एक नहीं पांच को जारी किये "ये थे फर्जी रोल नंबर
- पंजाब केसरी ने दो रोज पहले किया था फर्जीवाड़े का पर्दाफाश
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 12 अगस्त।
दो दिन पूर्व महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय में रोल नंबर के फर्जीवाड़े का पर्दाफाश करने के बाद कुछ और सनसनीखेज तथ्य हमारे हाथ लगे हैं। नया खुलासा हुआ है कि मदवि की रिजल्ट ब्रांच-वन के कर्मचारियों ने बी.पी.एड कोर्स के लिए महज राशिदा जमाल को ही फर्जी रोल नंबर जारी नहीं किया था, बल्कि फीलगुड के फेर में उन्होंने चार अन्य लोगों को भी ऐसे ही फर्जी रोल नंबर जारी कर रखेे थे। दिलचस्प बात तो यह भी है कि इन सभी चारों लोगों का संबंध भी नारनौल के गांव अमरपुर जोरासी स्थित संस्कृति इंस्टीच्यूट ऑफ एजूकेशन एंड टैक्रोलॉजी से ही था, जिसकी मान्यता इस मामले के पर्दाफाश होने के बाद खतरे में पड़ गई है।
इस पूरे मामले में सबसे हैरान करने वाली बात तो यह है कि राशिदा जमाल समेत उक्त पांच लोगों में से तीन फर्जी रोल नंबर के बल पर बी.पी.एड कोर्स के संपूर्ण पेपरों की वार्षिक परीक्षा बिना रोक-टोक देने में कामयाब रहे। इतना ही नहीं, इन सभी लोगों ने परीक्षा में अपीयर होकर परीक्षा शीट पर अपने हस्ताक्षर भी किये। पूरी तैयारी के साथ परीक्षा देने वाले इन लोगों को उस वक्त यह कतई महसूस नहीं हुआ होगा कि जिस रोल नंबर के आधार पर वे यह परीक्षा दे रहे हैं, वे उनके नहीं, बल्कि उन विद्यार्थियों के हैं, जिनकी जगह दाखिला देने के नाम पर संस्कृति कालेज के प्राचार्य ने उनसे भारी-भरकम फीस वसूल रखी है।
इस मामले की गहराई तक जांच करने वाली विश्वविद्यालय की दो सदस्यीय जांच कमेटी ने भी अपनी तफ्तीश में यह माना है कि रिजल्ट ब्रांच के कर्मचारियों ने पांच लोगों को ऐसे रोल नंबर जारी किये थे, जो पहले ही इसी कोर्स के अन्य विद्यार्थियों को जारी किये जा चुके थे। जहां राशिदा जमाल को एकता गंगवार का रोल नंबर 441654 दोबारा से जारी किया गया था, वहीं अमित जोशी व मुकेश चंद ऐसे युवक थे, जिन्हें मेनका तथा छाया गंगवार नामक दो परीक्षार्थियों के क्रमश: 441655 व 441656 रोल नंबर जारी किये गये थे।
चूंकि, ये सभी रोल नंबर विश्वविद्यालय की रिजल्ट ब्रांच ने ऑफिशियल तौर पर जारी किये थे लिहाजा इसमें किसी तरह के फाऊल प्ले की संभावना कम ही थी। यही वजह थी कि उक्त सभी तीनों लोग भी यही समझ कर बी.पी.एड की परीक्षा देते रहे कि यह उनका रोल नंबर है और अगर परीक्षा में पास होते हैं तो कोर्स की डी.एम.सी. भी उन्हीं के नाम से जारी की जायेगी। मगर, ऐसा नहीं हुआ और परीक्षा सम्पन्न होने के दो महीने बाद जब कोर्स का रिजल्ट घोषित किया गया तो उक्त सभी लोगों के पैरों तले की जमीन खिसक गई। क्योंकि, जिन रोल नंबर्स के साथ उन्होंने बी.पी.एड कोर्स की परीक्षाएं दी थी उन रोल नंबर्स के रिजल्टस क्रमश: छाया गंगवार, मोनिका व एकता गंगवार के नाम से आऊट किये गये थे। ऐसा होने के बाद ही उक्त तीनों लोगों को यह अहसास हुआ कि दाल में कहीं न कहीं काला है और उनके साथ संस्कृति कालेज व विश्वविद्यालय ने जालसाजी की है।
इसी जालसाजी का पता लगाने के मकसद से ही राशिदा जमाल ने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग को लिखित शिकायत कर मामले की गहनता से जांच करवाने की गुहार लगाई थी। शिकायत में राशिदा जमाल ने संस्कृति कालेज के प्राचार्य के खिलाफ संगीन आरोप लगाते हुए कालेज की मान्यता रद्द करने की मांग की थी। राशिदा का कहना था कि कालेज प्राचार्य ने सत्र 2008-09 हेतु बी.पी.एड कोर्स में दाखिला देने की एवज में शुरूआत में उससे 40 हजार रुपए और इसके बाद पांच-पांच हजार रुपए कई बार और लिये थे। हालांकि, अप्रैल 2009 में उसने कोर्स के प्रैक्टिकल एग्जाम और बाद में एनुअल एग्जाम भी दिये थे मगर, जब सितंबर माह में रिजल्ट आऊट हुआ तो जिस रोल नंबर पर उसने परीक्षा दी थी, उस पर किसी एकता गंगवार का नाम लिखा हुआ मिला।
ध्यान रहे हमने दो दिन पूर्व इस संबंध में एक विस्तृत समाचार प्रकाशित कर रोल नंबर के नाम पर विश्वविद्यालय में चल रहे फर्जीवाड़े का पर्दाफाश किया था। खबर में बताया गया था कि विश्वविद्यालय के कर्मचारी किस तरह फीलगुड कर एक-एक रोल नंबर दो-दो लोगों को जारी कर रहे हैं।
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