सोमवार, फ़रवरी 07, 2011

...इन्हें मंजूर नहीं प्रेम पर पहरेदारी

प्रेमी संग लड़कियों के फरार होने के मामलों में हुआ इजाफा
देवेंद्र दांगी, रोहतक : खाप पंचायतें बेशक कोई भी फरमान सुनाती रहें और समाज के ठेकेदार पुरातन परम्पराओं की दुहाई देते न थके मगर, कड़वी सच्चाई यही है कि आज का युवा किसी भी किस्म का बंधन स्वीकारने के मूड में हरगिज भी नहीं है। प्रेम करने वालों की सरेआम हत्या के मामले बेशक आए रोज मीडिया की सुर्खियां बनते हों मगर, प्यार करने वालों को इसकी कोई खास परवाह नहीं है। खापों के खौफ और ऑनर किलिंग के साए में भी प्रेमी-प्रेमिकाएं जमकर प्यार की पींग बढ़ा रहे हैं और हरियाणा पुलिस का रिकार्ड खुद इस बात को साबित करता है कि युवा वर्ग को प्यार पर पहरा अब किसी भी सूरत में मंजूर नहीं।
रिकार्ड उठाकर देखें तो मालूम पड़ता है कि साल-दर-साल युवक-युवतियों के घर से भागकर प्रेम विवाह रचाने के मामलों में निरंतर इजाफा हुआ है और यह सिलसिला गुजरे बरस भी यूं ही बदस्तूर रहा। बीते साल भी लड़के-लड़कियों के घर से भागने के अधिक मामले दर्ज किए गए हैं और यही क्रम इस बार भी जारी है। समूचे प्रदेश को छोड़ यहां पर हम महज रोहतक पुलिस रेंज के अंतर्गत आने वाले झज्जर, सोनीपत, पानीपत, रोहतक एवं करनाल जिलों के सूरत-ए-हाल पर नजर डालें तो मालूम पड़ता है कि लड़कियों को भगा ले जाने के करीब दो दर्जन मामले अधिक रजिस्टर किए गए हैं।
साल 2009 में आई.पी.सी. की धारा 363/366 के अंतर्गत रोहतक रेंज में कुल 228 केस विभिन्न पुलिस थानों में दर्ज किए गए थे, जिनकी संख्या बीते साल में बढकर 248 पहुंच गई। यानी गुजरे साल में लड़कियों के घर से भागने के 20 मामले अधिक दर्ज हुए हैं। मामले की गहराई से पड़ताल यदि की जाए तो अहसास होता है कि बेशक, लड़कियों के परिजनों की तरफ से पुलिस में शिकायत देते हुए उनकी कम उम्र का हवाला देकर बहला-फुसला कर भगा ले जाने का आरोप लड़कों पर लगाया गया हो लेकिन, इसकी हकीकत यही है कि बहलाने-फुसलाने भर से कोई लड़की अपने परिवार को छोड़कर किसी लड़के के साथ नहीं गई बल्कि उसने सबकुछ देख एवं सोच-समझकर ही यह कदम उठाया होगा। वरना, घरों से गायब होने के बाद उनके प्रेम को शादी की कानूनी मोहर हासिल नहीं हुई होती।
वैसे, पुलिस रिकार्ड की बात करें तो सोनीपत एवं झज्जर तथा पानीपत आदि वे प्रमुख जिले हैं, जहां पर प्रेमी द्वारा अपनी प्रेमिकाओं को भगा ले जाने के मामलों में खासा इजाफा हुआ है। झज्जर में साल 2009 में ऐसे 25 मामले दर्ज हुए थे वहीं बीते साल यह आंकड़ा बढ़कर 44 पहुंच गया। यानी एक साल के अंतराल में प्रेमी-प्रेमिका के घर से भागने के 19 मामले ज्यादा प्रकाश में आए। केवल मात्र 365 दिनों के अंतराल में यह आंकड़ा एक लिहाज से काफी अंतर वाला कहा जा सकता है। इसी तरह से सोनीपत जिले की बात यदि करें तो दो साल में यहां पर भी काफी फर्क महसूस किया जा सकता है। साल 2009 में सोनीपत में इस तरह के दर्ज मामलों की संख्या 57 थी जो 2010 में बढ़कर 75 पहुंच गई। एक साल के अंतराल में यहां पर भी लड़के-लड़कियों के घर से भाग जाने के 18 मामले अधिक दर्ज किए गए हैं।
सोनीपत एवं झज्जर के माफिक पानीपत जिले में भी लड़कियों के भगा ले जाने के अधिक केस दर्ज हुए हैं। पानीपत में एक साल के अंतराल में हालांकि, 10 केस ही अधिक प्रकाश में आए हैं लेकिन, ये मामले इस बात को साबित करने को काफी हैं कि प्रेम किसी के रोके कहां रुकता है, उसे कोई बंधन या परम्परा कहां रोक पाई हैं? प्रेम तो निश्चल बहती उस पवित्र धारा का नाम है जिसे समुद्र में मिलकर शांत हो जाना है फिर बेशक, ऑनर किलिंग का भूत प्रेमियों पीछे लगा रहे या खाप पंचायतें तुगलकी फरमान ही क्यों न सुनाती रहें।

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