बुधवार, अगस्त 18, 2010

अनीमिया से पीडि़त है देश का भविष्य

- इंदिरा बाल स्वास्थ्य योजना के पहले चरण की रिपोर्ट में हुआ खुलासा
- कारगर साबित नहीं हो रही है सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाएं
देवेन्द्र दांगी।
रोहतक, 18 अगस्त । प्रदेश के सरकारी व गैर-सरकारी स्कूलों में तालीम हासिल कर रहे बच्चों को विभिन्न बिमारियों से दूर रखने के लिए सरकार द्वारा चलाई जा रही विभिन्न स्वास्थ्य योजनाओं के बावजूद प्रदेश के 60 प्रतिशत से अधिक बच्चे अनीमिया की बीमारी से ग्रस्त हैं। देश के इन भावी कर्णधारों का होमोग्लोबिन लेवल जल्द से जल्द बढ़ाने की आवश्यकता है ताकि आगे चलकर ये स्वस्थ समाज के निर्माण में अपनी सार्थक भूमिका अदा कर सकें।
बच्चों में अनीमिया संबंधी बीमारी का यह खुलासा सरकार द्वारा विगत जनवरी माह में लांच की गई इंदिरा बाल स्वास्थ्य योजना के पहले चरण की रिपोर्ट में हुआ है। इस रिपोर्ट के मुताबिक उक्त योजना के पहले चरण में राज्य के 9 हजार 2 सौ 46 राजकीय प्राथमिक स्कूलों में से 9 हजार 99 स्कूलों में पढऩे वाले लगभग 9 लाख 65 हजार बच्चों के स्वास्थ्य की जांच की गई, जिनमेें से 6 लाख 2 हजार बच्चों के खून में आयरन एवं फोलिक एसिड की कमी पाई गई।
सूत्रों के मुताबिक इस रहस्योद्घाटन के बाद इन स्कूलों में एक विशेष अभियान चलाकर सभी एनेमिक बच्चों को आयरन एवं फोलिक एसिड की गोलियां दी गई हैं ताकि कैसे भी करते उनमें खून की कमी पूरी हो सके। अभियान के अंतर्गत अनीमिया के अतिरिक्त, रतौंधी, अपवर्तक विकार, दंत समस्याओं और विकलांगकता जैसी विभिन्न बीमारियों का भी उपचार किया गया।
हरियाणा की स्वास्थ्य एवं शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल बताती हैं कि राष्टï्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन की उपशाखा के रूप में शुरू की गई इन्दिरा बाल स्वास्थ्य योजना के तीन चरणों के अन्तर्गत हरियाणा में सरकारी और निजी स्कूलों में पढऩे वाले तथा हरियाणा की आंगनवाडिय़ों में जाने वाले 45 लाख से अधिक बच्चों में से 20 लाख से अधिक बच्चों के स्वास्थ्य की जांच अनिवार्य रूप से की जा रही है। इस योजना के तीसरे और अन्तिम चरण के बाद 0 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों को इंदिरा बाल स्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत लाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि यह योजना बीमारी, अपंगता और आवश्यक तत्वों की कमी वाले सभी बच्चों की पहचान करके उन्हें उपचार के लिए डाक्टर के पास भेजने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम प्रदान करती है। इन्दिरा बाल स्वास्थ्य योजना के प्रथम चरण के अन्तर्गत राजकीय प्राथमिक स्कूलों में पढऩे वाले 6 से 12 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों को कवर किया गया, दूसरे चरण में 0 से 6 वर्ष की आयु वर्ग के आंगनवाडिय़ों में जाने वाले बच्चों को कवर किया जा रहा है। एक रोज पूर्व यानी 16 अगस्त को शुरू हुए योजना के तीसरे चरण में 11 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के और 6 से 12 वर्ष की आयु वर्ग के निजी स्कूलों में पढऩे वाले बच्चों को कवर किया जाएगा।
गीता भुक्कल ने का कहना है कि इस योजना के अन्तर्गत सभी संचारी बीमारियों जैसे कि श्वसन संक्रमण, हैजा, बुखार इत्यादि तथा गैर-संचारी बीमारियों जैसे कि हृदय रोग और कैंसर इत्यादि की जांच की जा रही है। इस योजना के अन्तर्गत अनीमिया, कुपोषण और विटामिन-ए की कमी पर ध्यान केन्द्रित करके नेत्रहीन, बहरे, गूंगे, मानसिक एवं शारीरिक रूप से विक लांग बच्चों को भी शामिल किया गया है।
उन्होंने कहा कि जून, 2010 में शुरू हुए चरण-2 के अन्तर्गत राज्य की 17 हजार 6 सौ 92 आंगनवाडिय़ों में से 15 हजार 9 सौ 11 आंगनवाडिय़ों में जाने वाले 9 लाख 15 हजार 8 सौ 8 बच्चों की अब तक जांच की गई है। हरियाणा सरकार की योजना 0 से 18 वर्ष की आयु वर्ग के सभी बच्चों को इन्दिरा बाल स्वास्थ्य योजना के अन्तर्गत लाने की है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि अगले दो महीनों में योजना का तीसरा चरण भी पूरा हो जाएगा।

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