- नियुक्तियां देने वाले कालेज को विश्वविद्यालय ने भेजा कारण बताओ नोटिस
- रद्द की जा सकती है कालेज को मिली मान्यता
देवेन्द्र दांगी
रोहतक,15 जून
डोनेशन लेकर नियुक्तियां करने वाले कालेजों के लिए बुरी खबर है। ऐसा करने पर अब उनकी मान्यता भी रद्द हो सकती है। ऐसे एक मामले को लेकर मदवि ने कनीना के एक कालेज से जवाब भी तलब किया है। डोनेशन लेकर प्राध्यापक पद पर नियुक्ति करने वाले पीकेएसडी कालेज, कनीना को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय ने हाल ही में कारण बताओ नोटिस जारी कर डोनेशन लेने पर कड़ी आपत्ति जाहिर की है। साथ ही कहा है कि क्यों न यह गैर कानूनी कार्य करने के लिए उसकी मान्यता वापस ले ली जाए। विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह नोटिस उस जांच रिपोर्ट का अध्ययन करने के पश्चात जारी किया हैं, जिसमें यह खुलासा किया गया था कि कालेज में नियुक्त किए गए कुल 14 अ यर्थियों में से 12 ने डोनेशन की बिनाह पर ही नियुक्ति पाई है।विश्वविद्यालय प्रशासन को पीकेएसडी कालेज के खिलाफ कई ऐसी शिकायतें मिली थीं, जिसमें यह आरोप लगाया गया था कि कालेज प्रशासन डोनेशन लेकर प्राध्यापकों की नियमित नियुक्तियां कर रहा है। कालेज ने प्रत्येक प्राध्यापकों के विषयों अनुसार डोनेशन के रेट तय कर रखे हैं। जब भी इन पदों को भरने का वक्त आता है तो प्रशासन उन अ यर्थियों को ही कालेज में नियुक्त करता है, जो कालेज रेट के मुताबिक डोनेशन जमा करवाते हैं।शिकायत में कहा गया था कि कालेज प्रशासन ऐसा करके न केवल कानून की धज्जियां उड़ा रहा है, बल्कि मेरिटोरियस अ यर्थियों के अवसरों को भी खत्म कर रहा है। शिकायतकर्ताओं ने अपनी इस शिकायत को पूरी तरह से तथ्यात्मक करार देते हुए अपने बयानों के समर्थन में शपथ पत्र भी विश्वविद्यालय को भेजे थे, जिसमें मामले की निष्पक्ष जांच करवाने की मांग की गई थी।शिकायत को गंभीर मानते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन ने एक दो-सदस्यीय जांच समिति का गठन किया था, जिसने कालेज में जाकर न केवल उसके खातों की जांच की थी, बल्कि प्राध्यापक पद पर नियुक्ति प्राप्त करने वाले 14 अ यर्थियों के बयान भी कलमबद्ध किये थे।शिकायत के तमाम पहलुओं का गहराई से अध्ययन करने के पश्चात जांच समिति ने जो अपनी रिपोर्ट पेश की, वह निसंदेह चौंकाने वाली थी। रिपोर्ट में कमेटी का कहना था कि कालेज में नवनियुक्त 14 प्राध्यापकों में से 12 ने जांच के दौरान यह बात साफ तौर पर स्वीकार की कि उनके नजदीकी रिश्तेदारों ने नियुक्तियों के बदले में कालेज में डोनेशन दी थी।रिपोर्ट में जांच समिति का कहना था कि कालेजों द्वारा चलाई जा रही इस प्रथा को बंद करने के लिए सुधारात्मक कार्रवाई की बेहद आवश्यकता है क्योंकि यह प्रथा न तो शिक्षा जगत और न ही अ यर्थियों के लिए ही ठीक है। ऐसा चलता रहा तो उन अ यर्थियों को तो कहीं नौकरी ही नहीं मिल पाएगी, जो वास्तव में इसके हकदार है और अपनी मेहनत के बल पर मेरिटोरियस स्टूडेंट साबित हुए हैं। विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच समिति की इस रिपोर्ट पर संज्ञान लेते हुए नियुक्ति के बदले डोनेशन लेने को घोर आपत्तिजनक बताया है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें