-मामला डोनेशन लेकर पीकेएसडी कालेज कनीना में स्थायी नियुक्तियां करने का
देवेन्द्र दांगी
रोहतक, 16 जून
डोनेशन लेकर स्टाफ की नियुक्तियां करने के मामले में सुर्खियों में आए कनीना के पीकेएसडी कालेज में पूरा खेल सरेआम चलता था। अहम बात तो यह भी कि डोनेशन लेने का सिलसिला गुप्त रूप से नहीं बल्कि खुलेआम चल रहा था। इस कालेज की कैश बुक में डोनेशन देने वाले लोगों के नामों के साथ उन अभ्यर्थियों के नाम भी लिखे जाते थे, जिनकी नियुक्ति या तो कालेज में की जानी थी या फिर यह काम पहले ही निपटा लिया गया था। ऐसा इसलिए होता था ताकि कैश बुक में दर्ज प्रविष्टि को देखने मात्र से ही इस बात का पता लग सके कि डोनेशन देने वाला शख्स किस उम्मीदवार का रिश्तेदार है। यह सनसनीखेज खुलासा तब हुआ जब महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय की दो-सदस्यीय जांच कमेटी ने कालेज के खिलाफ मिली शिकायतों की इंक्वायरी के दौरान कैस एकाउंट्स का गहराई से अध्ययन किया। जांच करने पर कमेटी को कैश बुक में 14 ऐसे पेज मिले, जिसमें दर्ज प्रविष्टि में दानवीरों के नाम एवं उनके द्वारा दान दी गई राशि के अलावा कालेज में चयनित अभ्यर्थियों से उनके रिश्ते भी दर्ज किये गये हैं।रिश्तदारों और दान के संबंध की बात उस समय और भी पुख्ता हो गई जब एमडीयू से गई इंक्वायरी कमेटी ने इस सिलसिले में सभी चयनित 14 अभ्यर्थियों के बयान दर्ज किए। आश्चर्य की बात है कि इन 14 में से 12 अभ्यर्थियों ने बेहिचक यह बात कबूल की कि कालेज को डोनेशन देने वाले उनके करीबी रिश्तेदार थे। किसी अभ्यर्थी के पिता, किसी के ससुर तो किसी के पति ने कालेज को दान के रूप में भारी भरकम राशि दे रखी है। चूंकि, उक्त सभी पृष्ठ कालेज मैनेजमैंट के प्रधान ने स्वयं सत्यापित कर रखे थे लिहाजा उनके पास इन्हें गलत साबित करने का भी कोई कारण नहीं था। ऐसे में कालेज प्रशासन ने बचने के लिए एक और रास्ता तलाश किया। कालेज प्रशासन ने यह दलील देकर अपनी करतूत पर पर्दा डालने का प्रयास किया कि डोनेशन देने वाले तमाम दानवीरों ने अपनी मनमर्जी से कालेज को दान दिया था और इसके लिए उन पर कोई दबाव या सेटिंग जैसी बात नहीं थी। इसिलिए दानवीरों को बाकायदा डोनेशन की रसीद भी दी गई थी। बेशक, कालेज ने दानवीरों पर दान देने के लिए कभी कोई दबाव नहीं बनाया हो लेकिन जब जांच कमेटी ने नियमों का हवाला देकर जवाब-तलबी की तो कालेज प्राचार्य ने स्वीकार किया कि चयनित अभ्यर्थियों के रिश्तेदारों ने उनके यहां दान दिया था। इतना हीं नहीं, कालेज का यह भी कहना था कि चयनित अभ्यर्थियों का चयन मेरिट के आधार पर किया गया था क्योंकि चयन समिति में विश्वविद्यालय के प्रोफेसर बतौर एक्सपर्ट शामिल किए गए थे, जिन्होंने साक्षात्कार के वक्त अभ्यर्थियों के शैक्षणिक रिकार्ड के साथ-साथ संबंधित विषय में उनकी नॉलिज की परीक्षा भी ली थी। इस सब के आधार पर ही अभ्यर्थियों का चयन किया गया था लिहाजा यह कहना उचित नहीं कि चयन में मेरिटोरियस स्टूडेंट्स की अनदेखी की गई है।तमाम दलीलें सुनने एवं रिकार्ड की छानबीन के बाद एमडीयू से गई इंक्वायरी कमेटी इस निष्कर्ष पर पहुंची कि कालेज द्वारा नियुक्तियों के बदले में खुलेआम डोनेशन ली गई, जो कि शिक्षा की सेहत के लिए किसी भी तरह वाजिब नहीं है। ऐसे में इस कमेटी ने विश्वविद्यालय प्रशासन को कालेज के खिलाफ कार्रवाई करने के साथ-साथ ऐसे सुधारात्मक कदम उठाने की सिफारिश भी की थी, जिससे इस गैर-कानूनी प्रक्रिया को रोका जा सकें।यहां बताते चलें कि नियुक्ति के बदले डोनेशन लेने पर कड़ी आपत्ति जाहिर करते हुए महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय प्रशासन ने हाल ही में पीकेएसडी कालेज कनीना को कारण बताओ नोटिस जारी किया हैं।नोटिस में कालेज प्रशासन से यह जवाब तलबी करते हुए यह भी कहा गया है कि क्यों न इस गैर कानूनी कार्य के लिए उसकी मान्यता वापस ले ली जाए। विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह नोटिस उस जांच रिपोर्ट का अध्ययन करने के उपरांत जारी किया हैं, जिसमें यह खुलासा किया गया था कि कालेज में नियुक्त किए गए कुल 14 अभ्यर्थियों में से 12 अभ्यर्थियों ने डोनेशन के बिनाह पर ही नियुक्ति पाई है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें