपराधी आज भी खाकी के सीने पर मूंग दल रहे हैं। बदरी को ठिकाने लगाने के बाद हालांकि हरियाणा पुलिस उसके संपर्कों को टटोलने में जुट गई है और हो सकता है कि निकट भविष्य में कुछ कामयाबी पुलिस के हाथ लगे भी लेकिन, जब तक ये 185 क्रिमिनल सलाखों से बाहर हैं, पुलिस ही क्यों, आम जनमानस की रातों की नींद एवं दिन का चैन यूं ही उड़ा रहेगा। हरियाणा पुलिस ने इन अपराधियों को पकडऩे के वास्ते आम आदमी का साथ लेने की गरज में बाकायदा इंटरनेट पर इनके बारे में तमाम जानकारी उनके फोटोग्राफ्स के साथ अपलोड़ की हुई हैं मगर, अभी तक के हालात को देखते हुए कहने में कोई दो राय नहीं कि हाइटैक युग में किसी भी मोस्ट वांटेड अपराधी को पकड़वाने में पुलिस को आम जनमानस से वह सहयोग नहीं मिल पाया है, जिसकी उम्मीद कानून के रखवालों को सालों-साल से है। दूसरे शब्दों में यदि कहें तो आम जनमानस दरअसल, पुलिस को दोष तो जरूर देता है मगर बात जब उसकी खुद की जिम्मेदारी की आती है तो अपने आप को अमनपसंद कहलवाना पसंद करने वाला कोई भी शख्स वर्दी वालों को कॉप्रेट करने की बजाय उनसे दूर ही भागता नजर आता है। यह भी एक प्रमुख कारण है कि आज भी 185 मोस्ट वांटेड अपराधी विकास की राह पर दौड़ रहे हरियाणा की फिजां में खून के छींटे उड़ा रहे हैं। हरियाणा पुलिस की वेबसाइट पर अपलोड की गई सूचनाएं खंगाली तो आश्चर्य हुआ कि प्रदेश को नंबर वन बनाने के प्रयासों में जुटे रा'य के मुख्यमंत्री चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा का गृह जिला मोस्ट वांटेड अपराधियों के मामले में टॉप पोजिशन पर है। वेबसाइट के मुताबिक रोहतक में फिलहाल 24 मोस्ट वांटेड हैं। दूसरे नंबर पर झज्जर एवं रेवाड़ी संयुक्त रूप से हैं। इन दोनों ही जिलों में 19-19 मोस्ट वांटेड हैं। एजुकेशन सिटी के तौर पर विकसित कर दिल्ली के साथ लगते जिस सोनीपत के स्वर्णिम भविष्य की बात रा'य सरकार करते नहीं थकती, वह 14 मोस्ट वांटेड के साथ तीसरे नंबर पर है। वहीं प्रदेश के पश्चिमी हिस्से पर आबाद फतेहाबाद में भी 11 मोस्ट वांटेड अपराधी खुले घूम रहे हैं। हरियाणा पुलिस के आईजी क्राइम वन आलोक कुमार राय कहते हैं कि ऐसा नहीं है कि पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हो, बल्कि समय-समय पर खास ऑपरेशन चलाया जाता है और मौका मिलते ही बदमाशों को काबू कर सलाखों के पीछे पहुंचाया जाता है। राय कहते हैं कि इस मामले में पब्लिक से सहयोग न के बराबर मिलता है जबकि सच्चाई यह भी है कि बिना पब्लिक के सहयोग के किसी भी स्तर पर कोई मुहीम सफल नहीं हो सकती लिहाजा, समाज हित में लोगों को पुलिस का सहयोग करना चाहिए। इसके लिए जरूरी नहीं कि लोग खुलकर सामने आएं, कोई भी आदमी असामाजिक तत्वों के बारे में पुलिस को सूचना दे सकता है, उसका नाम एवं पता पूरी तरह गोपनीय रखा जाएगा।
कहां कितने मोस्ट वांटेड
रोहतक 24
रेवाड़ी 19
झज्जर 19
पानीपत 4
सोनीपत 14
करनाल 5
कैथल 1
कुरुक्षेत्र 7
महेंद्रगढ़ 8
मेवात 4
पलवल 11
पंचकुला 7
अम्बाला 5
भिवानी 4
फरीदाबाद 8
फतेहाबाद 11
हिसार 4
जींद 8
सिरसा 1
यमुनानगर 9
राजकीय रेलवे पुलिस 3
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रविवार, जनवरी 30, 2011
हरियाणा की सेल, करोड़ों का खेल
नई दिल्ली। हरियाणा सेल पर है। जी हां, दिल्ली से सटे गुड़गांव और फरीदाबाद की सोना उगलने वाली जमीनों को खुले हाथों से लुटा रही है हुड्डा सरकार। इस लूट में निजी कंस्ट्रक्शन कंपनियों पर इस कदर मेहरबान है सरकार कि 17 सौ करोड़ की जमीन की खरीद पर भारी छूट भी दे रही है। झूठ और फरेब का सहारा लेकर हुड्डा सरकार ने लाखों करोड़ों की अरावली की जमीन कौड़ियों के भाव एक निजी कंपनी के हवाले कर दी।
गुड़गांव के वजीराबाद में आवासीय, विश्राम और मनोरंजन परियोजना के नाम पर 350 एकड़ जमीन देश की बड़ी निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी को दे दी गई। इस जमीन का आधा हिस्सा यानी 161 एकड़ जमीन अरावली प्लांटेशन स्कीम के तहत आता है। यानी सरकारी फाइलों में ये जंगल कहलाता है। इतना ही नहीं 92 एकड़ जमीन तो पंजाब लैंड प्रिजरवेशन एक्ट 1970 के तहत संरक्षित भी है।
जंगल की जमीन निर्माण कार्य के लिए नहीं दी जा सकती। संरक्षित जमीन भी बिना केन्द्र सरकार की इजाज़त के नीलाम नहीं की जा सकती। ज़ाहिर है कोई भी कंपनी इस तरह की जमीन पर हाथ नहीं डालेगी। लेकिन मेहरबान हरियाणा सरकार ने सभी नियमों को ताक पर रख कर टेंडर प्रक्रिया में ही ये शर्त रख दी कि जमीन के लिए जरूरी क्लीयरेंस वो खुद लेकर निजी कंपनी को देगी।
हुड्डा जी मुख्यमंत्री हैं और उनकी सरकार और 350 एकड़ जमीन पाने वाली निजी कंपनी के रिश्ते काफी गहरे थे क्योंकि सरकार को क्लीयरेंस लेने का सुझाव उसी निजी कंपनी ने दिया था। शायद वो जानती थी कि अगर वो केन्द्र सरकार के पास हरी झंडी के लिए गई तो इजाज़त मिलनी मुश्किल होगी। इसलिए सरकार ने शॉर्ट कट मारा। इससे पहले कि पर्यावरण मंत्रालय उसके आवेदन पर कोई फैसला लेता, हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन डाला। सुप्रीम कोर्ट में आया ऐसा आवेदन सीधे कोर्ट की ओर से बनाई गई सेन्ट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी के पास जो जाता है।
आवेदन में हुड्डा सरकार ने दो बातें लिखीं। पहली- पंजाब लैंड प्रिजरवेशन एक्ट के तहत 92 एकड़ जमीन के लिए किसी इजाजत की जरूरत नहीं है क्योंकि ये एक्ट 1970 का है जो सिर्फ 25 साल के लिए था। अब ये कानून खुद-ब-खुद खत्म हो चुका है। दूसरी- अरावली प्लांटेशन स्कीम के तहत उगाए गए पेड़-पौधे जंगल नहीं हैं और प्लांटेशन का पूरा खर्च राज्य सरकार ने उठाया है। इसलिए जमीन के इस टुकड़े के लिए भी इजाजत की जरूरत नहीं है। राज्य सरकार ने यहां तक कहा कि वो फिर भी कोर्ट से इजाज़त इसलिए मांग रही है क्योंकि उसे पर्यावरण की चिंता है।
ये सुप्रीम कोर्ट में कहा गया हरियाणा सरकार का सफेद झूठ था। आईबीएन 7 के पास मौजूद दस्तावेज साफ बताते हैं कि जिस जमीन को खुद सुप्रीम कोर्ट ने जंगल माना है, हुड्डा सरकार ने इस आवेदन में उसे जंगल मानने से ही इंकार कर दिया। दरअसल अरावली खनन मामले में अक्टूबर 2004 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अरावली प्लांटेशन स्कीम को जंगल मानते हुए ये निर्देश दिए कि आगे जाकर ना तो सरकार ना कोई निजी कंपनी ये कह सकती है कि ये जमीन जंगल नहीं है।
यानी हरियाणा सरकार ने एक निजी कंपनी के लिए गलतबयानी कर सुप्रीम कोर्ट से इजाज़त लेने की कोशिश की। मामला कोर्ट की सेन्ट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी के पास गया। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि कमेटी ने भी हरियाणा सरकार का पक्ष लेते हुए अरावली प्लांटेशन स्कीम की जमीन पर निर्माण के आदेश दे दिए।
इस पूरी कहानी में सवाल सुप्रीम कोर्ट की सेन्ट्रल एम्पावर्ड कमेटी पर भी उठ रहे हैं, जिसने अपनी सिफारिश में ना सिर्फ अरावली में हुए प्लांटेशन को बर्बाद करने की इजाज़त दे दी बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ अरावली को जंगल मानने से ही इनकार कर दिया। इतना ही नहीं जहां एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाया गया वहीं रक्षा परियोजना के लिए सरकार की अर्जी खारिज कर दी गई।
एम्पॉवर्ड कमेटी ने हु्ड्डा सरकार के आवेदन पर कहा कि अरावली प्लांटेशन स्कीम की जमीन जंगल नहीं है। राज्य सरकार को इसके बदले 1700 करोड़ रुपए की कमाई हो रही है। प्लांटेशन खुद हरियाणा सरकार ने किया है इसलिए वजीराबाद की इस जमीन पर निर्माण की इजाजत दी जा सकती है। पंजाब लैंड प्रिजरवेशन एक्ट के तहत आने वाली 92 एकड़ जमीन को भी जंगल नहीं माना गया और उसे भी परियोजना में इस्तेमाल करने की इजाज़त दे दी गई। इसके बदले हरियाणा सरकार को फरीदाबाद के बड़खल इलाके में वनीकरण के लिए 407 एकड़ जमीन अधिगृहित करने को कहा गया।
बड़खल की जमीन वही है जिसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ऑर्गनाइजेशन यानी डीआरडीओ ने परीक्षण सुविधाओं के लिए मांगा था। लेकिन सीईसी ने उनकी अर्जी खारिज करते हुए जमीन निजी कंपनी के लिए सुरक्षित कर दी। हद तो ये है कि डीआरडीओ को जमीन के लिए खुद क्लीयरेंस लेने की शर्त रखी गई थी लेकिन निजी कंपनी पर मेहरबान सरकार ने उनके लिए केन्द्र सरकार ने इजाज़त लेने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली।
वैसे नीलामी के वक्त भी हुड्डा सरकार ने निजी कंपनी पर मेहरबानी दिखाई थी। नीलामी की शर्तों को इस तरह बदला गया कि सिर्फ एक ही कंपनी उसे पूरा करे। नतीजा ये कि सोना उगलने वाली जमीन के लिए सरकार ने जो रिजर्व प्राइस तय किया था, कंपनी को सिर्फ 2 रुपए प्रति मीटर ज्यादा पर वो जमीन दे दी गई। सवाल विधानसभा में भी उठे लेकिन सरकार ने जैसे कानून की धज्जियां उड़ाने की ठान ली थी।
सरकार जानती है। हुड्डा सरकार के मंत्री भी जानते हैं कि हरियाणा में जमीन की बंदरबांट की जा रही है लेकिन मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा खामोश हैं। आईबीएन 7 की तमाम कोशिशों के बाद भी मुख्यमंत्री बचते रहे। ऐसे में क्या ये कहना गलत होगा कि हरियाणा की जमीन सेल पर है औऱ बेचने वाले वही हैं जिनपर जंगल और जमीन बचाने की जिम्मेदारी है।
IBN-7 ki Report
गुड़गांव के वजीराबाद में आवासीय, विश्राम और मनोरंजन परियोजना के नाम पर 350 एकड़ जमीन देश की बड़ी निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी को दे दी गई। इस जमीन का आधा हिस्सा यानी 161 एकड़ जमीन अरावली प्लांटेशन स्कीम के तहत आता है। यानी सरकारी फाइलों में ये जंगल कहलाता है। इतना ही नहीं 92 एकड़ जमीन तो पंजाब लैंड प्रिजरवेशन एक्ट 1970 के तहत संरक्षित भी है।
जंगल की जमीन निर्माण कार्य के लिए नहीं दी जा सकती। संरक्षित जमीन भी बिना केन्द्र सरकार की इजाज़त के नीलाम नहीं की जा सकती। ज़ाहिर है कोई भी कंपनी इस तरह की जमीन पर हाथ नहीं डालेगी। लेकिन मेहरबान हरियाणा सरकार ने सभी नियमों को ताक पर रख कर टेंडर प्रक्रिया में ही ये शर्त रख दी कि जमीन के लिए जरूरी क्लीयरेंस वो खुद लेकर निजी कंपनी को देगी।
हुड्डा जी मुख्यमंत्री हैं और उनकी सरकार और 350 एकड़ जमीन पाने वाली निजी कंपनी के रिश्ते काफी गहरे थे क्योंकि सरकार को क्लीयरेंस लेने का सुझाव उसी निजी कंपनी ने दिया था। शायद वो जानती थी कि अगर वो केन्द्र सरकार के पास हरी झंडी के लिए गई तो इजाज़त मिलनी मुश्किल होगी। इसलिए सरकार ने शॉर्ट कट मारा। इससे पहले कि पर्यावरण मंत्रालय उसके आवेदन पर कोई फैसला लेता, हरियाणा सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एक आवेदन डाला। सुप्रीम कोर्ट में आया ऐसा आवेदन सीधे कोर्ट की ओर से बनाई गई सेन्ट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी के पास जो जाता है।
आवेदन में हुड्डा सरकार ने दो बातें लिखीं। पहली- पंजाब लैंड प्रिजरवेशन एक्ट के तहत 92 एकड़ जमीन के लिए किसी इजाजत की जरूरत नहीं है क्योंकि ये एक्ट 1970 का है जो सिर्फ 25 साल के लिए था। अब ये कानून खुद-ब-खुद खत्म हो चुका है। दूसरी- अरावली प्लांटेशन स्कीम के तहत उगाए गए पेड़-पौधे जंगल नहीं हैं और प्लांटेशन का पूरा खर्च राज्य सरकार ने उठाया है। इसलिए जमीन के इस टुकड़े के लिए भी इजाजत की जरूरत नहीं है। राज्य सरकार ने यहां तक कहा कि वो फिर भी कोर्ट से इजाज़त इसलिए मांग रही है क्योंकि उसे पर्यावरण की चिंता है।
ये सुप्रीम कोर्ट में कहा गया हरियाणा सरकार का सफेद झूठ था। आईबीएन 7 के पास मौजूद दस्तावेज साफ बताते हैं कि जिस जमीन को खुद सुप्रीम कोर्ट ने जंगल माना है, हुड्डा सरकार ने इस आवेदन में उसे जंगल मानने से ही इंकार कर दिया। दरअसल अरावली खनन मामले में अक्टूबर 2004 के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने अरावली प्लांटेशन स्कीम को जंगल मानते हुए ये निर्देश दिए कि आगे जाकर ना तो सरकार ना कोई निजी कंपनी ये कह सकती है कि ये जमीन जंगल नहीं है।
यानी हरियाणा सरकार ने एक निजी कंपनी के लिए गलतबयानी कर सुप्रीम कोर्ट से इजाज़त लेने की कोशिश की। मामला कोर्ट की सेन्ट्रल एम्पॉवर्ड कमेटी के पास गया। आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि कमेटी ने भी हरियाणा सरकार का पक्ष लेते हुए अरावली प्लांटेशन स्कीम की जमीन पर निर्माण के आदेश दे दिए।
इस पूरी कहानी में सवाल सुप्रीम कोर्ट की सेन्ट्रल एम्पावर्ड कमेटी पर भी उठ रहे हैं, जिसने अपनी सिफारिश में ना सिर्फ अरावली में हुए प्लांटेशन को बर्बाद करने की इजाज़त दे दी बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के खिलाफ अरावली को जंगल मानने से ही इनकार कर दिया। इतना ही नहीं जहां एक निजी कंपनी को फायदा पहुंचाया गया वहीं रक्षा परियोजना के लिए सरकार की अर्जी खारिज कर दी गई।
एम्पॉवर्ड कमेटी ने हु्ड्डा सरकार के आवेदन पर कहा कि अरावली प्लांटेशन स्कीम की जमीन जंगल नहीं है। राज्य सरकार को इसके बदले 1700 करोड़ रुपए की कमाई हो रही है। प्लांटेशन खुद हरियाणा सरकार ने किया है इसलिए वजीराबाद की इस जमीन पर निर्माण की इजाजत दी जा सकती है। पंजाब लैंड प्रिजरवेशन एक्ट के तहत आने वाली 92 एकड़ जमीन को भी जंगल नहीं माना गया और उसे भी परियोजना में इस्तेमाल करने की इजाज़त दे दी गई। इसके बदले हरियाणा सरकार को फरीदाबाद के बड़खल इलाके में वनीकरण के लिए 407 एकड़ जमीन अधिगृहित करने को कहा गया।
बड़खल की जमीन वही है जिसे डिफेंस रिसर्च एंड डेवलेपमेंट ऑर्गनाइजेशन यानी डीआरडीओ ने परीक्षण सुविधाओं के लिए मांगा था। लेकिन सीईसी ने उनकी अर्जी खारिज करते हुए जमीन निजी कंपनी के लिए सुरक्षित कर दी। हद तो ये है कि डीआरडीओ को जमीन के लिए खुद क्लीयरेंस लेने की शर्त रखी गई थी लेकिन निजी कंपनी पर मेहरबान सरकार ने उनके लिए केन्द्र सरकार ने इजाज़त लेने की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले ली।
वैसे नीलामी के वक्त भी हुड्डा सरकार ने निजी कंपनी पर मेहरबानी दिखाई थी। नीलामी की शर्तों को इस तरह बदला गया कि सिर्फ एक ही कंपनी उसे पूरा करे। नतीजा ये कि सोना उगलने वाली जमीन के लिए सरकार ने जो रिजर्व प्राइस तय किया था, कंपनी को सिर्फ 2 रुपए प्रति मीटर ज्यादा पर वो जमीन दे दी गई। सवाल विधानसभा में भी उठे लेकिन सरकार ने जैसे कानून की धज्जियां उड़ाने की ठान ली थी।
सरकार जानती है। हुड्डा सरकार के मंत्री भी जानते हैं कि हरियाणा में जमीन की बंदरबांट की जा रही है लेकिन मुख्यमंत्री भूपेन्द्र सिंह हुड्डा खामोश हैं। आईबीएन 7 की तमाम कोशिशों के बाद भी मुख्यमंत्री बचते रहे। ऐसे में क्या ये कहना गलत होगा कि हरियाणा की जमीन सेल पर है औऱ बेचने वाले वही हैं जिनपर जंगल और जमीन बचाने की जिम्मेदारी है।
IBN-7 ki Report
शनिवार, अगस्त 21, 2010
अपनों के खून से क्यों रंग रहे हैं हाथ
- परिजनों ने ही दिया है कई वारदातों को अंजाम
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 21 अगस्त। लगता है जिले में शांति को ग्रहण लग गया है नहीं तो और क्या कारण हो सकता है कि आए दिन कत्ल एवं कातिलाना हमलों जैसे संगीन अपराध हो रहे हैं और कानून के रखवाले महज कागजी कार्रवाई निपटाने में ही व्यस्त दिख रहे हैं। खास बात तो यह भी है कि अधिकतर मामलों में कोई गैर नहीं बल्कि अपनों के हाथ ही अपनों के खून से रंगे हैं। भले ही उक्त वारदातें संगठित अपराध की श्रेणी में नहीं आती हों मगर इससे दुखदायी बात और क्या हो सकती है कि अवैध संबंधों के चलते आई रिश्तों में आई खटास एवं प्रोपर्टी का लालच सब-कुछ तबाह करता जा रहा है।
पिछले करीब दो महीने के क्राइम चार्ट पर नजर डालें तो रोहतक जिले की स्थिति बेहद खतरनाक बनती नजर आ रही है। हत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और हर दूसरे या तीसरे दिन कोई न कोई कत्ल हो रहा है। भले ही अधिकतर मामलों को सुलझाने का दावा कर पुलिस अधिकारी बेहतर वर्कआउट की बात करें मगर उनके इतना भर करने से समाज का रत्ति भर भी भला होने वाला नहीं है। चूंकि, जिले में हुई अधिकतर वारदातों को अपनों ने ही अंजाम दिया है और तकरीबन केसों में नामजद मुकद्दमें दर्ज हुए हैं, ऐसे में पुलिस ने केस ट्रैस कर भी लिए तो उसे ही काफी नहीं कहा जा सकता। जरूरत केस साल्व करने की बेशक है मगर इससे भी जरूरी है हत्याओं के चल रहे इस बदस्तूर सिलसिले पर रोक लगाने की।
रिश्तों की डोर को काट रही है लालच की कैंची
मामलों की गहराई में जाकर तहकीकात करें तो बेहद ही चौंकाने वाली और कड़वी हकीकत से सामना होता है। पुलिस द्वारा साल्व किए गए अधिकतर केस की फाइलें इस बात की गवाही देती नजर आ रही है कि ज्यादातर हत्याओं जैसी वारदातें या तो अवैध संबंधों के चलते अंजाम दी गई हैं या फिर उनकी जड़ में प्रोपर्टी का लालच अहम कारण साबित हुआ है। समाजसेवी शमशेर सिंह नेहरा कहते हैं कि समाज में नैतिक मूल्यों का निरंतर होता जा रहा पतन ही इसका मुख्य कारण है। वे कहते हैं कि बड़े-छोटे का लिहाज समाज से मिटता चला जा रहा है जो आने वाले समय में और भी खतरनाक स्थिति पैदा करने वाला साबित होगा। वहीं मनोरोग विशेषज्ञों की मानें तो उनका कहना है कि बदलते वक्त में इनसान की संवेदनशीलता खत्म होती जा रही है। बदले खान-पान ने लोगों की सहनशीलता को भी खत्म करने का काम किया है। एकल परिवार की बढ़ती धारणा और खत्म होती जा रही सोशल रिलेशनशिप भी इसके मुख्य कारण हैं। इसके अलावा युवा वर्ग का फास्ट फारवर्ड लाइफ स्टाइल भी अपराध की दर को बढ़ाने का काम कर रहा है। बेरोजगारी को भी इसका एक मुख्य कारण कहा जा सकता है लेकिन बात जब अपनों के कत्ल की आती है तो यह बात साबित करने के लिए काफी है कि रिश्तों की डोरी को लालच की तेजधार कैंची जमकर काट रही है।
शांति के लिए प्रयास जारी : कामाराजा
तेजी से बदल रहे वक्त के साथ-साथ युवा वर्ग की सोच भी बदलती जा रही है। कई बार देखने को मिलता है कि मामूली सी बात को लेकर लोग एक-दूजे के खून के प्यासे हो जाते हैं। लोगों की सहनशीलता कम होती जा रही है लेकिन, पुलिस ने हार नहीं मानी है और शांति के लिए प्रयासों में आगे और भी तेजी लाई जाएगी। यह कहना है रोहतक पुलिस रेंज के आईजी वी. कामाराजा का। वे बताते हैं कि पुलिस विभाग ने कई ऐसे गांवों को लिस्टिड भी किया है जिनका अतीत संगीन अपराधों का रहा है। ऐसे गांवों में लोगों के साथ पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी मेलजोल बढ़ा रहे हैं और लोगों के आपसी विवादों को बड़े-बुजुर्गों की सलाह-मशविरे से हल किया जाएगा। श्री कामाराजा ने कहा कि हमारे समाज को आत्म विश्लेषण करने की घोर जरूरत है और बड़े-बुजुगों को भी अपने बच्चों की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि वे भटकाव के रास्ते पर न निकलने पाएं। उन्होंने कहा कि आपसी रंजिश में या प्रोपर्टी के लालच में अधिकतर वारदातें अंजाम दी गई हैं लेकिन ऐसा होना भी कतई गलत है। पुलिस आगे भी अपने प्रयास जारी रखेगी और कौशिश की जाएगी कि इस तरह की वारदातों को कम किया जा सके।
कुछ बहुचर्चित वारदातें
गांव सुंडाना में पिता की हत्या।
जसीया में अज्ञात युवक की हत्या।
गांव करौंथा में बाप-बेटे की हत्या।
कारौर में कर्नल के पिता की हत्या।
सांघी गांव में अधेड़ व्यक्ति की हत्या।
ईस्माइला में पिता एंव मौसी की हत्या।
शुगर मिल के पास दुकानदार की हत्या।
सिंहपुरा गांव में युवा किसान की हत्या।
ट्रक कलीनर की पेंचकर मारकर हत्या।
लाढौत रोड पर प्रोपर्टी डीलर की हत्या।
कारौर के नजदीक दो व्यक्तियों की हत्या।
बलियाना में एक दिन दो युवकों की हत्या।
गंव चिड़ी में दो विधवाओं की जघन्य हत्या।
नई अनाज मंडी के नजदीक नीतिन की हत्या।
कलानौर में मुक्का मारकर मोबाइल विक्रेता की हत्या।
पीजीआई के पास प्रोपर्टी डीलर की हत्या कर शव फैंका।
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 21 अगस्त। लगता है जिले में शांति को ग्रहण लग गया है नहीं तो और क्या कारण हो सकता है कि आए दिन कत्ल एवं कातिलाना हमलों जैसे संगीन अपराध हो रहे हैं और कानून के रखवाले महज कागजी कार्रवाई निपटाने में ही व्यस्त दिख रहे हैं। खास बात तो यह भी है कि अधिकतर मामलों में कोई गैर नहीं बल्कि अपनों के हाथ ही अपनों के खून से रंगे हैं। भले ही उक्त वारदातें संगठित अपराध की श्रेणी में नहीं आती हों मगर इससे दुखदायी बात और क्या हो सकती है कि अवैध संबंधों के चलते आई रिश्तों में आई खटास एवं प्रोपर्टी का लालच सब-कुछ तबाह करता जा रहा है।
पिछले करीब दो महीने के क्राइम चार्ट पर नजर डालें तो रोहतक जिले की स्थिति बेहद खतरनाक बनती नजर आ रही है। हत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और हर दूसरे या तीसरे दिन कोई न कोई कत्ल हो रहा है। भले ही अधिकतर मामलों को सुलझाने का दावा कर पुलिस अधिकारी बेहतर वर्कआउट की बात करें मगर उनके इतना भर करने से समाज का रत्ति भर भी भला होने वाला नहीं है। चूंकि, जिले में हुई अधिकतर वारदातों को अपनों ने ही अंजाम दिया है और तकरीबन केसों में नामजद मुकद्दमें दर्ज हुए हैं, ऐसे में पुलिस ने केस ट्रैस कर भी लिए तो उसे ही काफी नहीं कहा जा सकता। जरूरत केस साल्व करने की बेशक है मगर इससे भी जरूरी है हत्याओं के चल रहे इस बदस्तूर सिलसिले पर रोक लगाने की।
रिश्तों की डोर को काट रही है लालच की कैंची
मामलों की गहराई में जाकर तहकीकात करें तो बेहद ही चौंकाने वाली और कड़वी हकीकत से सामना होता है। पुलिस द्वारा साल्व किए गए अधिकतर केस की फाइलें इस बात की गवाही देती नजर आ रही है कि ज्यादातर हत्याओं जैसी वारदातें या तो अवैध संबंधों के चलते अंजाम दी गई हैं या फिर उनकी जड़ में प्रोपर्टी का लालच अहम कारण साबित हुआ है। समाजसेवी शमशेर सिंह नेहरा कहते हैं कि समाज में नैतिक मूल्यों का निरंतर होता जा रहा पतन ही इसका मुख्य कारण है। वे कहते हैं कि बड़े-छोटे का लिहाज समाज से मिटता चला जा रहा है जो आने वाले समय में और भी खतरनाक स्थिति पैदा करने वाला साबित होगा। वहीं मनोरोग विशेषज्ञों की मानें तो उनका कहना है कि बदलते वक्त में इनसान की संवेदनशीलता खत्म होती जा रही है। बदले खान-पान ने लोगों की सहनशीलता को भी खत्म करने का काम किया है। एकल परिवार की बढ़ती धारणा और खत्म होती जा रही सोशल रिलेशनशिप भी इसके मुख्य कारण हैं। इसके अलावा युवा वर्ग का फास्ट फारवर्ड लाइफ स्टाइल भी अपराध की दर को बढ़ाने का काम कर रहा है। बेरोजगारी को भी इसका एक मुख्य कारण कहा जा सकता है लेकिन बात जब अपनों के कत्ल की आती है तो यह बात साबित करने के लिए काफी है कि रिश्तों की डोरी को लालच की तेजधार कैंची जमकर काट रही है।
शांति के लिए प्रयास जारी : कामाराजा
तेजी से बदल रहे वक्त के साथ-साथ युवा वर्ग की सोच भी बदलती जा रही है। कई बार देखने को मिलता है कि मामूली सी बात को लेकर लोग एक-दूजे के खून के प्यासे हो जाते हैं। लोगों की सहनशीलता कम होती जा रही है लेकिन, पुलिस ने हार नहीं मानी है और शांति के लिए प्रयासों में आगे और भी तेजी लाई जाएगी। यह कहना है रोहतक पुलिस रेंज के आईजी वी. कामाराजा का। वे बताते हैं कि पुलिस विभाग ने कई ऐसे गांवों को लिस्टिड भी किया है जिनका अतीत संगीन अपराधों का रहा है। ऐसे गांवों में लोगों के साथ पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी मेलजोल बढ़ा रहे हैं और लोगों के आपसी विवादों को बड़े-बुजुर्गों की सलाह-मशविरे से हल किया जाएगा। श्री कामाराजा ने कहा कि हमारे समाज को आत्म विश्लेषण करने की घोर जरूरत है और बड़े-बुजुगों को भी अपने बच्चों की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि वे भटकाव के रास्ते पर न निकलने पाएं। उन्होंने कहा कि आपसी रंजिश में या प्रोपर्टी के लालच में अधिकतर वारदातें अंजाम दी गई हैं लेकिन ऐसा होना भी कतई गलत है। पुलिस आगे भी अपने प्रयास जारी रखेगी और कौशिश की जाएगी कि इस तरह की वारदातों को कम किया जा सके।
कुछ बहुचर्चित वारदातें
गांव सुंडाना में पिता की हत्या।
जसीया में अज्ञात युवक की हत्या।
गांव करौंथा में बाप-बेटे की हत्या।
कारौर में कर्नल के पिता की हत्या।
सांघी गांव में अधेड़ व्यक्ति की हत्या।
ईस्माइला में पिता एंव मौसी की हत्या।
शुगर मिल के पास दुकानदार की हत्या।
सिंहपुरा गांव में युवा किसान की हत्या।
ट्रक कलीनर की पेंचकर मारकर हत्या।
लाढौत रोड पर प्रोपर्टी डीलर की हत्या।
कारौर के नजदीक दो व्यक्तियों की हत्या।
बलियाना में एक दिन दो युवकों की हत्या।
गंव चिड़ी में दो विधवाओं की जघन्य हत्या।
नई अनाज मंडी के नजदीक नीतिन की हत्या।
कलानौर में मुक्का मारकर मोबाइल विक्रेता की हत्या।
पीजीआई के पास प्रोपर्टी डीलर की हत्या कर शव फैंका।
केंद्र सरकार तक पहुंची मामले की गूंज
- फरियाद लेकर परिजन एवं रिश्तेदार पहुंचे सीएम के दरबार में
- दर्जनों लोग दिल्ली जाकर मुख्यमंत्री हुड्डा एवं सांसद दीपेंद्र से मिले
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 20 अगस्त।
कुख्यात सोमालियाई समुद्री लुटेरों द्वारा अगुवा किए गए जहाज एवं क्रू मैम्बर्स के मामले की फरियाद आज रा'य के सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा एवं रोहतक के सांसद दीपेंद्र हुड्डा के पास भी पहुंची। सीएम एवं दीपेंद्र हुड्डा दोनों ने ही मिलने गए दर्जनों लोगों को आश्वासन दिया कि इस मामले में प्रदेश सरकार रवींद्र के परिवार के साथ खड़ी है और रवींद्र को सकुशल छुड़ाकर लाने के लिए वे पूरा जोर लगा देंगे। मिलने गए लोगों के सामने ही मुख्यमंत्री श्री हुड्डा ने यूनियन मिनिस्टर ऑफ स्टेट्ट (एक्टर्नल अफेयर्स) परनीत कौर से फोन पर बातचीत भी की और रवींद्र के मामले में बिना देर किए उचित कदम उठाने का पुरजोर अनुरोध भी किया। दीपेंद्र हुड्डा ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय नेताओं से बातचीत की और एक बाईहैंड लैटर भी बनाकर मिलने गए लोगों को दिया है। दीपेंद्र हुड्डा ने बताया कि चाहे कैसे भी हो रवींद्र को सकुशल वापस लाया जाएगा और इसके लिए वे पूरी ताकत लगा देंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से खरावड़ के रहने वाले युवक बिजेंद्र मलिक को कुछ साल पहले समुद्री लुटेरों के चंगुल से छुड़ा लिया गया था उसी तरह से रवींद्र को भी सकुलश घर लाएंगे।
- दर्जनों लोग दिल्ली जाकर मुख्यमंत्री हुड्डा एवं सांसद दीपेंद्र से मिले
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 20 अगस्त।
कुख्यात सोमालियाई समुद्री लुटेरों द्वारा अगुवा किए गए जहाज एवं क्रू मैम्बर्स के मामले की फरियाद आज रा'य के सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा एवं रोहतक के सांसद दीपेंद्र हुड्डा के पास भी पहुंची। सीएम एवं दीपेंद्र हुड्डा दोनों ने ही मिलने गए दर्जनों लोगों को आश्वासन दिया कि इस मामले में प्रदेश सरकार रवींद्र के परिवार के साथ खड़ी है और रवींद्र को सकुशल छुड़ाकर लाने के लिए वे पूरा जोर लगा देंगे। मिलने गए लोगों के सामने ही मुख्यमंत्री श्री हुड्डा ने यूनियन मिनिस्टर ऑफ स्टेट्ट (एक्टर्नल अफेयर्स) परनीत कौर से फोन पर बातचीत भी की और रवींद्र के मामले में बिना देर किए उचित कदम उठाने का पुरजोर अनुरोध भी किया। दीपेंद्र हुड्डा ने भी मामले को गंभीरता से लेते हुए केंद्रीय नेताओं से बातचीत की और एक बाईहैंड लैटर भी बनाकर मिलने गए लोगों को दिया है। दीपेंद्र हुड्डा ने बताया कि चाहे कैसे भी हो रवींद्र को सकुशल वापस लाया जाएगा और इसके लिए वे पूरी ताकत लगा देंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह से खरावड़ के रहने वाले युवक बिजेंद्र मलिक को कुछ साल पहले समुद्री लुटेरों के चंगुल से छुड़ा लिया गया था उसी तरह से रवींद्र को भी सकुलश घर लाएंगे।
भंवर में जिंदगी...
जहाज का तेल व राशन हुआ खत्म
- रवींद्र गुलिया के परिजनों ने सरकार से लगाई गुहार
- समुद्री लुटेरों के चंगुल में एक नौजवान भी अम्बाला का भी
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 20 अगस्त सोमालियाई समुद्री लुटेरों द्वारा अपहृत किए गए मिश्र देश के मालवाहक जहाज पर राशन खत्म हो गया है और लुटेरों के चंगुल में फंसे उसके क्रू मैम्बर्स अब भूखों मरने लगे हैं। पेट की आग बुझाने के लिए उनके पास अगर कुछ बचा है तो वह सिर्फ पीने का थोड़ा बहुत पानी ही है, जिसके सहारे बंधक बनाए गए क्रू मैम्बर्स किसी तरह वक्त काट रहे हैं। यह बात पता चलने पर रोहतक के गुलिया परिवार पर संकट और भी गहरा गया है और पूरा परिवार जबरदस्त सदमे में आ गया है।
पंजाब केसरी से बातचीत में रवींद्र गुलिया की पत्नी सम्पा ने बताया कि आज दोपहर करीब साढ़े 11 बजे उसकी अपने पति से बामुश्किल चालीस-पचास सैकेंड बातचीत हो पाई है। सैटेलाइट फोन पर हुई इस बातचीत ने उन लोगों की चिंता को और भी बढ़ा दिया है। सम्पा ने बताया कि शायद रवींद्र ने अपहरण कत्र्ताओं से छिपकर किसी तरह जहाज के नंबर से यह कॉल की है। सम्पा के मुताबिक बातचीत में रवींद्र बुरी तरह डरा-सहमा लग रहा था और धीरे-धीरे बोलते हुए वह बस इतना ही बता पाया कि जहाज पर कल से राशन खत्म हो गया है और खाने के लिए एक दाना भी नहीं बचा है। क्रू मैम्बर्स में से भी कईयों को अलग-अलग कर दिया गया है और जहाज का तेल भी आज खत्म हो गया।
सम्पा के मुताबिक उसके साथियों की हालत के बारे में पूछने पर रवींद्र बस इतना ही बता पाया कि अपने देश के छह में से एक लड़का कन्याकुमारी का और एक शिमला का है। इसके अलावा हरियाणा से उसके अलावा एक युवक अम्बाला का भी है, जो समुद्री लुटेरों के चंगुल में फंसा है। सम्पा ने बताया कि रवींद्र आगे भी अपने साथी क्रू मैम्बर्स के नाम बताना चाहता था लेकिन अचानक कुछ आवाज हुई और दूसरी तरफ से फोन कट गया। आज हुए इस घटनाक्रम के बाद रवींद्र की पत्नी सम्पा एवं बाकी सभी परिजनों की चिंता और भी बढ़ गई है और उनको समझ नहीं आ रहा है कि करें तो करें क्या। ऐसे में दिन-रात भगवान की प्रार्थना की जा रही है।
- रवींद्र गुलिया के परिजनों ने सरकार से लगाई गुहार
- समुद्री लुटेरों के चंगुल में एक नौजवान भी अम्बाला का भी
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 20 अगस्त सोमालियाई समुद्री लुटेरों द्वारा अपहृत किए गए मिश्र देश के मालवाहक जहाज पर राशन खत्म हो गया है और लुटेरों के चंगुल में फंसे उसके क्रू मैम्बर्स अब भूखों मरने लगे हैं। पेट की आग बुझाने के लिए उनके पास अगर कुछ बचा है तो वह सिर्फ पीने का थोड़ा बहुत पानी ही है, जिसके सहारे बंधक बनाए गए क्रू मैम्बर्स किसी तरह वक्त काट रहे हैं। यह बात पता चलने पर रोहतक के गुलिया परिवार पर संकट और भी गहरा गया है और पूरा परिवार जबरदस्त सदमे में आ गया है।
पंजाब केसरी से बातचीत में रवींद्र गुलिया की पत्नी सम्पा ने बताया कि आज दोपहर करीब साढ़े 11 बजे उसकी अपने पति से बामुश्किल चालीस-पचास सैकेंड बातचीत हो पाई है। सैटेलाइट फोन पर हुई इस बातचीत ने उन लोगों की चिंता को और भी बढ़ा दिया है। सम्पा ने बताया कि शायद रवींद्र ने अपहरण कत्र्ताओं से छिपकर किसी तरह जहाज के नंबर से यह कॉल की है। सम्पा के मुताबिक बातचीत में रवींद्र बुरी तरह डरा-सहमा लग रहा था और धीरे-धीरे बोलते हुए वह बस इतना ही बता पाया कि जहाज पर कल से राशन खत्म हो गया है और खाने के लिए एक दाना भी नहीं बचा है। क्रू मैम्बर्स में से भी कईयों को अलग-अलग कर दिया गया है और जहाज का तेल भी आज खत्म हो गया।
सम्पा के मुताबिक उसके साथियों की हालत के बारे में पूछने पर रवींद्र बस इतना ही बता पाया कि अपने देश के छह में से एक लड़का कन्याकुमारी का और एक शिमला का है। इसके अलावा हरियाणा से उसके अलावा एक युवक अम्बाला का भी है, जो समुद्री लुटेरों के चंगुल में फंसा है। सम्पा ने बताया कि रवींद्र आगे भी अपने साथी क्रू मैम्बर्स के नाम बताना चाहता था लेकिन अचानक कुछ आवाज हुई और दूसरी तरफ से फोन कट गया। आज हुए इस घटनाक्रम के बाद रवींद्र की पत्नी सम्पा एवं बाकी सभी परिजनों की चिंता और भी बढ़ गई है और उनको समझ नहीं आ रहा है कि करें तो करें क्या। ऐसे में दिन-रात भगवान की प्रार्थना की जा रही है।
समुद्री लुटेरों ने दिया 72 घंटे का अल्टीमेटम
- फिरौती की रकम न मिलने पर क्रू मैंम्बर्स को मारने की धमकी
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 19 अगस्त। कुख्यात सोमालियाई लुटेरों ने अगुवा किए गए मिश्र के समुद्री जहाज के क्रू मैम्बर्स की सुरक्षित रिहाई की लिए 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। अगर, इस समयावधि में उनकी मांग के अनुरूप फिरौती की रकम उन्हें नहीं मिली तो वे कू्र मैम्बर्स को एक-एक कर मौत के घाट उतारना शुरू कर देंगे। लुटेरों ने मिश्र वासी चार क्रू मैम्बर्स को उनके बाकी सहयोगियों से अलग भी कर दिया है। इस हालिया घटनाक्रम के बाद रोहतक में रहने वाले गुलिया परिवार की जान पर बन आई है। उनकी आंखों से नींद उड़ चुकी है और चैन हराम हो गया है। हर पल उनको अपने उस लाड़ले की चिंता खाए जा रही है जो लुटेरों द्वारा अगुवा किए गए समुद्री जहाज पर कू्र मैम्बर है।
सेना में रहकर बरसों तब भारत मां की सरहदों की रक्षा करने वाले राजेंद्र सिंह गुलिया कहते हैं कि वे अपने जीवन में कभी भी दुश्मनों से नहीं घबराए मगर इकलौता बेटा रवींद्र सोमालियाई लुटेरों के कब्जे में है और वे लोग उससे इतनी दूर हैं कि चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे। रवींद्र की मां अंगूरी देवी को जब से मालूम हुआ है कि उसके जिगर का टुकड़ा अपहरणकत्र्ताओं के चंगुल में फंसा है, उसका बुरा हाल है। आंखों की नमी इस हकीकत को साफ-साफ ब्यान कर रही है कि एक मां के दिलो-दिमाग में इस वक्त क्या उथल-पुथल चल रही है। हर पल वह भगवान से प्रार्थना करती रहती है और अपने बेटे की सलामती के लिए दुआ कर रही है।
पंजाब केसरी से बातचीत करते हुए अपहृत रवींद्र की पत्नी सम्पा ने बताया कि उसकी आखिरी बार अपने पति से कल दोपहर 12 बजकर 40 मिनट पर बातचीत हुई थी। यह बातचीत मुश्किल से एक मिनट भी नहीं चल पाई और फोन डिसक्रैक्ट हो गया। इस संक्षिप्त बातचीत में रवींद्र अपनी पत्नी को महज इतना ही बता पाया कि लुटेरे सभी क्रू मैम्बर्स को बुरी तरह पीटते हैं। उनको डंडे एवं पिस्टल के बट मारे जाते हैं। खाना भी केवल इतना ही दिया जा रहा है, जिसे खाकर इनसान बस किसी तरह जिंदा ही रह सकता है।
समुद्री लुटेरों ने उन चार कू्र मैम्बर्स को बाकी से अलग कर दिया है जो मिश्र देश के रहने वाले हैं। लुटेरों ने फिरौती के लिए कंपनी को 72 घंटे का टाइम दिया है और कहा है कि इसके बाद वे एक-एक कर क्रू मैम्बर्स को कत्ल करना शुरू कर देंगे। रवींद्र के इतना कहने के बाद दूसरी तरफ से फोट कट गया। सम्पा ने बताया कि यह कॉल स्टेलाइट फोन से आई थी और रवींद्र की बातचीत से ऐसा लगा जैसे वह छिपकर बात कर रहा हो। इतना कहते-कहते सम्पा की आंखें भर आई और अपने अढ़ाई वर्षीय बेटे युगांत को सीने से लगाकर वह मकान में अंदर चली गई। बता दें कि मिश्र की रेड सी नैवीगेशन कंपनी का जहाज 1 अगस्त को पाकिस्तान से सामान लेकर साउथ अफ्रीका के लिए रवाना हुआ था और उसे बीच रास्ते सोमालियाई समुद्री लुटेरों ने अगुवा कर लिया है। इस जहाज पर कू्र मैम्बर्स की टीम में 6 भारतीयों के अलावा 4 पाकिस्तानी और 1 श्रीलंकाई के अलावा बाकी मिश्र के नागरिक हैं।
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 19 अगस्त। कुख्यात सोमालियाई लुटेरों ने अगुवा किए गए मिश्र के समुद्री जहाज के क्रू मैम्बर्स की सुरक्षित रिहाई की लिए 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। अगर, इस समयावधि में उनकी मांग के अनुरूप फिरौती की रकम उन्हें नहीं मिली तो वे कू्र मैम्बर्स को एक-एक कर मौत के घाट उतारना शुरू कर देंगे। लुटेरों ने मिश्र वासी चार क्रू मैम्बर्स को उनके बाकी सहयोगियों से अलग भी कर दिया है। इस हालिया घटनाक्रम के बाद रोहतक में रहने वाले गुलिया परिवार की जान पर बन आई है। उनकी आंखों से नींद उड़ चुकी है और चैन हराम हो गया है। हर पल उनको अपने उस लाड़ले की चिंता खाए जा रही है जो लुटेरों द्वारा अगुवा किए गए समुद्री जहाज पर कू्र मैम्बर है।
सेना में रहकर बरसों तब भारत मां की सरहदों की रक्षा करने वाले राजेंद्र सिंह गुलिया कहते हैं कि वे अपने जीवन में कभी भी दुश्मनों से नहीं घबराए मगर इकलौता बेटा रवींद्र सोमालियाई लुटेरों के कब्जे में है और वे लोग उससे इतनी दूर हैं कि चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे। रवींद्र की मां अंगूरी देवी को जब से मालूम हुआ है कि उसके जिगर का टुकड़ा अपहरणकत्र्ताओं के चंगुल में फंसा है, उसका बुरा हाल है। आंखों की नमी इस हकीकत को साफ-साफ ब्यान कर रही है कि एक मां के दिलो-दिमाग में इस वक्त क्या उथल-पुथल चल रही है। हर पल वह भगवान से प्रार्थना करती रहती है और अपने बेटे की सलामती के लिए दुआ कर रही है।
पंजाब केसरी से बातचीत करते हुए अपहृत रवींद्र की पत्नी सम्पा ने बताया कि उसकी आखिरी बार अपने पति से कल दोपहर 12 बजकर 40 मिनट पर बातचीत हुई थी। यह बातचीत मुश्किल से एक मिनट भी नहीं चल पाई और फोन डिसक्रैक्ट हो गया। इस संक्षिप्त बातचीत में रवींद्र अपनी पत्नी को महज इतना ही बता पाया कि लुटेरे सभी क्रू मैम्बर्स को बुरी तरह पीटते हैं। उनको डंडे एवं पिस्टल के बट मारे जाते हैं। खाना भी केवल इतना ही दिया जा रहा है, जिसे खाकर इनसान बस किसी तरह जिंदा ही रह सकता है।
समुद्री लुटेरों ने उन चार कू्र मैम्बर्स को बाकी से अलग कर दिया है जो मिश्र देश के रहने वाले हैं। लुटेरों ने फिरौती के लिए कंपनी को 72 घंटे का टाइम दिया है और कहा है कि इसके बाद वे एक-एक कर क्रू मैम्बर्स को कत्ल करना शुरू कर देंगे। रवींद्र के इतना कहने के बाद दूसरी तरफ से फोट कट गया। सम्पा ने बताया कि यह कॉल स्टेलाइट फोन से आई थी और रवींद्र की बातचीत से ऐसा लगा जैसे वह छिपकर बात कर रहा हो। इतना कहते-कहते सम्पा की आंखें भर आई और अपने अढ़ाई वर्षीय बेटे युगांत को सीने से लगाकर वह मकान में अंदर चली गई। बता दें कि मिश्र की रेड सी नैवीगेशन कंपनी का जहाज 1 अगस्त को पाकिस्तान से सामान लेकर साउथ अफ्रीका के लिए रवाना हुआ था और उसे बीच रास्ते सोमालियाई समुद्री लुटेरों ने अगुवा कर लिया है। इस जहाज पर कू्र मैम्बर्स की टीम में 6 भारतीयों के अलावा 4 पाकिस्तानी और 1 श्रीलंकाई के अलावा बाकी मिश्र के नागरिक हैं।
बुधवार, अगस्त 18, 2010
अनीमिया से पीडि़त है देश का भविष्य
- इंदिरा बाल स्वास्थ्य योजना के पहले चरण की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
- कारगर साबित नहीं हो रही है सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं
देवेन्द्र दांगी।
रोहतक, 18 अगस्त । प्रदेश के सरकारी व गैर-सरकारी स्कूलों में तालीम हासिल कर रहे बच्चों को विभिन्न बिमारियों से दूर रखने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के बावजूद प्रदेश के 60 प्रतिशत से अधिक बच्चे अनीमिया की बीमारी से ग्रस्त हैं। देश के इन भावी कर्णधारों का होमोग्लोबिन लेवल जल्द से जल्द बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि आगे चलकर ये स्वस्थ समाज के निर्माण में अपनी सार्थक भूमिका अदा कर सकें।
बच्चों में अनीमिया संबंधी बीमारी का यह खुलासा सरकार द्वारा विगत जनवरी माह में लांच की गई इंदिरा बाल स्वास्थ्य योजना के पहले चरण की रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक उक्त योजना के पहले चरण में राज्य के 9 हजार 2 सौ 46 राजकीय प्राथमिक स्कूलों में से 9 हजार 99 स्कूलों में पढऩे वाले लगभग 9 लाख 65 हजार बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की गई, जिनमेें से 6 लाख 2 हजार बच्चों के खून में आयरन एवं फोलिक एसिड की कमी पाई गई।
सूत्रों के मुताबिक इस रहस्योद्घाटन के बाद इन स्कूलों में एक विशेष अभियान चलाकर सभी एनेमिक बच्चों को आयरन एवं फोलिक एसिड की गोलियां दी गई हैं ताकि कैसे भी करते उनमें खून की कमी पूरी हो सके। अभियान के अंतर्गत अनीमिया के अतिरिक्त, रतौंधी, अपवर्तक विकार, दंत समस्याओं और विकलांगकता जैसी विभिन्न बीमारियों का भी उपचार किया गया।
हरियाणा की स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल बताती हैं कि राष्टï्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की उपशाखा के रूप में शुरू की गई इन्दिरा बाल स्वास्थ्य योजना के तीन चरणों के अन्तर्गत हरियाणा में सरकारी और निजी स्कूलों में पढऩे वाले तथा हरियाणा की आंगनवाडिय़ों में जाने वाले 45 लाख से अधिक बच्चों में से 20 लाख से अधिक बच्चों के स्वास्थ्य की जांच अनिवार्य रूप से की जा रही है। इस योजना के तीसरे और अन्तिम चरण के बाद 0 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों को इंदिरा बाल स्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत लाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह योजना बीमारी, अपंगता और आवश्यक तत्वों की कमी वाले सभी बच्चों की पहचान करके उन्हें उपचार के लिए डाक्टर के पास भेजने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम प्रदान करती है। इन्दिरा बाल स्वास्थ्य योजना के प्रथम चरण के अन्तर्गत राजकीय प्राथमिक स्कूलों में पढऩे वाले 6 से 12 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को कवर किया गया, दूसरे चरण में 0 से 6 वर्ष की आयु वर्ग के आंगनवाडिय़ों में जाने वाले बच्चों को कवर किया जा रहा है। एक रोज पूर्व यानी 16 अगस्त को शुरू हुए योजना के तीसरे चरण में 11 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के और 6 से 12 वर्ष की आयु वर्ग के निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को कवर किया जाएगा।
गीता भुक्कल ने का कहना है कि इस योजना के अन्तर्गत सभी संचारी बीमारियों जैसे कि श्वसन संक्रमण, हैजा, बुखार इत्यादि तथा गैर-संचारी बीमारियों जैसे कि हृदय रोग और कैंसर इत्यादि की जांच की जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत अनीमिया, कुपोषण और विटामिन-ए की कमी पर ध्यान केन्द्रित करके नेत्रहीन, बहरे, गूंगे, मानसिक एवं शारीरिक रूप से विक लांग बच्चों को भी शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि जून, 2010 में शुरू हुए चरण-2 के अन्तर्गत राज्य की 17 हजार 6 सौ 92 आंगनवाडिय़ों में से 15 हजार 9 सौ 11 आंगनवाडिय़ों में जाने वाले 9 लाख 15 हजार 8 सौ 8 बच्चों की अब तक जांच की गई है। हरियाणा सरकार की योजना 0 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों को इन्दिरा बाल स्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत लाने की है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अगले दो महीनों में योजना का तीसरा चरण भी पूरा हो जाएगा।
- कारगर साबित नहीं हो रही है सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं
देवेन्द्र दांगी।
रोहतक, 18 अगस्त । प्रदेश के सरकारी व गैर-सरकारी स्कूलों में तालीम हासिल कर रहे बच्चों को विभिन्न बिमारियों से दूर रखने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के बावजूद प्रदेश के 60 प्रतिशत से अधिक बच्चे अनीमिया की बीमारी से ग्रस्त हैं। देश के इन भावी कर्णधारों का होमोग्लोबिन लेवल जल्द से जल्द बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि आगे चलकर ये स्वस्थ समाज के निर्माण में अपनी सार्थक भूमिका अदा कर सकें।
बच्चों में अनीमिया संबंधी बीमारी का यह खुलासा सरकार द्वारा विगत जनवरी माह में लांच की गई इंदिरा बाल स्वास्थ्य योजना के पहले चरण की रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक उक्त योजना के पहले चरण में राज्य के 9 हजार 2 सौ 46 राजकीय प्राथमिक स्कूलों में से 9 हजार 99 स्कूलों में पढऩे वाले लगभग 9 लाख 65 हजार बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की गई, जिनमेें से 6 लाख 2 हजार बच्चों के खून में आयरन एवं फोलिक एसिड की कमी पाई गई।
सूत्रों के मुताबिक इस रहस्योद्घाटन के बाद इन स्कूलों में एक विशेष अभियान चलाकर सभी एनेमिक बच्चों को आयरन एवं फोलिक एसिड की गोलियां दी गई हैं ताकि कैसे भी करते उनमें खून की कमी पूरी हो सके। अभियान के अंतर्गत अनीमिया के अतिरिक्त, रतौंधी, अपवर्तक विकार, दंत समस्याओं और विकलांगकता जैसी विभिन्न बीमारियों का भी उपचार किया गया।
हरियाणा की स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल बताती हैं कि राष्टï्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की उपशाखा के रूप में शुरू की गई इन्दिरा बाल स्वास्थ्य योजना के तीन चरणों के अन्तर्गत हरियाणा में सरकारी और निजी स्कूलों में पढऩे वाले तथा हरियाणा की आंगनवाडिय़ों में जाने वाले 45 लाख से अधिक बच्चों में से 20 लाख से अधिक बच्चों के स्वास्थ्य की जांच अनिवार्य रूप से की जा रही है। इस योजना के तीसरे और अन्तिम चरण के बाद 0 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों को इंदिरा बाल स्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत लाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह योजना बीमारी, अपंगता और आवश्यक तत्वों की कमी वाले सभी बच्चों की पहचान करके उन्हें उपचार के लिए डाक्टर के पास भेजने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम प्रदान करती है। इन्दिरा बाल स्वास्थ्य योजना के प्रथम चरण के अन्तर्गत राजकीय प्राथमिक स्कूलों में पढऩे वाले 6 से 12 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को कवर किया गया, दूसरे चरण में 0 से 6 वर्ष की आयु वर्ग के आंगनवाडिय़ों में जाने वाले बच्चों को कवर किया जा रहा है। एक रोज पूर्व यानी 16 अगस्त को शुरू हुए योजना के तीसरे चरण में 11 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के और 6 से 12 वर्ष की आयु वर्ग के निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को कवर किया जाएगा।
गीता भुक्कल ने का कहना है कि इस योजना के अन्तर्गत सभी संचारी बीमारियों जैसे कि श्वसन संक्रमण, हैजा, बुखार इत्यादि तथा गैर-संचारी बीमारियों जैसे कि हृदय रोग और कैंसर इत्यादि की जांच की जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत अनीमिया, कुपोषण और विटामिन-ए की कमी पर ध्यान केन्द्रित करके नेत्रहीन, बहरे, गूंगे, मानसिक एवं शारीरिक रूप से विक लांग बच्चों को भी शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि जून, 2010 में शुरू हुए चरण-2 के अन्तर्गत राज्य की 17 हजार 6 सौ 92 आंगनवाडिय़ों में से 15 हजार 9 सौ 11 आंगनवाडिय़ों में जाने वाले 9 लाख 15 हजार 8 सौ 8 बच्चों की अब तक जांच की गई है। हरियाणा सरकार की योजना 0 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों को इन्दिरा बाल स्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत लाने की है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अगले दो महीनों में योजना का तीसरा चरण भी पूरा हो जाएगा।
सोमवार, अगस्त 16, 2010
मदवि में रोल नंबर का फर्जीवाड़ा-5
जांच कमेटी ने की विजीलैंस जांच की सिफारिश
- इस संगीन मामले के पीछे एक बड़ा गैंग होने की आशंका भी जताई
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 16 अगस्त। बी.पी. एड कोर्स की वार्षिक परीक्षा को लेकर महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में हुए रोल नंबरों के फर्जीवाडे की गहनता से तफ्तीश करने वाली विश्वविद्यालय के दो सीनियर प्रोफैसर की जांच कमेटी ने अपनी जांच में इस संगीन मामले को अंजाम तक पहुंचाने में किसी बड़े गिरोह का हाथ होने की आशंका भी जाहिर की है। साथ ही कमेटी ने इसे अति संवेदनशील मामला करार देते हुए इसकी जांच विजीलैंस ब्यूरो की टीम से करवाने की भी सिफारिश की है।
अपनी ही तरह के इस अनूठे फर्जीवाड़े की जांच से जुड़े दस्तावेजों, शिकायतकर्ताओं द्वारा लगाये गये आरोपों एवं पेश किये गये सबूतों तथा संस्कृति इंस्टीच्यूट ऑफ एजूकेशन एंड टैक्रोलॉजी के प्राचार्य व विश्वविद्यालय के रिजल्ट ब्रांच-वन के आरोपी कर्मचारियों द्वारा इस सम्बंध में दी गई दलीलों का अध्ययन एवं विश£ेषण करने के बाद जांच कमेटी इस नतीजे पर पहुंची है कि इस मामले को संगीन बनाने के लिए विश्वविद्यालय नियमों की जानबूझकर धज्जियां उड़ाई गई हैं। लिहाजा, इसके लिए न केवल संस्कृति कालेज के प्राचार्य समेत इसकी मैनेजमैंट के खिलाफ अभ्यर्थियों के साथ षड़्यंत्र व जालसाजी करने की एवज में भारतीय दंड संहिता मेंदर्ज विभिन्न प्रावधानों की उपयुक्त धाराओं के तहत आपराधिक कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए, बल्कि भ्रष्टाचार फैलाने के लिए कालेज की मान्यता को भी रद्द कर देना चाहिए।
जांच कमेटी ने विश्वविद्यालय के रिजल्ट ब्रांच-वन के दो कर्मचारियों क्लर्क जयदेव व एसिस्टैंट ईश्वर सिंह दहिया को भी इस मामले में दोषी ठहराते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन से इनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करने की सिफारिश की है। ईश्वर दहिया को अपनी जिम्मेवारी निभाने में लापरवाही बरतने का दोषी बताते हुए कमेटी ने इसके खिलाफ चार्जशीट जारी करने की बात भी कही है।
जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ईश्वर दहिया को फर्जी रोल नंबर लेने वाले पांचों अभ्यर्थियों के परीक्षा फार्मों को हॉयर ऑथारिटी के संज्ञान में न लाने, रोल नंबर की पहली कांफिडेंशियल लिस्ट को वापस लेने व दूसरी कांफिडेंशियल लिस्ट को बिना किसी डिस्पेच नंबर व ऑथारिटी से स्वीकृति प्राप्त किये किसी अंजान व्यक्ति को देने, पांचों अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति देने हेतु परीक्षा अधीक्षक को पत्र लिखने, इन सभी अभ्यर्थियों के परीक्षा फार्म एक साल तक अनाधिकृत रूप से अपने कब्जे में रखने तथा रिजल्ट आने के बाद अभ्यर्थियों की डीएमसी को रद्द न करवाने व अनाधिकृत रूप से इन्हें पास रखने का जिम्मेवार ठहराया है।
इसके अलावा जांच कमेटी ने विश्वविद्यालय प्रशासन को इस संगीन मामले की जांच रिपोर्ट से नेशनल काऊंसिल फॉर टीचर एजूकेशन, हरियाणा राज्य महिला आयोग तथा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भी अवगत करवाने की सिफारिश की है ताकि वे भी इस फर्जीवाड़े की जांच से रूबरू हो सकें। इस कमेटी का कहना है कि जांच के दौरान जब उन्होंने उक्त पांचों अभ्यर्थियों से टेलीफोन पर इस संबंध में बातचीत की तो यह खुलासा हुआ कि इनमें से किसी भी अभ्यर्थी ने सीधे तौर पर संस्कृति कालेज में दाखिला नहीं लिया था, बल्कि किसी अन्य शिक्षण संस्थानों के माध्यम से वे संस्कृति कालेज में पहुंचे थे। जिसके लिए उन्होंने बी.पी. एड कोर्स की निर्धारित फीस से कहीं अधिक धनराशि का भगुतान किया था।
इसी आधार पर ही जांच कमेटी ने आशंका जताई कि इस मामले का सम्बंध किसी बड़े गैंग से हो सकता है जो उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में फैला हुआ है और अवैध तरीके से दाखिला करवाने के लिए भोले-भाले लोगों को ठगी का शिकार बना रहा है। ध्यान रहे पंजाब केसरी ने छह दिन पूर्व इस सम्बंध में एक विस्तृत समाचार प्रकाशित कर रोल नंबर के नाम पर विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया था। समाचार में खुलासा किया गया था कि विश्वविद्यालय के कर्मचारी किस तरह फीलगुड कर एक-एक रोल नंबर दो-दो लोगों को जारी कर रहे हैं।
- इस संगीन मामले के पीछे एक बड़ा गैंग होने की आशंका भी जताई
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 16 अगस्त। बी.पी. एड कोर्स की वार्षिक परीक्षा को लेकर महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में हुए रोल नंबरों के फर्जीवाडे की गहनता से तफ्तीश करने वाली विश्वविद्यालय के दो सीनियर प्रोफैसर की जांच कमेटी ने अपनी जांच में इस संगीन मामले को अंजाम तक पहुंचाने में किसी बड़े गिरोह का हाथ होने की आशंका भी जाहिर की है। साथ ही कमेटी ने इसे अति संवेदनशील मामला करार देते हुए इसकी जांच विजीलैंस ब्यूरो की टीम से करवाने की भी सिफारिश की है।
अपनी ही तरह के इस अनूठे फर्जीवाड़े की जांच से जुड़े दस्तावेजों, शिकायतकर्ताओं द्वारा लगाये गये आरोपों एवं पेश किये गये सबूतों तथा संस्कृति इंस्टीच्यूट ऑफ एजूकेशन एंड टैक्रोलॉजी के प्राचार्य व विश्वविद्यालय के रिजल्ट ब्रांच-वन के आरोपी कर्मचारियों द्वारा इस सम्बंध में दी गई दलीलों का अध्ययन एवं विश£ेषण करने के बाद जांच कमेटी इस नतीजे पर पहुंची है कि इस मामले को संगीन बनाने के लिए विश्वविद्यालय नियमों की जानबूझकर धज्जियां उड़ाई गई हैं। लिहाजा, इसके लिए न केवल संस्कृति कालेज के प्राचार्य समेत इसकी मैनेजमैंट के खिलाफ अभ्यर्थियों के साथ षड़्यंत्र व जालसाजी करने की एवज में भारतीय दंड संहिता मेंदर्ज विभिन्न प्रावधानों की उपयुक्त धाराओं के तहत आपराधिक कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए, बल्कि भ्रष्टाचार फैलाने के लिए कालेज की मान्यता को भी रद्द कर देना चाहिए।
जांच कमेटी ने विश्वविद्यालय के रिजल्ट ब्रांच-वन के दो कर्मचारियों क्लर्क जयदेव व एसिस्टैंट ईश्वर सिंह दहिया को भी इस मामले में दोषी ठहराते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन से इनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करने की सिफारिश की है। ईश्वर दहिया को अपनी जिम्मेवारी निभाने में लापरवाही बरतने का दोषी बताते हुए कमेटी ने इसके खिलाफ चार्जशीट जारी करने की बात भी कही है।
जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ईश्वर दहिया को फर्जी रोल नंबर लेने वाले पांचों अभ्यर्थियों के परीक्षा फार्मों को हॉयर ऑथारिटी के संज्ञान में न लाने, रोल नंबर की पहली कांफिडेंशियल लिस्ट को वापस लेने व दूसरी कांफिडेंशियल लिस्ट को बिना किसी डिस्पेच नंबर व ऑथारिटी से स्वीकृति प्राप्त किये किसी अंजान व्यक्ति को देने, पांचों अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति देने हेतु परीक्षा अधीक्षक को पत्र लिखने, इन सभी अभ्यर्थियों के परीक्षा फार्म एक साल तक अनाधिकृत रूप से अपने कब्जे में रखने तथा रिजल्ट आने के बाद अभ्यर्थियों की डीएमसी को रद्द न करवाने व अनाधिकृत रूप से इन्हें पास रखने का जिम्मेवार ठहराया है।
इसके अलावा जांच कमेटी ने विश्वविद्यालय प्रशासन को इस संगीन मामले की जांच रिपोर्ट से नेशनल काऊंसिल फॉर टीचर एजूकेशन, हरियाणा राज्य महिला आयोग तथा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भी अवगत करवाने की सिफारिश की है ताकि वे भी इस फर्जीवाड़े की जांच से रूबरू हो सकें। इस कमेटी का कहना है कि जांच के दौरान जब उन्होंने उक्त पांचों अभ्यर्थियों से टेलीफोन पर इस संबंध में बातचीत की तो यह खुलासा हुआ कि इनमें से किसी भी अभ्यर्थी ने सीधे तौर पर संस्कृति कालेज में दाखिला नहीं लिया था, बल्कि किसी अन्य शिक्षण संस्थानों के माध्यम से वे संस्कृति कालेज में पहुंचे थे। जिसके लिए उन्होंने बी.पी. एड कोर्स की निर्धारित फीस से कहीं अधिक धनराशि का भगुतान किया था।
इसी आधार पर ही जांच कमेटी ने आशंका जताई कि इस मामले का सम्बंध किसी बड़े गैंग से हो सकता है जो उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में फैला हुआ है और अवैध तरीके से दाखिला करवाने के लिए भोले-भाले लोगों को ठगी का शिकार बना रहा है। ध्यान रहे पंजाब केसरी ने छह दिन पूर्व इस सम्बंध में एक विस्तृत समाचार प्रकाशित कर रोल नंबर के नाम पर विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया था। समाचार में खुलासा किया गया था कि विश्वविद्यालय के कर्मचारी किस तरह फीलगुड कर एक-एक रोल नंबर दो-दो लोगों को जारी कर रहे हैं।
मदवि में रोल नंबर का फर्जीवाड़ा-4
कालेज ने छपवा रखी थी डुप्लीकेट रसीद बुक
- फर्जी अभ्यर्थियों की एक अलग रसीद बुक में से काट रखी थी पर्ची
देवेन्द्र दांगी।
रोहतक, 14 अगस्त। बी.पी.एड कोर्स की वार्षिक परीक्षा को लेकर महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में हुए रोल नंबर के फर्जीवाड़े के जिम्मेवार महज विश्वविद्यालय के रिजल्ट ब्रांच-वन के दो कर्मचारी ही नहीं थे, बल्कि इस गौरखधंधे को अंजाम तक पहुंचाने में नारनौल के गांव अमरपुर जोरासी स्थित संस्कृति इंस्टीच्यूट ऑफ एजूकेशन एंड टैक्रोलॉजी के प्राचार्य ने भी अहम भूमिका निभाई। दाखिला प्रक्रिया समाप्त होने के बावजूद पहले से भरी हुई सीटों पर दाखिला लेने वाले अभ्यर्थियों को किसी भी सूरत में इस बात का अंदेशा न हो कि उनके दाखिले गैर-कानूनी तौर पर किये जा रहे हैं, इसके लिए कालेज प्राचार्य ने पूरे बंदोबस्त कर रखे थे। फीस लेने के बाद जहां इन अभ्यर्थियों को बाकायदा फीस रिसप्ट दी जाती थी, वहीं रजिस्टर में भी इसकी एंट्री होती थी।
विश्वविद्यालय द्वारा इस सनसनीखेज मामले की जांच करवाने के दौरान यह खुलासा भी हुआ है कि संस्कृति कालेज ने फीस रिसप्ट की विभिन्न रसीद बुक छपवा रखी थी। जेनुअन केसों की फीस रसीद तो कालेज की ओरिजनल कैश रिसिप्ट बुक में से काटी जाती थी जबकि फर्जी दाखिलों की रसीद डुप्लीकेट कैश रिसिप्ट बुक में से काट दी जाती थी ताकि किसी और के स्थान पर दाखिला लेने वाले अभ्यर्थियों के जहन में उनके दाखिले बारे कोई संशय उत्पन्न न हो सके।
राशिदा जमाल द्वारा इस संबंध में की गई शिकायत की गहराई से तफ्तीश के लिए जब दो सीनियर प्रोफैसर की जांच टीम संस्कृति कालेज पहुंची तो कालेज रिकार्ड की छानबीन के बाद उन्हें कुछेक ऐसे दस्तावेज मिले जो यह साबित करने के लिए पर्याप्त थे कि कालेज प्राचार्य ने कई अभ्यर्थियों के साथ जालसाजी की थी। जांच कमेटी ने पाया कि कालेज प्राचार्य ने अभ्यर्थियों से भारी-भरकम फीस वसूलने के लिए अलग-अलग कैश रिसिप्ट बुक छपवाई हुई थी। जिन पांच अभ्यर्थियों को पहले से भरी हुई सीटों पर दाखिला दिया गया था उन्हें जैनुअन फीस रिसिप्ट की बजाय किसी और कैश रिसिप्ट बुक की रसीद थमाई गई थी। यही वजह थी कि कालेज प्राचार्य बेहिचक अपने विद्यार्थियों से गैर-कानूनी रूप से निर्धारित फीस से कहीं अधिक फीस वसूल रहा था।
यहां बता दें कि राशिदा जमाल ने अपनी शिकायत में कहा था कि कालेज प्राचार्य ने बी.पी. एड कोर्स में उसे दाखिला देने की एवज में पहले तो उससे 40 हजार रुपए की भारी भरकम राशि वसूल की और इसके बाद 5 हजार रुपए व्यवहारिक परीक्षा और 5 हजार रुपए वार्षिक परीक्षा हेतु रोल नंबर देने के नाम पर भी लिये थे। इतना ही नहीं, परीक्षा परिणाम आने के बाद उसकी डी.एम.सी. में आई नाम की त्रुटि को दूर करवाने की एवज में भी प्राचार्य ने उससे 15 हजार रुपये अलग से वसूल किये थे। ऐसा नहीं है कि इतनी भारी-भरकम राशि कालेज प्राचार्य ने महज राशिदा जमाल से ही वसूली हो, बल्कि राशिदा जमाल की ही तरह पहले से ही भरी सीटों पर दाखिला पाने वाले चार अन्य लोगों से भी कालेज प्राचार्य ने निर्धारित फीस से अधिक राशि ली होगी, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
कालेज के रिकार्ड की गहराई से जांच करने के बाद मदवि से गई जांच कमेटी ने पाया कि जिन पांच फर्जी अभ्यर्थियों के फार्म वार्षिक परीक्षा का रोल नंबर हासिल करने हेतु विश्वविद्यालय की रिजल्ट ब्रांच में जमा करवाये गये थे, वे सभी संस्कृति कालेज के प्राचार्य ने अपने हस्ताक्षर व ऑफिशियल स्टैम्प के साथ अटैस्टिड कर रखे थे। हस्ताक्षर व स्टैम्प की जुनअननैस का पता लगाने के लिए जब उन्हें कालेज के अन्य विद्यार्थियों के परीक्षा फार्मों पर लगी प्राचार्य की स्टैम्प व हस्ताक्षर से मिलाया गया तो वे एक जैसे ही थे, जो यह साबित करने में काफी थे कि रोल नंबर के इस फर्जीवाड़े में कालेज प्राचार्य की भी बड़ी अहम भूमिका रही है।
ध्यान रहे पंजाब केसरी ने पांच दिन पूर्व इस संबंध में एक विस्तृत समाचार प्रकाशित कर रोल नंबर के नाम पर विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया था। समाचार में बताया गया था कि विश्वविद्यालय के कर्मचारी किस तरह फीलगुड कर एक-एक रोल नंबर दो-दो लोगों को जारी कर रहे हैं।
- फर्जी अभ्यर्थियों की एक अलग रसीद बुक में से काट रखी थी पर्ची
देवेन्द्र दांगी।
रोहतक, 14 अगस्त। बी.पी.एड कोर्स की वार्षिक परीक्षा को लेकर महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में हुए रोल नंबर के फर्जीवाड़े के जिम्मेवार महज विश्वविद्यालय के रिजल्ट ब्रांच-वन के दो कर्मचारी ही नहीं थे, बल्कि इस गौरखधंधे को अंजाम तक पहुंचाने में नारनौल के गांव अमरपुर जोरासी स्थित संस्कृति इंस्टीच्यूट ऑफ एजूकेशन एंड टैक्रोलॉजी के प्राचार्य ने भी अहम भूमिका निभाई। दाखिला प्रक्रिया समाप्त होने के बावजूद पहले से भरी हुई सीटों पर दाखिला लेने वाले अभ्यर्थियों को किसी भी सूरत में इस बात का अंदेशा न हो कि उनके दाखिले गैर-कानूनी तौर पर किये जा रहे हैं, इसके लिए कालेज प्राचार्य ने पूरे बंदोबस्त कर रखे थे। फीस लेने के बाद जहां इन अभ्यर्थियों को बाकायदा फीस रिसप्ट दी जाती थी, वहीं रजिस्टर में भी इसकी एंट्री होती थी।
विश्वविद्यालय द्वारा इस सनसनीखेज मामले की जांच करवाने के दौरान यह खुलासा भी हुआ है कि संस्कृति कालेज ने फीस रिसप्ट की विभिन्न रसीद बुक छपवा रखी थी। जेनुअन केसों की फीस रसीद तो कालेज की ओरिजनल कैश रिसिप्ट बुक में से काटी जाती थी जबकि फर्जी दाखिलों की रसीद डुप्लीकेट कैश रिसिप्ट बुक में से काट दी जाती थी ताकि किसी और के स्थान पर दाखिला लेने वाले अभ्यर्थियों के जहन में उनके दाखिले बारे कोई संशय उत्पन्न न हो सके।
राशिदा जमाल द्वारा इस संबंध में की गई शिकायत की गहराई से तफ्तीश के लिए जब दो सीनियर प्रोफैसर की जांच टीम संस्कृति कालेज पहुंची तो कालेज रिकार्ड की छानबीन के बाद उन्हें कुछेक ऐसे दस्तावेज मिले जो यह साबित करने के लिए पर्याप्त थे कि कालेज प्राचार्य ने कई अभ्यर्थियों के साथ जालसाजी की थी। जांच कमेटी ने पाया कि कालेज प्राचार्य ने अभ्यर्थियों से भारी-भरकम फीस वसूलने के लिए अलग-अलग कैश रिसिप्ट बुक छपवाई हुई थी। जिन पांच अभ्यर्थियों को पहले से भरी हुई सीटों पर दाखिला दिया गया था उन्हें जैनुअन फीस रिसिप्ट की बजाय किसी और कैश रिसिप्ट बुक की रसीद थमाई गई थी। यही वजह थी कि कालेज प्राचार्य बेहिचक अपने विद्यार्थियों से गैर-कानूनी रूप से निर्धारित फीस से कहीं अधिक फीस वसूल रहा था।
यहां बता दें कि राशिदा जमाल ने अपनी शिकायत में कहा था कि कालेज प्राचार्य ने बी.पी. एड कोर्स में उसे दाखिला देने की एवज में पहले तो उससे 40 हजार रुपए की भारी भरकम राशि वसूल की और इसके बाद 5 हजार रुपए व्यवहारिक परीक्षा और 5 हजार रुपए वार्षिक परीक्षा हेतु रोल नंबर देने के नाम पर भी लिये थे। इतना ही नहीं, परीक्षा परिणाम आने के बाद उसकी डी.एम.सी. में आई नाम की त्रुटि को दूर करवाने की एवज में भी प्राचार्य ने उससे 15 हजार रुपये अलग से वसूल किये थे। ऐसा नहीं है कि इतनी भारी-भरकम राशि कालेज प्राचार्य ने महज राशिदा जमाल से ही वसूली हो, बल्कि राशिदा जमाल की ही तरह पहले से ही भरी सीटों पर दाखिला पाने वाले चार अन्य लोगों से भी कालेज प्राचार्य ने निर्धारित फीस से अधिक राशि ली होगी, इस संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
कालेज के रिकार्ड की गहराई से जांच करने के बाद मदवि से गई जांच कमेटी ने पाया कि जिन पांच फर्जी अभ्यर्थियों के फार्म वार्षिक परीक्षा का रोल नंबर हासिल करने हेतु विश्वविद्यालय की रिजल्ट ब्रांच में जमा करवाये गये थे, वे सभी संस्कृति कालेज के प्राचार्य ने अपने हस्ताक्षर व ऑफिशियल स्टैम्प के साथ अटैस्टिड कर रखे थे। हस्ताक्षर व स्टैम्प की जुनअननैस का पता लगाने के लिए जब उन्हें कालेज के अन्य विद्यार्थियों के परीक्षा फार्मों पर लगी प्राचार्य की स्टैम्प व हस्ताक्षर से मिलाया गया तो वे एक जैसे ही थे, जो यह साबित करने में काफी थे कि रोल नंबर के इस फर्जीवाड़े में कालेज प्राचार्य की भी बड़ी अहम भूमिका रही है।
ध्यान रहे पंजाब केसरी ने पांच दिन पूर्व इस संबंध में एक विस्तृत समाचार प्रकाशित कर रोल नंबर के नाम पर विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया था। समाचार में बताया गया था कि विश्वविद्यालय के कर्मचारी किस तरह फीलगुड कर एक-एक रोल नंबर दो-दो लोगों को जारी कर रहे हैं।
शुक्रवार, अगस्त 13, 2010
मदवि में रोल नंबरों का फर्जीवाड़ा-3
दो बार जारी की गई थी कांफिडेंशियल लिस्ट
-रिजल्ट ब्रांच-वन के कर्मचारियों को फर्जीवाड़ा करने के लिए ठहराया दोषी
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 13 अगस्त।
बी.पी. एड कोर्स की वार्षिक परीक्षा को लेकर हुए रोल नंबर के फर्जीवाड़े को अंजाम तक पहुंचाने के लिए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की रिजल्ट ब्रांच-वन के कर्मचारियों ने रोल नंबर की दो कांफिडेंशियल लिस्ट जारी की थी। पहली लिस्ट में तो सभी जेनुअन कंडिडेट्स को रोल नंबर जारी किये गये थे मगर फीलगुड करके जारी की गई दूसरी कांफिडेंशियल लिस्ट में जेनुअन कंडिडेट्स के रोल नंबर उन पांच लोगों को जारी कर दिये गये, जिन्होंने न तो बी.पी. एड कोर्स में दाखिला ले रखा था और न ही उनका नाम विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रेशन ब्रांच में ही दर्ज था। बावजूद इसके, इनको रोल नंबर जारी हो जाना नि:संदेह विश्वविद्यालय में चल रहे रोल नंबर के फर्जीवाड़े की पुन: पुष्टि करता है।
यह सनसनीखेज खुलासा उस जांच में हुआ है जो इस संगीन मामले की तह तक जाने के लिए स्वयं विश्वविद्यालय ने अपने दो सीनियर प्रोफेसर्ज से करवाई है। इस जांच में रिजल्ट ब्रांच-वन के दो कर्मचारियों को रोल नंबर का फर्जीवाड़ा करने के लिए दोषी ठहराया गया है। जांच में कहा गया है कि मामले की गहराई तक जाने के लिए जांच कमेटी ने जब रिजल्ट ब्रांच-वन में जाकर इससे सम्बंधित दस्तावेजों की पड़ताल की तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। दस्तावेजों को खंगालने पर कमेटी को दो ऐसी कांफिडेंशियल लिस्ट मिली, जिसमें पांच रोल नंबर तो एक जैसे लिखे हुए थे मगर, उनके धारकों के नाम अलग-अलग थे। पहली लिस्ट पर बाकायदा लैटर नंबर व तिथि लिखने के साथ-साथ ब्रांच अस्सिटैंट ईश्वर दहिया द्वारा हस्ताक्षर किये गये थे जबकि दूसरी लिस्ट पर तिथि व लैटर नंबर तो एक जैसे थे मगर, किसी ने उस पर हस्ताक्षर नहीं कर रखे थे।
इस फर्जीवाड़े का पता लगने के बाद कमेटी ने जब ब्रांच कलर्क जयदेव से पूछताछ की तो उसने स्वीकार किया कि दूसरी कांफिडेंशियल लिस्ट उसने ही तैयार की थी मगर, उसने यह अपनी मर्जी से नहीं बल्कि ब्रांच अस्स्टिैंट ईश्वर दहिया के कहने पर यह लिस्ट तैयार की थी। इस लिस्ट में नारनौल राजकीय कालेज के परीक्षा केंद्र अधीक्षक से यह गुजारिश की गई थी कि पहली कांफिडेंशियल लिस्ट में शामिल किये गये पांच अभ्यर्थियों के स्थान पर उन पांच नये अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने दिया जाये, जिनके नाम दूसरी कांफिडेंशियल लिस्ट में दर्ज किये गये हैं। यह लैटर जारी करते हुए कलर्क ने न तो नये अभ्यर्थियों के परीक्षा फार्मों और न ही उनके द्वारा परीक्षा हेतु जमा करवाई गई फीस की रिसिप्ट की जांच की। बावजूद इसके, इन पांचों को पुराने रोल नंबर्स की स्लिप जारी कर दी गई। पूछताछ के दौरान कलर्क का कहना था कि उक्त लोगों के परीक्षा फार्मों को संस्कृति कालेज के प्राचार्य ने अपनी मोहर व हस्ताक्षर से सत्यापित कर रखा था इसलिए उसने फार्मों की गहराई से जांच करने की जहमत नहीं उठाई।
इन्हीं सवालों को लेकर जब जांच कमेटी ने ब्रांच अस्सिटैंट ईश्वर दहिया से पूछताछ की तो उसने भी अपनी गलती स्वीकार करते हुए माना कि दूसरी कांफिडेंशियल लिस्ट जारी करने से पूर्व उन्होंने न तो रजिस्ट्रेशन ब्रांच से नये अभ्यर्थियों के रजिस्ट्रेशन नंबर बारे पता लगाया और न ही इस बारे अपने बॉस से किसी भी तरह की अपू्रवल ली जबकि ऐसे मामलों में सीनियर ऑफिशियल की अपू्रवल लेना नियमों के मुताबिक अनिवार्य है। यही वजह थी कि दूसरी कांफिडेंशियल लिस्ट के बूते पर पांच फर्जी अभ्यर्थियों में से तीन बी.पी. एड की परीक्षा में बैठने में कामयाब हो गये। हैरानी की बात तो यह भी है कि फर्जी रोल नंबर के आधार पर परीक्षा देने वाले इन अभ्यर्थियों को स्वयं भी यह अंदेशा नहीं था कि उनके साथ इतना बड़ा धोखा किया जा रहा है। यही वजह थी कि मामले का खुलासा तब हुआ जब परीक्षा फल में इन अभ्यर्थियों ने अपने रोल नंबर के साथ पुराने अभ्यर्थियों के नाम को पाया।
ध्यान रहे पंजाब केसरी ने तीन दिन पूर्व इस सम्बंध में एक विस्तृत समाचार प्रकाशित कर रोल नंबर के नाम पर विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया था। समाचार में बताया गया था कि विश्वविद्यालय के कर्मचारी कस तरह फीलगुड कर एक-एक रोल नंबर दो-दो लोगों को जारी कर रहे हैं।
-रिजल्ट ब्रांच-वन के कर्मचारियों को फर्जीवाड़ा करने के लिए ठहराया दोषी
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 13 अगस्त।
बी.पी. एड कोर्स की वार्षिक परीक्षा को लेकर हुए रोल नंबर के फर्जीवाड़े को अंजाम तक पहुंचाने के लिए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की रिजल्ट ब्रांच-वन के कर्मचारियों ने रोल नंबर की दो कांफिडेंशियल लिस्ट जारी की थी। पहली लिस्ट में तो सभी जेनुअन कंडिडेट्स को रोल नंबर जारी किये गये थे मगर फीलगुड करके जारी की गई दूसरी कांफिडेंशियल लिस्ट में जेनुअन कंडिडेट्स के रोल नंबर उन पांच लोगों को जारी कर दिये गये, जिन्होंने न तो बी.पी. एड कोर्स में दाखिला ले रखा था और न ही उनका नाम विश्वविद्यालय की रजिस्ट्रेशन ब्रांच में ही दर्ज था। बावजूद इसके, इनको रोल नंबर जारी हो जाना नि:संदेह विश्वविद्यालय में चल रहे रोल नंबर के फर्जीवाड़े की पुन: पुष्टि करता है।
यह सनसनीखेज खुलासा उस जांच में हुआ है जो इस संगीन मामले की तह तक जाने के लिए स्वयं विश्वविद्यालय ने अपने दो सीनियर प्रोफेसर्ज से करवाई है। इस जांच में रिजल्ट ब्रांच-वन के दो कर्मचारियों को रोल नंबर का फर्जीवाड़ा करने के लिए दोषी ठहराया गया है। जांच में कहा गया है कि मामले की गहराई तक जाने के लिए जांच कमेटी ने जब रिजल्ट ब्रांच-वन में जाकर इससे सम्बंधित दस्तावेजों की पड़ताल की तो उसकी आंखें फटी की फटी रह गई। दस्तावेजों को खंगालने पर कमेटी को दो ऐसी कांफिडेंशियल लिस्ट मिली, जिसमें पांच रोल नंबर तो एक जैसे लिखे हुए थे मगर, उनके धारकों के नाम अलग-अलग थे। पहली लिस्ट पर बाकायदा लैटर नंबर व तिथि लिखने के साथ-साथ ब्रांच अस्सिटैंट ईश्वर दहिया द्वारा हस्ताक्षर किये गये थे जबकि दूसरी लिस्ट पर तिथि व लैटर नंबर तो एक जैसे थे मगर, किसी ने उस पर हस्ताक्षर नहीं कर रखे थे।
इस फर्जीवाड़े का पता लगने के बाद कमेटी ने जब ब्रांच कलर्क जयदेव से पूछताछ की तो उसने स्वीकार किया कि दूसरी कांफिडेंशियल लिस्ट उसने ही तैयार की थी मगर, उसने यह अपनी मर्जी से नहीं बल्कि ब्रांच अस्स्टिैंट ईश्वर दहिया के कहने पर यह लिस्ट तैयार की थी। इस लिस्ट में नारनौल राजकीय कालेज के परीक्षा केंद्र अधीक्षक से यह गुजारिश की गई थी कि पहली कांफिडेंशियल लिस्ट में शामिल किये गये पांच अभ्यर्थियों के स्थान पर उन पांच नये अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने दिया जाये, जिनके नाम दूसरी कांफिडेंशियल लिस्ट में दर्ज किये गये हैं। यह लैटर जारी करते हुए कलर्क ने न तो नये अभ्यर्थियों के परीक्षा फार्मों और न ही उनके द्वारा परीक्षा हेतु जमा करवाई गई फीस की रिसिप्ट की जांच की। बावजूद इसके, इन पांचों को पुराने रोल नंबर्स की स्लिप जारी कर दी गई। पूछताछ के दौरान कलर्क का कहना था कि उक्त लोगों के परीक्षा फार्मों को संस्कृति कालेज के प्राचार्य ने अपनी मोहर व हस्ताक्षर से सत्यापित कर रखा था इसलिए उसने फार्मों की गहराई से जांच करने की जहमत नहीं उठाई।
इन्हीं सवालों को लेकर जब जांच कमेटी ने ब्रांच अस्सिटैंट ईश्वर दहिया से पूछताछ की तो उसने भी अपनी गलती स्वीकार करते हुए माना कि दूसरी कांफिडेंशियल लिस्ट जारी करने से पूर्व उन्होंने न तो रजिस्ट्रेशन ब्रांच से नये अभ्यर्थियों के रजिस्ट्रेशन नंबर बारे पता लगाया और न ही इस बारे अपने बॉस से किसी भी तरह की अपू्रवल ली जबकि ऐसे मामलों में सीनियर ऑफिशियल की अपू्रवल लेना नियमों के मुताबिक अनिवार्य है। यही वजह थी कि दूसरी कांफिडेंशियल लिस्ट के बूते पर पांच फर्जी अभ्यर्थियों में से तीन बी.पी. एड की परीक्षा में बैठने में कामयाब हो गये। हैरानी की बात तो यह भी है कि फर्जी रोल नंबर के आधार पर परीक्षा देने वाले इन अभ्यर्थियों को स्वयं भी यह अंदेशा नहीं था कि उनके साथ इतना बड़ा धोखा किया जा रहा है। यही वजह थी कि मामले का खुलासा तब हुआ जब परीक्षा फल में इन अभ्यर्थियों ने अपने रोल नंबर के साथ पुराने अभ्यर्थियों के नाम को पाया।
ध्यान रहे पंजाब केसरी ने तीन दिन पूर्व इस सम्बंध में एक विस्तृत समाचार प्रकाशित कर रोल नंबर के नाम पर विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया था। समाचार में बताया गया था कि विश्वविद्यालय के कर्मचारी कस तरह फीलगुड कर एक-एक रोल नंबर दो-दो लोगों को जारी कर रहे हैं।
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