आरोपी पुलिस वालों को गिरफ्तार करने में भी पुलिस ने नहीं दिखाई गंभीरता
मुख्यमंत्री तक फरियाद पहुंचने के बाद भी सुस्ती का शिकार ही रही पुलिस
देवेंद्र दांगी
रोहतक, 28 जून ।
आईने में अपनी सूरत भी न पहचानी गई।
आंसूओं ने आंख का हर अक्स धुंधला कर दिया।।
एक मशहूर शायर की कलम से निकली इन दो लाइनों में कितना मर्म छिपा है इसे इंसाफ की उम्मीद में जिंदगी से हार चुकी सविता के परिवार से बेहतर शायद ही कोई महसूस कर पाए। उस अबला के साथ जो कुछ भी हुआ उसे सुनकर ही किसी भी इंसान के शरीर में सिहरन सी दौड़ जाती है। मासूम के साथ गुजरी कड़वी हकीकत की तह में जाकर पड़ताल करें तो लगता है जैसे आज भी इंसाफ की राह में हजार नहीं बल्कि लाखों रोड़े हैं।
हालांकि, मासूम बेटी को खो चुके सुभाष हुड्डा खुद को पूरी तरह से बिखरा हुआ महसूस करते हैं मगर, उम्मीद का दामन उन्होंने अभी भी नहीं छोड़ा है। बेटी की मौत के लिए जिम्मेदार लोगों का जिक्र आते ही सुभाष के हाव-भाव बदल जाते हैं। उनके लिए कड़ी से कड़ी सजा के लिए सुभाष बड़ी से बड़ी अदालत में जाने को तैयार है और चाहता है कि लोगों के इंसाफ की लड़ाई लडऩे वाला मीडिया जगत भी उसके मर्म को समझते हुए पूरा साथ दे ताकि भविष्य में किसी सविता या सरिता के साथ नाइंसाफी की गुंजाईश कम हो सके।
सुभाष की सुनें तो एक महीना पहले तक सब-कुछ ठीक था। वह 23 मई का मनहूस दिन था, जहां से इस परिवार के उलटे दिनों की शुरूआत हुई। इस तारीख को सविता को उसका दोस्त रोहित चावला एवं पुलिस का मुखबिर कुलदीप शर्मा अपने तीन पुलिस वाले दोस्तों के साथ जबरदस्ती जिप्सी में बिठाकर पानीपत के चांदनीबाग पुलिस थाने ले गए। वहां पर उपरोक्त सभी ने शारीरिक शोषण करना चाहा मगर बेचारी सविता किसी तरह अपनी आबरू बचाकर थाने से निकल आई। इसके बाद धीरे-धीरे सब-कुछ बदलता चला गया। मोबाइल फोन पर पुलिस वालों एवं रोहित तथा मुखबिर कुलदीप शर्मा ने उसे यौन संबंधों के लिए मजबूर करना चाहा। सविता अपना दर्द किसी को नहीं बता पाई और आखिरकार यातनाओं से आजीज आई सविता ने 31 मई को अपना बदन आग के हवाले कर दिया।पानीपत के प्राइवेट हास्पिटल से उसे पीजीआई रोहतक रेफर कर दिया गया जहां पर 5 जून को न्यायिक अधिकारी ने सविता की स्टेटमेंट रिकार्ड की। सविता ने कड़वी सच्चाई यान करते हुए वर्दी की आड़ में छिपे गुंडों की करतूत भी बताई। मामला तूल पकड़ता नजर आया और हरियाणा जनहित कांग्रेस सुप्रीमो कुलदीप बिश्नौई भी सविता से मिलने 9 जून को पीजीआई पहुंचे और पीडि़त परिवार को हर संभव मदद एवं इंसाफ की लड़ाई में साथ देने का भरोसा दिलाया। इनैलो युवा के प्रदेश उपाध्यक्ष जितेंद्र बल्हारा ने भी पीडि़तों को इंसाफ की लड़ाई में साथ का वचन दिया। मीडिया की सुर्खियां बने मामले से पुलिस महकमे के आला अधिकारियों की नींद टूटी और 10 जून को रोहित चावला को अरेस्ट किया गया। पुलिस की साख बचाने को अधिकारियों ने पानीपत के चांदनीबाग पुलिस थाने के स्टाफ की शिनाख्त परेड भी सविता से पीजीआई में कराई। इसमें सविता ने ण्क वहशी पुलिस वाले की पहचान कर बताया कि वह भी बाकी आरोपियों के साथ उसे तंग कर रहा था। जिसकी शिनाख्त सविता ने की वह कांस्टेबल राधेश्याम बेल्ट नंबर 362 था। अगले रोज यानी 11 जून को रोहित चावला को पुलिस ने कोर्ट में पेश किया मगर आश्चर्य की उसका रिमांड नहीं लिया गया। अदालत ने रोहित को 'युडिशियल कस्टडी भेज दिया लेकिन आश्चर्य इस बात का भी रहा कि शिनाख्त परेड में सरेआम पहचाने गए कांस्टेबल राधेश्याम शर्मा की खाल बचाने के लिए अधिकारियों ने पूरा जोर लगा डाला। नहीं तो और क्या कारण हो सकते थे कि बेहद गंभीर आरोपों में घिरे होने के बावजूद राधेश्याम को गिरफ्तार नहीं किया गया। दूसरी ओर पीजीआई में मौत से लड़ रही सविता को उसका पिता सुभाष दिलासा दिला रहा था कि बेटी सब-कुछ ठीक हो जाएगा और भगवान उनके साथ इंसाफ करेगा मगर पुलिस महकमे के रवैए को देखते हुए धीरे-धीरे सुभाष की उम्मीद भी टूटती नजर आई। इस सब के बीच 12 जून को सविता का पिता सुभाष सीएम के दरबार में पहुंचा और न्याय की गुहार लगाई। सी.एम से मिले आश्वासन से फिर कुछ उ मीद बंधी लेकिन मामले में कोई खास प्रगति नहीं हुई और आखिरकार सविता का जिंदगी के लिए मौत से लडऩे का ज'बा भी जवाब दे गया और रविवार को वह मौत के मुंह में समा गई।
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