- हाईकोर्ट से नहीं मिली राठौर को राहत - सुनवाई 29 जून तक टली
देवेंद्र दांगी
चंडीगढ़, 5 जून 2010
हरियाणा के पूर्व डीजीपी एसपीएस राठौर को जून माह की तपिश का सामना फिलहाल जेल की सलाखों के पीछे रहते हुए ही करना होगा। रुचिका छेड़छाड़ मामले में दोषी बताकर सजा के हकदार करार दिये जा चुके राठौर को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने फौरी राहत देने से फिलहाल साफ इनकार कर दिया है।
हाईकोर्ट ने सजा निलंबन की राठौर की याचिका को सुनवाई के लिए 29 जून तक स्थगित करते हुए मामला नियमित बेंच को रेफर कर दिया है। हाईकोर्ट के निर्णय से यह तय हो गया है कि राठौर साहब की जून की गर्म रातें चंडीगढ़ स्थित बुड़ैल जेल में ही कटेंगी।
जानकारी के मुताबिक पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने शुक्रवार को राठौर के जुर्म को घिनौना करार दिया। अवकाशकालीन बेंच के जस्टिस अजय तिवारी ने राठौर की सजा निलंबन की अपील पर फैसला देने से इनकार करते हुए कहा कि उनके पास इस केस से जुड़ी पूरी जानकारी व रिकार्ड फिलहाल नहीं है लिहाजा वह तुरंत इस मामले में कोई निर्णय नहीं दे सकते।
जस्टिस तिवारी ने इस मामले से जुड़े रिकार्ड को निचली अदालत से तलब करते हुए हाईकोर्ट की रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वह इस मामले को 29 जून को 301 नंबर (प्राथमिकता पर) पर लिस्ट करे, ताकि संबंधित बेंच केस की नियमित सुनवाई कर सके। उन्होंने कहा कि अगर केस की सुनवाई लंबी चलती है तो राठौर सजा निलंबन पर अलग से अपील दाखिल कर सकता है।
देखा जाए तो तस्वीर साफ है कि कोर्ट के रुख के चलते एसपीएस राठौर को जमानत हासिल कर सलाखों से बाहर निकलने में अभी काफी वक्त लग सकता है। हालांकि, जस्टिस तिवारी ने अपने आदेश में यह भी कहा कि आमतौर पर 3 साल तक की सजा में पुनर्विचार याचिका लंबे समय तक लंबित रहने के कारण आरोपी की सजा को निलंबित कर दिया जाता है मगर, चूंकि अभियुक्त को एक खास किस्म के और घिनौने जुर्म में सजा का फैसला हुआ है, इसके चलते इस बिंदु पर विचार नहीं किया जा सकता।
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