-भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक की रिपोर्ट मे हुआ रोचक खुलासा
-सफेद हाथी साबित हो रही सरकारी कालेजों में खोली गई प्लेसमैंट सैल
देवेन्द्र दांगी।
रोहतक, 12 जून
अपने डवलपमैंट प्लान में शिक्षा को सर्वोपरि रखने के ल बे-चौड़े दावे करने वाली प्रदेश कांग्रेस सरकार अपने कालेजों के विद्यार्थियों को किस स्तर की शिक्षा मुहैया करवा रही है, इस बात का अंदाजा महज इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले तीन सालों के दौरान विभिन्न सरकारी कालेजों में पढऩे 14, 714 विद्यार्थी ऐसे थे, जिन्होंने कालेज में अपने से स बंधित विषयों के प्राध्यापक न होने की वजह स्वयं ही पढ़ाई की। खास बात तो यह है कि ये विद्यार्थी अपने शैक्षणिक सत्र के अंत तक कालेज प्रशासन को उनसे स बंधित विषयों के प्राध्यापकों की नियुक्ति करने की मांग करते रहे मगर सत्र खत्म हो गया, पर प्राध्यापक पढ़ाने नहीं आए। नतीजतन विद्यार्थियों को अपने आप ही कोर्स का स पूर्ण सिलेबस पूरा करना पड़ा।
प्रदेश की शिक्षा नीति पर चोट करता यह खुलासा हुआ है कि भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक (सिविल) की नवीनतम रिपोर्ट में। जिसका विश£ेषण करने पर यह तथ्य निकल कर सामने आया है कि प्रदेश के 12 सरकारी कालेजों में वर्ष 2006-09
के दौरान हिंदी, बॉयो टेक्नोलाजी, मॉस क यूनिकेशन, टूरिज्म मैनेजमैंट, कंप्यूटर साइंस, फीजिक्स, बोटनी, राजनीतिक विज्ञान, जूलोजी, फीजिक्ल एजूकेशन, इलैक्ट्रॉनिक्स, एनवायरमेंट स्टडी, संगीत व पंजाबी आदि विषय के प्राध्यापक नहीं थे जबकि सत्र 2006-07 में इन कालेजों में कुल 4971 विद्यार्थी, 07-08 में 6354 और सत्र 2008-09 के दौरान 3364 विद्यार्थियों ने दाखिला ले रखा था। इनमें भी फीजिक्ल एजूकेशन व एनवायरमेंट विषयों के विद्यार्थियों की सं या सबसे ज्यादा थी।
रिपोर्ट के मुताबिक उक्त समयावधि के दौरान उक्त विषयों के प्राध्यापकों का टोटा जिन शहर या कस्बे के सरकारी कालेजों ने झेला, उनमें घरोड़ा, करनाल, कैथल, अंबाला छावनी, टोहाना, सिवानी, झज्जर, हिसार, महेंद्रगढ़, जटौली, करनाल व बरवाला (पंचकूला) शामिल हैं। उच्चतर शिक्षा आयुक्त ने उक्त तथ्यों को स्वीकार किया है।
दिलचस्प बात तो यह है कि उच्चतर शिक्षा आयुक्त भी स्वयं इन तथ्यों को स्वीकार करते हैं। उनका कहना है कि जुलाई 2009 में प्राध्यापकों की भर्ती के लिए एचपीएससी को मांग पत्र ोज दिया गया था और जल्द ही कालेजों में प्राध्यापकों की कमी पूरी कर दी जाएगी।
इसी बीच, विभिन्न शिक्षक संगठनों का कहना है कि जब तक कालेजों में फैकल्टी की कमी को पूरा नहीं किया जाएगा तब तक शिक्षा में गुणवत्ता या इसमें सुधार लाने की संभावना काफी कम ही है। लिहाजा सरकार को चाहिए कि वह बयानबाजी करने की बजाए शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया में तेजी लाए ताकि कालेजों में शिक्षकों का टोटा दूर किया जा सकें। साथ ही इन संगठनों का यह भी कहना है कि बिना गुरुजन के शिष्य कैसी शिक्षा ग्रहण करेंगे, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है।
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