शनिवार, अगस्त 21, 2010

अपनों के खून से क्यों रंग रहे हैं हाथ

- परिजनों ने ही दिया है कई वारदातों को अंजाम
देवेंद्र दांगी।

रोहतक, 21 अगस्त। लगता है जिले में शांति को ग्रहण लग गया है नहीं तो और क्या कारण हो सकता है कि आए दिन कत्ल एवं कातिलाना हमलों जैसे संगीन अपराध हो रहे हैं और कानून के रखवाले महज कागजी कार्रवाई निपटाने में ही व्यस्त दिख रहे हैं। खास बात तो यह भी है कि अधिकतर मामलों में कोई गैर नहीं बल्कि अपनों के हाथ ही अपनों के खून से रंगे हैं। भले ही उक्त वारदातें संगठित अपराध की श्रेणी में नहीं आती हों मगर इससे दुखदायी बात और क्या हो सकती है कि अवैध संबंधों के चलते आई रिश्तों में आई खटास एवं प्रोपर्टी का लालच सब-कुछ तबाह करता जा रहा है।
पिछले करीब दो महीने के क्राइम चार्ट पर नजर डालें तो रोहतक जिले की स्थिति बेहद खतरनाक बनती नजर आ रही है। हत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है और हर दूसरे या तीसरे दिन कोई न कोई कत्ल हो रहा है। भले ही अधिकतर मामलों को सुलझाने का दावा कर पुलिस अधिकारी बेहतर वर्कआउट की बात करें मगर उनके इतना भर करने से समाज का रत्ति भर भी भला होने वाला नहीं है। चूंकि, जिले में हुई अधिकतर वारदातों को अपनों ने ही अंजाम दिया है और तकरीबन केसों में नामजद मुकद्दमें दर्ज हुए हैं, ऐसे में पुलिस ने केस ट्रैस कर भी लिए तो उसे ही काफी नहीं कहा जा सकता। जरूरत केस साल्व करने की बेशक है मगर इससे भी जरूरी है हत्याओं के चल रहे इस बदस्तूर सिलसिले पर रोक लगाने की।

रिश्तों की डोर को काट रही है लालच की कैंची
मामलों की गहराई में जाकर तहकीकात करें तो बेहद ही चौंकाने वाली और कड़वी हकीकत से सामना होता है। पुलिस द्वारा साल्व किए गए अधिकतर केस की फाइलें इस बात की गवाही देती नजर आ रही है कि ज्यादातर हत्याओं जैसी वारदातें या तो अवैध संबंधों के चलते अंजाम दी गई हैं या फिर उनकी जड़ में प्रोपर्टी का लालच अहम कारण साबित हुआ है। समाजसेवी शमशेर सिंह नेहरा कहते हैं कि समाज में नैतिक मूल्यों का निरंतर होता जा रहा पतन ही इसका मुख्य कारण है। वे कहते हैं कि बड़े-छोटे का लिहाज समाज से मिटता चला जा रहा है जो आने वाले समय में और भी खतरनाक स्थिति पैदा करने वाला साबित होगा। वहीं मनोरोग विशेषज्ञों की मानें तो उनका कहना है कि बदलते वक्त में इनसान की संवेदनशीलता खत्म होती जा रही है। बदले खान-पान ने लोगों की सहनशीलता को भी खत्म करने का काम किया है। एकल परिवार की बढ़ती धारणा और खत्म होती जा रही सोशल रिलेशनशिप भी इसके मुख्य कारण हैं। इसके अलावा युवा वर्ग का फास्ट फारवर्ड लाइफ स्टाइल भी अपराध की दर को बढ़ाने का काम कर रहा है। बेरोजगारी को भी इसका एक मुख्य कारण कहा जा सकता है लेकिन बात जब अपनों के कत्ल की आती है तो यह बात साबित करने के लिए काफी है कि रिश्तों की डोरी को लालच की तेजधार कैंची जमकर काट रही है।

शांति के लिए प्रयास जारी : कामाराजा
तेजी से बदल रहे वक्त के साथ-साथ युवा वर्ग की सोच भी बदलती जा रही है। कई बार देखने को मिलता है कि मामूली सी बात को लेकर लोग एक-दूजे के खून के प्यासे हो जाते हैं। लोगों की सहनशीलता कम होती जा रही है लेकिन, पुलिस ने हार नहीं मानी है और शांति के लिए प्रयासों में आगे और भी तेजी लाई जाएगी। यह कहना है रोहतक पुलिस रेंज के आईजी वी. कामाराजा का। वे बताते हैं कि पुलिस विभाग ने कई ऐसे गांवों को लिस्टिड भी किया है जिनका अतीत संगीन अपराधों का रहा है। ऐसे गांवों में लोगों के साथ पुलिस अधिकारी एवं कर्मचारी मेलजोल बढ़ा रहे हैं और लोगों के आपसी विवादों को बड़े-बुजुर्गों की सलाह-मशविरे से हल किया जाएगा। श्री कामाराजा ने कहा कि हमारे समाज को आत्म विश्लेषण करने की घोर जरूरत है और बड़े-बुजुगों को भी अपने बच्चों की ओर अधिक ध्यान देना चाहिए ताकि वे भटकाव के रास्ते पर न निकलने पाएं। उन्होंने कहा कि आपसी रंजिश में या प्रोपर्टी के लालच में अधिकतर वारदातें अंजाम दी गई हैं लेकिन ऐसा होना भी कतई गलत है। पुलिस आगे भी अपने प्रयास जारी रखेगी और कौशिश की जाएगी कि इस तरह की वारदातों को कम किया जा सके।

कुछ बहुचर्चित वारदातें
गांव सुंडाना में पिता की हत्या।
जसीया में अज्ञात युवक की हत्या।
गांव करौंथा में बाप-बेटे की हत्या।
कारौर में कर्नल के पिता की हत्या।
सांघी गांव में अधेड़ व्यक्ति की हत्या।
ईस्माइला में पिता एंव मौसी की हत्या।
शुगर मिल के पास दुकानदार की हत्या।
सिंहपुरा गांव में युवा किसान की हत्या।
ट्रक कलीनर की पेंचकर मारकर हत्या।
लाढौत रोड पर प्रोपर्टी डीलर की हत्या।
कारौर के नजदीक दो व्यक्तियों की हत्या।
बलियाना में एक दिन दो युवकों की हत्या।
गंव चिड़ी में दो विधवाओं की जघन्य हत्या।
नई अनाज मंडी के नजदीक नीतिन की हत्या।
कलानौर में मुक्का मारकर मोबाइल विक्रेता की हत्या।
पीजीआई के पास प्रोपर्टी डीलर की हत्या कर शव फैंका।

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