शुक्रवार, अगस्त 13, 2010

फाइल दबाने वाले अफसरों की अब खैर नहीं

- मुख्य सचिव हरियाणा सरकार ने दिए सिटीजन चार्टर को अमल में लाने के निर्देश
- जनता को डिस्पले बोर्ड के माध्यम से उपलब्ध करानी होंगी सभी तरह की सूचनाएं
- प्रदेश के सभी विभागों, बोर्डों व निगमों, मंडल आयुक्तों एवं उपायुक्तों को भेजी चिट्ठी
देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 10 अगस्त।

हरियाणा प्रदेश में उन अधिकारियों व कर्मचारियों की अब खैर नहीं जो लोगों की फाइलों को दबाकर उन पर कुंडली मार कर बैठ जाते हैं और तब तक लोगों के चक्कर कटाते रहते हैं जब तक उनको सुविधा शुल्क के नाम पर रिश्वत नहीं मिल जाती। मुख्य सचिव हरियाणा सरकार ने पत्र जारी कर प्रदेश सरकार के सभी मंडलीय आयुक्त व उपायुक्त, सभी महकमों के विभागाध्यक्षों, बोर्ड व निगमों के प्रबंध निदेशकों, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार तथा सरकार के सभी प्रशासनिक सचिवों को अपने-अपने महकमों में सिटीजन चार्टरों को डिस्पले करवाने के निर्देश दिए हैं।
इसके अंतर्गत अब यह तय किया जाएगा कि सभी विभाग अपने महकमे से संबंधित जनता के अलग-अलग कार्य निपटाने का महकमे द्वारा निर्धारित समय, कार्य से संबंधित मांगे गए दस्तावेजों की सूची एवं निर्धारित फीस की जानकारी जनता को बाकायदा डिस्पले बोर्ड पर उपलब्ध कराएगा। इतना ही नहीं अगर नियमानुसार एवं निर्धारित किए वक्त में काम न हो तो उसकी शिकायत कहां पर की जाए? इसकी जानकारी भी स्टेट के सभी विभागों को अपने-अपने डिस्पले बोर्ड पर अंकित करनी होगी। इसके अलावा संबंधित शिकायत सुनने वाले अधिकारियों के पद, नाम व फोन नंबर तथा शिकायत के निपटारे की समय सीमा को भी बाकायदा डिस्पले करना होगा ताकि उन अधिकारियों की मनमानी पर रोक लग सके जो नागरिकों की फाइल दबाकर सुविधा शुल्क के नाम पर धन ऐंठन के आदी हो चुके हैं।
हरियाणा में यह प्रावधान लागू कराने का श्रेय सूचना अधिकार कार्यकत्र्ता एवं सेतू नाम की सामाजिक संस्था के अध्यक्ष सतप्रकाश को जाएगा क्योंकि उनके द्वारा आर.टी.आई. के तहत मांगी गई सूचनाओं पर अमल कराने की व्यवस्था में यह प्रावधान लागू किया जाएगा। पंजाब केसरी से बातचीत में सतप्रकाश ने बताया कि उन्होंने 6 फरवरी, 2010 को मुख्य सचिव हरियाणा से आर.टी.आई. लगाकर पूछा कि करीब 12 वर्ष पहले तत्कालीन प्रदेश सरकार ने भारत सरकार के निर्देशों पर प्रदेश सरकार के प्रत्येक महकमों को अपने-अपने महकमे का सिटीजन चार्टर बनवाने व इसको डिस्पले करवाने के निर्देश दिए थे लेकिन तत्कालीन प्रदेश सरकार की ढिलाई व इच्छाशक्ति के कमी के कारण इस पर अमल नहीं हो पाया।
सतप्रकाश ने पूछा कि क्या मुख्य सचिव के पास सिटीजन चार्टर को अमल में करवाए जाने की शक्तियां प्राप्त हैं, अगर हैं तो इसे जनहित में अमल में करवाया जाए और अगर नहीं हैं तो भी इसको कैसे अमल में लाया जा सकता है, इसके लिए अपनी नैतिक जिम्मेदारी समझते हुए जागरूक नागरिकों का मार्गदर्शन करे। मुख्य साचिव कार्यालय से जब कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला तो सतप्रकाश ने राज्य सूचना आयोग का दरवाजा खटखटाया। मामले की सुनवाई में 29 जून 2010 को मुख्य सूचना आयुक्त जी. माधवन ने सतप्रकाश को परामर्श दिया कि सिटीजन चार्टर को अमल में करवाए जाने की शक्ति आयोग के पास नहीं है। इसके लिए आप मुख्य सचिव के पास अलग से प्रार्थना पत्र लिखे। आयोग तो केवल सूचनाएं दिलवा सकता है। अगर, प्रतिवादी पक्ष मामले के महत्व को समझे तो अपनी मर्जी से सिटीजन चार्टर को अमल में करवा सकता है। तत्पश्चात मुख्य सचिव ने मामले की गुणवत्ता व उपयोगिता को समझते हुए इसी संदर्भ में सतप्रकाश के एक अन्य 14 जून,2010 वाले आवेदन में सिटीजन चार्टर को पूर्णतया अमल में करवाए जाने की निर्देश दिए हैं, जिससे अब पूरे हरियाणा में यह व्यवस्था लागू करने के आदेश जारी हुए हैं।

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