सोमवार, अगस्त 16, 2010

मदवि में रोल नंबर का फर्जीवाड़ा-5

जांच कमेटी ने की विजीलैंस जांच की सिफारिश
- इस संगीन मामले के पीछे एक बड़ा गैंग होने की आशंका भी जताई

देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 16 अगस्त। बी.पी. एड कोर्स की वार्षिक परीक्षा को लेकर महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में हुए रोल नंबरों के फर्जीवाडे की गहनता से तफ्तीश करने वाली विश्वविद्यालय के दो सीनियर प्रोफैसर की जांच कमेटी ने अपनी जांच में इस संगीन मामले को अंजाम तक पहुंचाने में किसी बड़े गिरोह का हाथ होने की आशंका भी जाहिर की है। साथ ही कमेटी ने इसे अति संवेदनशील मामला करार देते हुए इसकी जांच विजीलैंस ब्यूरो की टीम से करवाने की भी सिफारिश की है।
अपनी ही तरह के इस अनूठे फर्जीवाड़े की जांच से जुड़े दस्तावेजों, शिकायतकर्ताओं द्वारा लगाये गये आरोपों एवं पेश किये गये सबूतों तथा संस्कृति इंस्टीच्यूट ऑफ एजूकेशन एंड टैक्रोलॉजी के प्राचार्य व विश्वविद्यालय के रिजल्ट ब्रांच-वन के आरोपी कर्मचारियों द्वारा इस सम्बंध में दी गई दलीलों का अध्ययन एवं विश£ेषण करने के बाद जांच कमेटी इस नतीजे पर पहुंची है कि इस मामले को संगीन बनाने के लिए विश्वविद्यालय नियमों की जानबूझकर धज्जियां उड़ाई गई हैं। लिहाजा, इसके लिए न केवल संस्कृति कालेज के प्राचार्य समेत इसकी मैनेजमैंट के खिलाफ अभ्यर्थियों के साथ षड़्यंत्र व जालसाजी करने की एवज में भारतीय दंड संहिता मेंदर्ज विभिन्न प्रावधानों की उपयुक्त धाराओं के तहत आपराधिक कार्रवाई अमल में लाई जानी चाहिए, बल्कि भ्रष्टाचार फैलाने के लिए कालेज की मान्यता को भी रद्द कर देना चाहिए।
जांच कमेटी ने विश्वविद्यालय के रिजल्ट ब्रांच-वन के दो कर्मचारियों क्लर्क जयदेव व एसिस्टैंट ईश्वर सिंह दहिया को भी इस मामले में दोषी ठहराते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन से इनके खिलाफ भी सख्त कार्रवाई करने की सिफारिश की है। ईश्वर दहिया को अपनी जिम्मेवारी निभाने में लापरवाही बरतने का दोषी बताते हुए कमेटी ने इसके खिलाफ चार्जशीट जारी करने की बात भी कही है।
जांच कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में ईश्वर दहिया को फर्जी रोल नंबर लेने वाले पांचों अभ्यर्थियों के परीक्षा फार्मों को हॉयर ऑथारिटी के संज्ञान में न लाने, रोल नंबर की पहली कांफिडेंशियल लिस्ट को वापस लेने व दूसरी कांफिडेंशियल लिस्ट को बिना किसी डिस्पेच नंबर व ऑथारिटी से स्वीकृति प्राप्त किये किसी अंजान व्यक्ति को देने, पांचों अभ्यर्थियों को परीक्षा में बैठने की अनुमति देने हेतु परीक्षा अधीक्षक को पत्र लिखने, इन सभी अभ्यर्थियों के परीक्षा फार्म एक साल तक अनाधिकृत रूप से अपने कब्जे में रखने तथा रिजल्ट आने के बाद अभ्यर्थियों की डीएमसी को रद्द न करवाने व अनाधिकृत रूप से इन्हें पास रखने का जिम्मेवार ठहराया है।
इसके अलावा जांच कमेटी ने विश्वविद्यालय प्रशासन को इस संगीन मामले की जांच रिपोर्ट से नेशनल काऊंसिल फॉर टीचर एजूकेशन, हरियाणा राज्य महिला आयोग तथा राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को भी अवगत करवाने की सिफारिश की है ताकि वे भी इस फर्जीवाड़े की जांच से रूबरू हो सकें। इस कमेटी का कहना है कि जांच के दौरान जब उन्होंने उक्त पांचों अभ्यर्थियों से टेलीफोन पर इस संबंध में बातचीत की तो यह खुलासा हुआ कि इनमें से किसी भी अभ्यर्थी ने सीधे तौर पर संस्कृति कालेज में दाखिला नहीं लिया था, बल्कि किसी अन्य शिक्षण संस्थानों के माध्यम से वे संस्कृति कालेज में पहुंचे थे। जिसके लिए उन्होंने बी.पी. एड कोर्स की निर्धारित फीस से कहीं अधिक धनराशि का भगुतान किया था।
इसी आधार पर ही जांच कमेटी ने आशंका जताई कि इस मामले का सम्बंध किसी बड़े गैंग से हो सकता है जो उत्तर भारत के विभिन्न राज्यों में फैला हुआ है और अवैध तरीके से दाखिला करवाने के लिए भोले-भाले लोगों को ठगी का शिकार बना रहा है। ध्यान रहे पंजाब केसरी ने छह दिन पूर्व इस सम्बंध में एक विस्तृत समाचार प्रकाशित कर रोल नंबर के नाम पर विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया था। समाचार में खुलासा किया गया था कि विश्वविद्यालय के कर्मचारी किस तरह फीलगुड कर एक-एक रोल नंबर दो-दो लोगों को जारी कर रहे हैं।

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