शुक्रवार, अगस्त 06, 2010

सोनम ने डुबोए पापा के पैसे

ब्रिटिश लेखिका जेन ऑस्टिन के उपन्यास एमा पर आधारित है फिल्म आयशा आज सनसिटी मल्टीप्लैक्स में रीलिज हुई। होम प्रोडक्शन में बनी फिल्म में सोनम ने पापा के पैसे डुबो दिए हैं। फिल्म बहुत ही स्लो है। सोनम को प्रोजेक्ट करने के चक्कर में फिल्म बैठ गई। अभय देओल व सोनम कपूर जैसे युवा कलाकारों से सजी यह फिल्म आज के युवाओं के लिए है और उन्हीं के लाइफस्टाइल को दर्शाती है। कहानी बहुत ही सिंपल है। मगर बोरिंग तरीके से फिल्माई गई है। फिल्म प्रेम कहानी नहीं है पर इसके सभी पात्र प्रेम में उलझे रहते हैं। आयशा एक ऐसी लडक़ी जो चाहती है सब उसी के अनुसार चलें, उसी के अनुसार सोचें, उसे हर किसी की लाइफ में दखल देना पसंद है। उसकी मुलाकात अर्जुन बने अभय देओल से होती है जो उसकी इस आदत को पसंद नहीं करता है। आयशा के बेस्ट फ्रेंड पिंकी, शेफाली, रणबीर और ध्रुव हैं। परंतु पिंकी बनी इरा दुबे की शोख अदाएं व शैफाली ठाकुर बनी अमृता पुरी का भोलापन देखने लायक है। फिल्म में अमृता पुरी को बहादुरगढ़ का निवासी बताया गया है मतलब एक और फिल्म में हरियाणा को तवज्‍जो मिलने लगा है। न्यूयार्क रिटर्न आरती बनी लिसा हायडेन में हॉलीवुड एक्ट्रेस एंजलीना जोली का लुक दिखता है। फिल्म का म्यूजिक दिया है अमित त्रिवेदी व गीत लिखे है जावेद अख्तर ने। फिल्म में आठ गाने है जिसमें दो रिमिक्स है शीर्षक गीत आयशा पहले ही हिट हो चुका है और गल मिठी-मिठी गीत शादी-ब्याहों में खूब बजने वाला है। इन दो गानों को छोडक़र कोई गाना गुनगुनाने लायक भी नहीं है। इस फिल्म को महिलाओं की फिल्म भी कहा जा सकता है क्योंकि इसके निर्माता रिया कपूर, निर्देशक राजश्री ओझा, लेखक देविका भगत, कास्टिंग निर्देशक अमिता सहगल, प्रोडक्शन डिजायनिंग श्रुति गुप्ते,, संवाद लेखन दीपिका और ऋतु भाटिया व मुख्य कलाकार सोनम कपूर शामिल है। फिल्म चूंकि महिलाओं ने बनाई है परंतु महिलाओं वाली बात नहीं आ पाती है न ही दर्शकों में प्यार का अहसास जग पाता है और न ही भावनाओं का ’वार उमड़ता है। आयशा से दर्शकों को जो उम्मीदें थी वह उन पर पूरा तो क्या आधा भी नहीं उतरती।
साभार : संदीप कुमार सैनी

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