शुक्रवार, अगस्त 13, 2010

दूध-बर्फी ने बिगाड़ी साहब की सेहत

देवेंद्र दांगी।
रोहतक, 9 अगस्त। वैसे तो दूध को सेहत के लिए खासा लाभदायक बताया गया है मगर इसी दूध ने एक प्रशासनिक अधिकारी की सेहत बिगाड़ डाली। बेचारे, को वह डांट पड़ी कि शायद ही कभी ऐसी डांट के बारे में सोचा होगा। हालांकि, बाद में जनाब ने दूध का गिलास रख दिया और जनता की शिकायतों को नोट करने में ही अपनी भलाई समझी।
दरअसल, वाक्या उस वक्त पेश आया जब सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा सुबह-सवेरे गांव टिटौली में युवा पहलवान महिपत कुंडू को सम्मानित करने पहुंचे थे। सम्मान समारोह के बाद सांसद महोदय महिपत के ही घर पर चाय-नाश्ता ले रहे थे। समर्थकों की भारी भीड़ भी वहां जमा थी। इसी दौरान एक के बाद एक करके कई लोगों ने गांव की समस्याओं को लेकर सांसद महोदय से बातचीत करनी शुरू कर दी। कुछ देर तक तो दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने शांत स्वभाव से सबकी शिकायतें सुनना जारी रखा और उनको आश्वासन देते रहे मगर लोगों की शिकायतों को बढ़ता देख उन्होंने मौके पर मौजूद एक प्रशासनिक अधिकारी को आवाज लगाई मगर, ये अधिकारी जनता की शिकायतों एवं सांसद महोदय की मौजूदगी की अनदेखी करते हुए एक हाथ में दूध से भरा गिलास थामे थे दूसरे हाथ से बर्फी-पेड़ों का आनन्द लेने में मशगूल थे।
सांसद महोदय को इन्हें अपने पास बुलाने के लिए दो बार आवाज लगानी पड़ी। जब देखा कि लोगों की शिकायतें नोट करने की बजाय अधिकारी साहब दूध पीने एवं बर्फी खाने में मस्त हैं तो अक्सर शांत रहने वाले सांसद महोदय को गुस्सा आ गया। उनका गुस्सा एकदम से जायज भी था क्योंकि उक्त अधिकारी लोगों की शिकायतों पर ध्यान न देते हुए काफी देर से दूध एवं बर्फियों में ही मस्त था। ऐसे में सांसद दीपेंद्र हुड्डा का दूसरा ही रूप लोगों को आज देखने को मिला। उन्होंने अधिकारी को जनता-जनार्दन के सामने ही जमकर डांट पिलानी शुरू कर दी। अधिकारी भी सांसद महोदय का यह रूप देखकर एकदम से सकपका गए। उन्होंने दूध का गिलास रखने में ही अपनी भलाई समझी और तेज कदमों से सांसद महोदय के पास पहुंचे। तब तक सांसद जी का गुस्सा और भी बढ़ चुका था। उन्होंने इस अधिकारी को जमकर खरी-खोटी सुना डाली।
सांसद ने साफ शब्दों में इस अधिकारी को यह तक कह डाला कि यदि गांव वालों की इतनी शिकायतें हैं तो फिर हमारा राजनीति करने का क्या फायदा। जो अधिकारी मेरे लोगों की परेशानी ही दूर नहीं कर सकता वो बेशक अपना बोरिया बिस्तर बांधने की तैयारी कर ले। मेरे यहां पर ऐसे लापरवाह अधिकारी के लिए कोई जगह नहीं है। सांसद महोदय के तेवर देखते हुए अधिकारी ने अपनी डायरी और पैन निकालने में ही भलाई समझी और सॉरी सर.. सॉरी सर कहते हुए जनता की शिकायतें नोट करने में जुट गए। वैसे, रोहतक के सांसद दीपेंद्र हुड्डा को उनके शांत स्वभाव एवं विनम्र व्यवहार के लिए खास तौर से पहचाना जाता है मगर, आज उनके तेवर देखकर गांव के बड़े-बुजुर्ग भी कह उठे कि छौरे नै आज तोड़ पाड़ दिया।
बुजुर्ग चांद सिंह ने कहा कि लापरवाह अधिकारियां खातर म्हारे छौरे के ये तेवर बोहते जरूरी सै। ये अफसर न्यूए सीधे होवैंगे। खैर, सांसद के तेवरों से टिटौली के बाशिंदों को आज काफी खुशी हुई और उनको उम्मीद है कि अब गांव की समस्याएं जरूर हल होंगी और यदि नहीं हुई तो इस अधिकारी का बोरिया-बिस्तर कै डोरी तो जरूर बंध ज्यागी।

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